एपीएस विश्वविद्यालय के 56 साल हो रहे पूरे, जानिए किसने रखी थी नींव और कब बनाया जाएगा स्थापना दिवस

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना के 20 जुलाई को 56 साल पूरे हो रहे हैं। इस दिन को विवि प्रबंधन धूमधाम से मनाने की तैयारी है। इसी को लेकर सोमवार को विवि में बैठक का भी आयोजन हुआ। बैठक में आयोजन की रूपरेखा तैयार की गई है।

एपीएस विश्वविद्यालय के 56 साल हो रहे पूरे, जानिए किसने रखी थी नींव और कब बनाया जाएगा स्थापना दिवस
apsu file photo


रीवा।
एपीएसयू अपना 56वां स्थापना दिवस 20 जुलाई को मनाएगा। स्थापना दिवस का कार्यक्रम गरिमामयी वातावरण में सम्पन्न होगा। इस मुख्य आयोजन की तैयारी के लिए विश्वविद्यालय में सोमवार को बैठक हुई। बैठक में आयोजन की रुपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई। आयोजन का मुख्य अतिथि कौन होगा। यह तय नहीं हुआ। इसे कुलपति ही फाइनल करेंगे।  मुख्य अतिथि का नाम फाइनल होने के बाद आमंत्रण प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विवि प्रबंधन स्थापना दिवस के दिन पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन करेगा। इस पर भी सहमति बनी है। बैठक में तय हुआ कि समारोह दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक आयोजन होंगे। साथ ही, विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारियों को सम्मानित किया जायेगा। बैठक में कुलपति, कुलसचिव के अलावा समस्त प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षण विभागों के अध्यक्ष व शिक्षक शामिल हुए। बैठक के आखिरी में नैक मूल्यांकन की तैयारी संबंधी चर्चा भी हुई। सभी विभागाध्यक्षों को आगाह किया गया कि कभी भी नैक टीम निरीक्षण की सहमति दे सकती है, लिहाजा सब अपनी तैयारी पुख्ता रखें।
इन्होंने किया था पिता का सपना साकार
रेवाखण्ड के इतिहासकार बताते हैं कि प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कप्तान अवधेश प्रताप सिंह ने तत्कालीन समय में अशिक्षा के कारण रीवा क्षेत्र में पिछड़ापन को देखकर यहां उच्च शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् रीवा राज्य के प्रधानमंत्री रहे कप्तान साहब ने शीघ्र ही दरबार इण्टरमीडिएट कॉलेज को डिग्री कॉलेज के रूप में परिवर्तित कराया। फिर उन्होंने अनेक स्तरों पर रीवा में विश्वविद्यालय स्थापित करने का सतत् प्रयास किया परन्तु उनके जीवन काल में विश्वविद्यालय खुल सकने योग्य औपचारिकताएं पूरी न हो सकीं। सन् 1967 में कप्तान साहब के सुपुत्र गोविन्द नारायण सिंह संविद शासन के मुख्यमंत्री हुए। गोविन्द नारायण सिंह अपने पिता के स्वप्न से भलीभांति परिचित थे। उन्होंने कप्तान साहब के प्रधानमंत्रित्व काल के सरकारी अभिलेखों एवं विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु 30 लाख रुपये के संचित कोष को खोजा। इसके उपरांत अपने मंत्रीमंडल में अवधेश प्रताप सिंह के नाम से विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे मंत्रीमंडल ने सहर्ष स्वीकार किया। यद्यपि नामकरण के सम्बन्ध में कुछ विरोध के स्वर भी आये, परन्तु पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र के आग्रह पर विश्वविद्यालय का नाम यथावत् रखा गया। आखिरकार 20 जुलाई 1968 को विधिवत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और उसी स्थापना वर्ष से ही विश्वविद्यालय ने कार्य करना प्रारम्भ किया।
यहां से हुई थी विवि की शुरुआत
 विश्वविद्यालय की स्थापना 20 जुलाई 1968 को हुई थी। स्थापना के समय विश्वविद्यालय वर्तमान पीके स्कूल के भवन में संचालित होता रहा। फिर 1971 में विश्वविद्यालय के मुख्य प्रशासनिक भवन का निर्माण शुरू हुआ, जो तीन साल में बनकर तैयार हो गया। तब से विश्वविद्यालय यथास्थान पर निरंतर संचालित हो  रहा है। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में 15 नियमित शैक्षणिक विभाग, 45 स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, परिसर में 4500 से अधिक विद्यार्थी, परिक्षेत्र में एक लाख पचास हजार से अधिक विद्यार्थी, लगभग दो सौ पचास सम्बद्ध महाविद्यालय हैं। स्थापना के बाद से विश्वविद्यालय मेें स्थापना दिवस कार्यक्रम सदैव हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता रहा। हालांकि वर्ष 2020 और 2021 में कोरोनाकाल के चलते सामूहिक आयोजन की अनुमति सरकार ने नहीं दी। तत्पश्चात वर्ष 2022 से पुन: नियमित स्थापना दिवस के कार्यक्रम होने लगे हैं।