एपीएस विवि में चल रही थी पास कराने की फैक्ट्री, रुपए लेकर करते थे छात्रों को पास, बड़ा फर्जीवाड़ा का हुआ खुलासा
अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विवि बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। यहां पदस्थ कर्मचारियों ने पास कराने की फैक्ट्री खोल रखी थी। अवैध तरीके से छात्रों से रुपए लेकर इन्हें पास कराया जाता था। छात्रों को पास करने के लिए कर्मचारी खाते में आनलाइन रुपए मंगाते थे। इसके बाद उन्हें पास कर देते थे। इसका खुलासा होने के बाद कर्मचारियों को बाहर का रास्ता तो दिखा दिया गया है लेकिन एफआईआर में देरी की जा रही है। शिक्षा के मंदिर में इस तरह का किया गया काम, पूरी पारदर्शिता पर ही सवाल खड़े कर गया है। इमानदारी से पढ़ कर परीक्षा देने वालों के साथ गंदा मकान किया गया है फिर भी विवि कार्रवाई करने में देरी कर रहा है।
आनलाइन छात्रों से खाते में मांगते थे रुपए, कई कर्मचारियों में बटनवारा होता था
कर्मचारी के पकड़े जाने के बाद कईयों के नामों का हुआ खुलासा
रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यहां 40 अनुत्तीर्ण छात्रों को पास कराने के बदले आनलाइन से 84 हजार रुपए कर्मचारियों ने खाते में डलवाए। मामला पकड़ में आया लेकिन अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने मामले को दबा दिया। विवि का निरीक्षण करने नैक की टीम आने वाली थी। बदनामी न हो और नैक मूल्यांकन पर असर न पड़े। इसके कारण मामले को ही दबा दिया गया। अब इस मामले को दबा कर ही रखना चाह रहे है। एफआईआर में भी देरी की जा रही है। विवि प्रबंधन की यह देरी उन छात्रों को हंसी का पात्र बना रही है जो मेहनत करके परीक्षा दिए और कम अंकों से पास हुए। कईयों के रिजल्ट रुक गए। कई छात्रों ने आंदोलन भी किया। उनका निराकरण विवि नहीं करा पाया। विवि पूरी कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि इस मामले की जांच शुरू हुई तो कई सफेद पोश और ईमानदार अधिकारियों की गर्दन भी फंस सकती है। पकड़े गए कर्मचारी ने कई कर्मचारियों, अधिकारियों के नाम लिए हैं। जिन्हें इस फर्जीवाड़ा से मिलने वाली राशि का हिस्सा पहुंचता था।
40 छात्रों से वसूले 84 हजार
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ राजकुमार सोनी के कक्ष में श्री केवट नाम से एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, जो पहले भी विवादों में फंसकर सेवा से बाहर चुके थे। उक्त कर्मचारी सत्ताधारी नेताओं की परिक्रमा कर करीब 6 महीने पहले ही सेवा में आये। परीक्षा नियंत्रक कक्ष में बैठकर उक्त कर्मचारी ने करीब 40 छात्रों से 84 हजार रुपये लिये। यह राशि संबंधित कर्मचारी ने फोन पे के जरिये प्राप्त की। यह राशि उन छात्रों से ली गई जिन्होंने एनईपी के तहत स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी और उसमें अनुतीर्ण हो गए। किसी छात्र से एक हजार तो किसी से दो हजार रुपये अलग-अलग समय पर लिये गए।
कर्मचारी के फोन पर है सारे रिकार्ड, जब्त किया गया
विश्वविद्यालय के एनईपी सेल में क्रिस्प कंपनी के कार्यरत सोनी नाम के कर्मचारी को भी उक्त राशि में हिस्सेदारी देने की बात आरोपी कर्मचारी ने कही। जब प्रकरण की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को लगी तो श्री केवट के मोबाइल फोन को जब्त कर लिया और उसके फोन पर छात्रों से ली गई राशि की पूरी जानकारी एकत्रित की गई। इस जानकारी को एक लिफाफे में डाल कर दिया, क्योंकि नैक टीम निरीक्षण में आने वाली थी।
इन कर्मचारियों का नाम भी आया सामने
अब नैक निरीक्षण होने के बाद एक समिति का गठन किया, जिसने प्रकरण की जांच की है। बताते हैं कि आरोपी कर्मचारी ने परीक्षा विभाग के सेंगर बाबू सहित कुछ अन्य कर्मचारियों का भी नाम लिया है, जिन्हें छात्रों से प्राप्त राशि का हिस्सा देने की बात उसने कही है। इतने नाम के सामने आने से अब एफआईआर जैसी कार्यवाही में देरी की जा रही है।
कंपनी का ठेका निरस्त करने की सिफारिश
बताते हैं समिति ने जांच में पाया कि दोनों कर्मी विश्वविद्यालय के रिजल्ट की मूल फाइल में छेडख़ानी नहीं कर पाये हैं। जिन छात्रों से पैसा लिया, उन्हें उत्तीर्ण रिजल्ट की डमी कॉपी देकर संतुष्ट कर दिया। समिति ने दोनों कर्मचारी को हटाने और रिजल्ट बनाने वाली संबंधित कंपनी का ठेका निरस्त करने की सिफारिश की है। अब आगे की कार्यवाही विश्वविद्यालय प्रशासन को करनी है।
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प्रकरण में एफआईआर होना ही है। इसमें कोई रियायत नहीं दी जायेगी। मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्यवाही होगी।
डॉ सुरेंद्र ङ्क्षसह परिहार, कुलसचिव