बिजली विभाग में अफसरों और कर्मचारियों का बना गिरोह, कार्रवाई का डर दिखाकर लाखों वसूलते हैं, टीम का यह है लीडर

विद्युत विभाग में बिजली चोरी के नाम पर नया खेल चल रहा है। अब टीम प्रकरण नहीं बनाती ले देकर मामला सेटल कर देती है। हर दिन लाखों की वसूली चल रही है। यह सारा माल अधिकारियेंा की जेब में जा रहा है। इस पूरे खेल का मुख्य सरगना विवाहघर चलाने वाला आउटसोर्स कर्मचारी बताया जाता है। हालांकि इसमें एई से लेकर जेई तक शामिल रहते हैं। सभी वसूली गई राशि में बराबर का बंदरबांट करते हैं।

बिजली विभाग में अफसरों और कर्मचारियों का बना गिरोह, कार्रवाई का डर दिखाकर लाखों वसूलते हैं, टीम का यह है लीडर
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दिन रात घरों में मार रहे छापा लेकिन खजाने में नहीं जाती राशि, जेब भर रहे
जो सिफारिश लगाता है उसका बना देते हैं प्रकरण, बांकियों से ऐंठ लेते हैं राशि
रीवा। ज्ञात हो कि विद्युत विभाग में कई अधिकारी लंबे समय से रीवा में ही पदस्थ हैं। यही अधिकारी अब लूट खसोट पर उतारू हो गए हैं। उपभोक्ताओं के घरों की जांच करने के नाम पर लूटा जा रहा है। इतना ही नहीं मीटर बदलने की आड़ में भी खेल हो रहा है। इस समय स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। टीम घरों में पहुंंच कर मीटर बदल रही है। अधिकांश घरों में मीटर बदलने के दौरान बिजली चोरी, मीटर से छेड़छाड़ जैसे प्रकरण सामने आते हैं लेकिन इसमें प्रकरण बनाए नहीं जाते। सीधे सेटलमेंट कर लिया जाता है। लाखों की बिजली चोरी का डर दिखा कर मोटी रकम ऐंठी जा रही है। इस खेल में सिर्फ एक अधिकारी या कर्मचारी शामिल नहीं है। पूरी की पूरी टीम ही गोलमाल में लगी है। विद्युत विभाग शहर संभाग में गिरोह काम कर रहा है जो सिर्फ इसी काम में लगा हुआ है। सूत्रों की मानें तो हर दिन लाखों रुपए कर्मचारी, अधिकारी इसी तरह वसूलते हैं। यह विद्युत विभाग शहर संभाग में नया नहीं है। यहां कुछ आउटसोर्स कर्मचारी लंबे समय से इसी तरह के कामों में लगे हुए हैं। यह कर्मचारी अधिकारियों के खास भी माने जाते हैं जो सारा इंतजाम तक करते हैं। सूत्रों की मानें तो इसी वसूली से एक अधिकारी के रिश्तेदार की शादी भी कराई गई थी। इसमें वरिष्ठ अधिकारियों का भी संरक्षण शामिल है।
इसीलिए तैयार की गई टीम
रीवा शहर संभाग में कुछ कर्मचारियों को हटाकर बाहर कर दिया गया था। उन कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगे थे। कुछ महीने बाद उस कर्मचारी को फिर से रीवा शहर संभाग में पदस्थ कर दिया गया।इतना ही नहीं मुख्य फीडर भी सौंप दिया गया है। सूत्रों की मानें तो जिस कर्मचारी पर इतनी मेहरबानी दिखाई गई है। उसकी डाटबाट किसी को भी हैरान कर सकती है। अधिकारियों भी रहन सहन के मामले में उसके सामने बौने नजर आते हैं। ऐेसे में रीवा शहर संभाग में वसूली की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कमीशन में होता है सारा काम
शहर संभाग में सारे अवैध काम कमीशन में ही होते हैं। किसी उपभोक्ता का यदि लाखों रुपए का बिल आता है। एवरेज बिल आता है तो उसमें भी कमीशन की डिमांड की जाती है। बिना कमीशन दिए कोई भी फाइल आगे ही नहीं बढ़ाई जाती। कई ऐसे प्रकरण भी है जिसमें उपभोक्ताओं की गलत बिलिंग की गई लेकिन महीनों चक्कर काटने के बाद भी आज तक उनका सुधार नहीं किया गया। कई मामलों में महीनों तक एवरेज बिल देने के बाद चंद महीनों का ही सुधार किया जाता है।
बाहर दुकानों से चलता है सारा खेल
शहर संभाग के बाहर कई दुकानें सजी हुई है। यहां आनलाइन बिजली का सारा काम होता है। यहां आनलाइन आवेदन से लेकर बिजली बिल में सुधार सहित अन्य बड़े काम होते हैं। यहीं से कई एई, जेई और लाइनमैनों की अवैध कमाई का खेल चलता है। सभी दुकानें कर्मचारी, अधिकारियों से फिक्स रहती है। नए कनेक्शन का आवेदन करने के बाद यहीं पर लाइनमैन का भी कमीशन जमा हो जाता है। जिनका कमीशन जमा होता है। उनका कनेक्शन भी एक से दो दिनों में हो जाता है। जिनका सिर्फ आवेदन होता है। उनकी फाइल कई दिनों तक पेडिंग में रहती है। फिर लाइनमैन कोई न कोई कमी दिखाकर निरस्त कर देते हैं।