रीवा की 70 स्कूलें उपयोग लायक नहीं, विभाग ने किया जर्जर घोषित फिर भी लग रहीं कक्षाएं, जोखिम में जान
सरकारी सिस्टम प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर पठन पाठन व्यवस्था बनाने में जुटी है लेकिन प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलें जमींदोज होती जा रही हैं। छात्रों के पास पढऩे के लिए बेहतर भवन नहीं है। कई स्कूलें जीर्णशीर्ण हालत में हैं। कभी भी भवन गिर सकते हैं। कुछ किराए के भवन में हैं। जिला में 70 से अधिक ऐसी स्कूलें हैं जो पूरी तरह से जर्जर हो गई हैं। इन्हें डिसमेंटल करने की जरूरत है लेकिन अब तक पहल नहीं हो पाई।

रीवा शहर में कई स्कूलें गिरने की कगार पर हैं लेकिन डिसमेंटल नहीं हुईं
खतरे में डाली जा रही बच्चों की जान, विभाग ने सर्वे के बाद नहीं किया कोई प्रयास
रीवा। राइट टू एजुकेशन सरकार ने बताया। इसमें कई नियम कायदे बनाए। हर बच्चे को शिक्षा मिले इसका इंतजाम किए गए। एक किमी में प्रायमरी और हर तीन किमी में माध्यमिक स्कूलों का सेटअप तैयार किया गया। सरकार की मंशा अच्छी है लेकिन इसे कायम रखने में सरकारी सिस्टम फेल होता जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कूलें तो खोल ली लेकिन इनक रखरखाव नहीं कर पाई। रीवा जिला की अधिकांश प्रायमरी और माध्यमिक स्कूलें जर्जर हो गई हैं। बैठने के लिए इन स्कूलों में न फर्श और न ही सिर छुपाने के लिए छत ही बची है। स्कूलों की छत और दीवार जर्जर हालत में हैं। कभी भी यह बच्चों के ऊपर गिर सकती हैं। बड़ा हादसा भी हो सकता है लेकिन राज्य शिक्षा केन्द्र और जिला शिक्ष केन्द्र इन जर्जर स्कूलों को लेकर तत्काल कोई कदम नहीं उठा पा रही है। शायद प्रशासन को किसी बढ़े हादसे का इंतजार है। इसके बाद ही पहल शुरू की जाएगी।
रीवा शहर में ही जर्जर हैं स्कूलें फिर भी चल रहीं
ग्रामीण क्षेत्रों की बात छोड़ दें तो शहर में कई ऐसी स्कूलें हैं जिनके पास बेहतर भवन नहीं है। जर्जर स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इन स्कूलों की हालत किसी गौशाला से भी बदतर हैं। ऐसी स्कूलों में नौनिहालों को शिक्षा दी जा रही है। इससे सरकारी सिस्टम और स्कूलों की होती दुर्गति का अंदाजा लगाया जा रहा है। सरकारी सिस्टम की लचर और खराब स्थिति के कारण ही प्रायमरी और मिडिल स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है। हालात बहुत ही दयनीय हैं। कुछ स्कूलों में इन्हीं अव्यवस्थाओं के कारण 1 छात्र संख्या तक पहुंच गई है।
बाण सागर स्कूल खंडहर फिर भी चल रही कक्षाएं
बाण सागर कालोनी में प्रायमरी स्कूल संचालित है। यह भवन काफी पुराना है। दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। छत सीमेंट सीट की बनी हैं। यह काफी टूट चुकी हैं। स्कूल के दरवाजे खराब हालत में हैं। आसपास के भवन काफी डिसमेंट कर दिए गए हैं लेकिन यह जर्जर स्कूल अभी भी चल रही है। यह स्कूल एक बारिश भी नहीं झेल सकती लेकिन बच्चों की जान जोखिम में डालने से प्रशासन नहीं चूक रहा है।
घोघर स्कूल ही दुर्गति देखकर रह जाएंगे दंग
रीवा में वैसे तो कई स्कूलें खराब हालत में हैं लेकिन घोघर स्कूल ही स्थिति ज्यादा दयनीय है। हद तो यह है कि इसी स्कूल के ठीक बगल में बीआरसीसी कार्यालय हैं। यहां सभी अधिकारियों का आना जाना है। इसी से ठीक सटा हुआ घोघर माध्यमिक शाला है। इसकी हालत इतनी जर्जर है कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को यहां भेजना नहीं चाहेगा। पूरा परिसर खुला हुआ है। गंदगी का अंबार है। फर्श जर्जर है। दरवाजे टूटे हुए हैं। बैठने के लिए फर्श नहीं है। फिर भी इस विद्यालय को चलाया जा रहा है।
तुलसी नगर स्कूल के पास भवन ही नहीं
रीवा में प्रायमरी स्कूल तुलसीनगर अपने आप में ही अजूबा है। इसके पास भवन ही नहीं है। एक छोटी सी दुकान में ही पहली से पांचवी तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। इसी कक्ष में कार्यालय में चलता है। कक्ष में पढ़ाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। 21 छात्र रजिस्टर्ड हैं। इसका किराया भी नहीं मिलता। यहां पदस्थ महिला शिक्षक स्कूलों का किराया देती हैं। तब जाकर स्कूल का संचालन हो पाता है।
करीब 70 स्कूलें की गई हैं चिन्हित
रीवा जिला में वैसे तो प्रायमरी और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 2800 है। इन सभी स्कूलों को जिला शिक्षा केन्द्र ने सर्वे कराया था। सर्वे में करीब 70 स्कूलें काफी जर्जर हालत में मिली थीं। इन स्कूलों में बैठने तक के लिए जगह नहीं है। दीवारें जर्जर हालत में पहुंच गई हैं। छत खराब हैं। इन स्कूलों के भवन कभी भी जमींदोज हो सकते हैं लेकिन इन भवनों को सुधारने और जमींदोज करने की कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रशासन ने अभियान चलाकर जर्जर भवनों को गिराया लेकिन इनकी तरफ ध्यान नहीं गया। यह कभी भी छात्रों के लिए खतरा बन सकते हैं।
इस वजह से भी नहीं किया जा रहा है सुधार
आपको बता दें कि बेहतर शिक्षा देने के लिए बड़ी संख्या में सीएम राइज स्कूलों का निर्माण किया जा रहा है। सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के साथ ही लोक शिक्षण संचालनालय ने एक आदेश भी जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत सीएम राइज स्कूलों के 5 किमी की परिधि को इस स्कूल में कवर किया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो कई स्कूलें बंद हो जाएंगी। आसपास की प्रायमरी और मिडिल स्कूलों के बच्चों को सीएम राइज में ही प्रवेश दे दिया जाएगा। इस आदेश के कारण भी स्कूलों का मेंटीनेंस नहीं किया जा रहा है।
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रीवा जिला में करीब 70 स्कूलें जर्जर हैं। इन्हें चिन्हित किया गया है। जो काफी जर्जर हालत में हैं। उन्हें डिसमेंट भी किया जा रहा है।
संजय मिश्रा, प्रभारी
निर्माण शाखा, जिला शिक्षा केन्द्र रीवा