7 साल का था लवकुश तब कुंभ से उठा ले गया था कोई, मऊगंज कलेक्टर की मदद से 15 साल की उम्र में घर वापस लौट रहा
कलेक्टर हो तो ऐसा। मऊगंज कलेक्टर की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। उन्होंने एक मर्तबा फिर ऐसा काम कर दिया है कि लोगों उनके मुरीद होने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। 7 साल की उम्र में बराती का मासूम कुंभ से गायब हुआ था। अब कलेक्टर मऊगंज की मदद से ही 15 साल बाद वह घर लौट रहा है। अंधे मां बाप का लवकुश सहारा था। जिसे कोई बिहार उठा ले गया था। मऊगंज कलेक्टर की मदद से 8 साल बाद अब लवकुश को बिहार से रीवा लाया जा रहा है। कलेक्टर मऊगंज दृष्टिहीन माता पिता के लिए भगवान बन कर सामने आए हैं।
लवकुश को मुस्लिम परिवार ने बंधक बनाकर रखा था
आसपास के लोगों ने कलेक्टर मऊगंज से संपर्क किया, मदद मांगी तो प्रशासन लेने पहुंच गया
मऊगंज। कलेक्टर मऊगंज अपने सहृदयता के लिए देशभर में मशहूर हो गए हैं। उनके सामाजिक कार्यों और सरल स्वभाव ने ही 8 साल पहले कुंभ से गुमे अंधे मां बाप के लाल को घर पहुंचाने में मदद की है। दरअसल मऊगंज जिले के रहने वाले केमता साकेत पिता प्रहलादी निवासी ग्राम बराती जनपद पंचायत मऊगंज का पुत्र लवकुश आज से करीब 8 वर्ष पहले कुंभ मेला से गुम गया था। लवकुश के माता पिता अंधे हैं। भिक्षा मांग कर गुजर बसर कर रहे थे। लवकुश उनका सहारा था। कुंभ के मेले में 8 साल पहले उसे कोई मुस्लिम व्यक्ति अपने साथ उठा ले गया था। बिहार में अपने साथ कई दिनों तक व्यक्ति ने रखा। खाना पीना भी नहीं देता था। यातनाएं देता था। इससे परेशान होकर लवकुश एक दिन वहां से भाग निकला। यहां से भागने के बाद उसकी मुश्किलें कम नहीं हुई। किसी दूसरे व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया। मुस्लिम परिवार ने अपने घर पर रखा। वह अब तक ग्राम तासिरपुर थाना सलखुआ जिला सहरसा बिहार में रहा। इसी गांव में रहने वाले आलोक भगत पिता दिनेश भगत को लवकुश पर शक हुआ। उसे मुस्लिम परिवार बाहर निकलने नहीं देता था। धीरे धीरे उन्होंने लवकुश से संपर्क बढ़ाया। उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वह मऊगंज के बराती गांव का है। जानकारी मिलने के बाद आलोक भगत ने मऊगंज के कलेक्टर का नंबर नेट पर सर्च किया। कलेक्टर का नंबर आसानी से आनलाइन मिल गया। उन्होंने कलेक्टर से संपर्क कर सारी जानकारी उपलब्ध करा दी। कलेक्टर मऊगंज अजय श्रीवास्तव ने लवकुश के संबंध में बराती गांव से जानकारी जुटाई। जानकारी सही मिली। इसके बाद उन्होंने टीम बनाई और लवकुश के चाचा छकौड़ी को प्रशासनिक अमले के साथ संबंधित जगह पर भेज दिया। पुलिस की मदद से लवकुश को मुक्त कराया गया। अब लवकुश को लेकर प्रशासनिक अमला और उसके चाचा वापस लौट रहे हैं। सोमवार को लवकुश 8 साल बाद अपने घर पहुंचेगा।
एक भाई और बहन हैं वह भी देख नहीं सकते
लवकुश के माता पिता तो अंधे ही है। उसके एक भाई और बहन हैं। वह भी अंधे हैं। दोनों मां के साथ प्रयागराज में ही कहीं रहते हैं। उनकी भी तलाश की जा रही है। कलेक्टर मऊगंज अजय श्रीवास्तव पूरे परिवार को मिलाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। लवकुश को बिहार से सिमरी अक्तियारपुर से पाटलीपुत्र जंक्शन के लिए ट्रेन में बैठा दिया गया है। लवकुश सोमवार को मऊगंज पहुंच जाएगा।
कलेक्टर ने बिल्कुल देरी नहीं की
जैसे ही कलेक्टर मऊगंज अजय श्रीवास्तव के पास बिहार से आलोक भगत का फोन पहुंचा। उन्होंने लवकुश का पता लगाने में जरा सी भी देरी नहीं की। बराती गांव टीम को भेजा। लवकुश और उसके माता पिता का पता लगाया गया। जैसे ही इसकी पुष्टि हुई। वैसे ही टीम को बिहार के लिए रवाना कर दिया गया।
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7-8 साल का था तब बच्चा कुंभ में खो गया था। अभी कहीं बिहार में है। वहां से एक सज्जन का फोन आया। उन्होंने बताया कि एक बच्चा है जो मऊगंज का बता रहा है। उनका डिटेल भी उन्होंने भेजा। पता कराया गया तो सही निकला। उनके चाचा को हमने भेजा है। चाचा लेकर आ रहे हैं। ट्रेन में बैठ गए हैं। कल आ जाएंगे। मां बाप दोनों अंधे हैं। 7-8 साल से पहले बच्चा खो गया था। अब उसकी उम्र करीब 15 साल के करीब है।
अजय श्रीवास्तव
कलेक्टर, मऊगंज