अभय मिश्रा ने फिर छोड़ी भाजपा, मुख्यमंत्री पर लगाया वायदा खिलाफी का आरोप
भाजपा से अभय मिश्रा ने फिर इस्तीफा दे दिया है उनकी हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है। इधर उधर भटक रहे हैं । अभय मिश्रा अपनी पत्नी नीलम मिश्रा के साथ इस आश्वासन पर भाजपा में वापस आए थे कि सेमरिया से टिकट दी जाएगी। लेकिन उन्हें आभास हुआ की पत्ता कटने वाला है। यह पता चलते ही उन्होंने वापस दौड़ लगा दी है। हाल ही में उनका एक वीडियो कमलनाथ के घर के बाहर का वायरल हुआ था। इसके बाद ही उन्होंने भाजपा के प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। उनकी हालत बिन पेंदी के लोटे जैसी भी कही जा सकती है।
रीवा। अभय मिश्रा ने भाजपा से फिर तौबा कर ली है। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वह कुछ दिन पहले ही पत्नी नीलम मिश्रा के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष गृहमंत्री ने सदस्यता दिलाई थी। जबकि उनकी सीट सेमरिया से कांग्रेस ने पक्की कर रखी थी। सिर्फ घोषणा का इंतजार था। इसके बाद भी उन्होंने बगावत की थी। भाजपा में आने के बाद उन्हें अंतर कलह का सामना करना पड़ा। केपी त्रिपाठी उन पर भारी पड़ गए। पार्टी ने अभय मिश्रा की वापसी सिर्फ इसलिए कराई थी कि उन्हें चुनाव में सेमरिया से टिकट दिया जाएगा। इसी आश्वासन पर पति और पत्नी दोनों ने वापसी की थी। अब जब टिकट वितरण का काम शुरू हो गया है तो उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनका पत्ता काटने की कोशिश की जा रही है। रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ला केपी त्रिपाठी को ही टिकट दिलाने के पक्षधर हैं। उन्हीं का नाम फाइनल हुआ है। इस बात का पता चलने के बाद अभय मिश्रा ने पार्टी से भागना ही उचित समझा। यही वजह है कि पहले उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की। जब वहां से हामी भरी गई तो भाजपा से करनी काट ली और प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा दे दिया।
अभय मिश्रा ने लगाया वायदाखिलाफी का आरोप
अभय मिश्रा ने प्रदेश अध्यक्ष भाजपा को भेजे गए इस्तीफा में कहा है कि मेरे द्वारा एक माह पहले भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की गई थी। शीर्ष नेतृत्व में मुझे आश्वासन से हटकर वायदा खिलाफी दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री वचन के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है एवं मेरी पत्नी नीलम मिश्रा भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं। सेमरिया की जनता जनार्दन मुझे ही बतौर प्रत्याशी देखना चाहती है। वह भी सिर्फ कांग्रेस पार्टी से। क्षेत्र की जनता ने पूर्ण रूपेण कांग्रेस पार्टी को वोट देने का मन बना रखा है और कांग्रेस के सक्षम प्रत्याशी के रूप में मुझे मान रही है। एवं मुझ पर दबाव बनाए हुए हैं कि भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र देकर कांग्रेस पार्टी में वापस आऊं एवं पंजे के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लडूं। कमलनाथ जी ने मुझे पार्टी छोड़ने से 2 दिन पहले ही सकारात्मक संदेश दिए थे किंतु इसके बावजूद भी मैं झल का शिकार हो गया और खुद ही गलती कर बैठा। गुस्से में मैंने निर्णय लिया था। माननीय शिवराज जी ने केपी त्रिपाठी को हाथ में जल लेकर टिकट न देने का वादा किया था लेकिन मुझे समय रहते जानकारी हो गई कि राजेंद्र शुक्ल के प्रभाव में उन्होंने वचन के विरुद्ध के भी त्रिपाठी को ही टिकट देने का निर्णय लिया है। इसीलिए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।