15 अप्रैल के बाद MP में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं करेंगे प्राइवेट अस्पताल, जानें वजह

मध्य प्रदेश के निजी अस्पतालों के यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि वे 15 अप्रैल के बाद राज्य में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं करेंगे.

15 अप्रैल के बाद MP में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं करेंगे प्राइवेट अस्पताल, जानें वजह

अगर आप मध्य प्रदेश के निवासी हैं और आयुष्मान कार्ड से स्वास्थ सुविधा का लाभ लेते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर नहीं है. दरअसल, मध्य प्रदेश में प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड को स्वीकार न करने की चेतावनी दी है. इसी के चलते आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज का संकट सामने आ गया है. मिली जानकारी के अनुसार प्राइवेट अस्पताल राज्य सरकार से खफा हैं. 

600 से 900 करोड़ का भुगतान नहीं हुआ

 

दरअसल, आज यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें भोपाल के 150 और प्रदेश भर के 622 अस्पताल शामिल हैं. आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने कहा है कि आयुष्मान योजना के तहत होने वाले इलाज के लिए करीब 600 से 900 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है. बता दें कि यह भुगतान 3 महीने से 15 महीने तक का है. एसोसिएशन का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों को पिछले 15 माह से आयुष्मान योजना के तहत हुए इलाज का समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है.

यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन का यहां तक कहना है कि पिछले 7 महीनों में भुगतान पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. उनका कहना है कि भुगतान नहीं होने से निजी अस्पताल के संचालन में काफी परेशानी हो रही है और कर्मचारियों के वेतन, बैंक की किस्त, अस्पताल का किराया और बिजली बिल जैसे तमाम काम पूरे करने में काफी परेशानी हो रही है. 

एसोसिएशन ने कहा कि सरकार द्वारा 2018 में जब आयुष्मान योजना शुरू की गई थी, तब सरकार और निजी अस्पतालों के बीच एमओयू साइन हुआ था. अस्पताल के मरीज की फाइल अपलोड करने के 30 दिनों के भीतर सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है. एसोसिएशन का यह भी कहना है कि अन्य राज्यों में भी मरीज की फाइल अपलोड होने के बाद 7-10 दिनों के भीतर अस्पतालों को भुगतान कर दिया जाता है. 

-आयुष्मान भारत निरामयम की कार्य योजना समिति (Action Plan Committee of Ayushman Bharat Niramayam) का विधिवत गठन कर. इस समिति में सरकारी पदाधिकारियों, सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों को शामिल किया जाए. साथ ही 20 प्रतिशत निजी अस्पतालों के पदाधिकारियों को भी अधिकृत प्रतिनिधि (authorized representative) के रूप में शामिल किया जाए. 

इलाज कराने का संकट खड़ा हो जाएगा
बता दें कि अगर निजी अस्पताल 15 अप्रैल से मरीजों का आयुष्मान कार्ड से इलाज करना बंद कर देते हैं तो इससे काफी परेशानी हो सकती है. भोपाल में आयुष्मान योजना के तहत इन निजी अस्पतालों में प्रतिदिन 500 से अधिक आईपीडी मरीजों का इलाज किया जाता है. इलाज बंद होने से ऐसा हुआ तो उनके सामने इलाज कराने का संकट खड़ा हो जाएगा.