सीएमएचओ में एक और फर्जीवाड़ा आया सामने, जांच में दो अधिकारी फंसे, इन दोनों ने किया था फर्जीवाड़ा

स्वास्थ्य विभाग फिर विवादों में है। इस मर्तबा यहां नया मामला आउटसोर्स कर्मचारियों की फर्जी भर्ती का है। सीएमएचओ के सामने नोटसीट में कर्मचारियों की भर्ती की जानकारी ही प्रस्तुत नहीं की गई। अलग से नाम जोड़ कर भर्ती का आदेश जारी कर दिया गया। जब मामले की जांच हुई तो फर्जीवाड़ा उजागर हो गया। जांच दल के प्रतिवेदन में अर्बन नोडल अधिकारी और एपीएम का फर्जीवाड़ा सामने आया है।

सीएमएचओ में एक और फर्जीवाड़ा आया सामने, जांच में दो अधिकारी फंसे, इन दोनों ने किया था फर्जीवाड़ा
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12 आउटसोर्स कर्मचारियों का नाम नोटसीट में नहीं रखा गया, अलग से जोड़े गए नाम और फिर कर दी गई नियुक्ति
रीवा। ज्ञात हो कि शहरी मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक रानीतालाब, चोरहटा, चिरहुला, हनुमान मंदिर के पीछे कुठुलिया, चिरहुला नगर निगम रीवा, घोघर में 4 डाटा इंट्री आपरेटर और 8 सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति की आउटसोर्स में की गई थी। जसंचालक कैपिटल इन्फोलाइन मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड रीवा से भर्ती के लिए एक पत्र सीएमएचओ रीवा को भेजा गया था। बकि एजेंसी ने ऐसा कोई भी पत्र सीएमएचओ को नहीं भेजा था। बाद में कंपनी ने इस तरह के किसी भी पत्र जारी करने से इंकार कर दिया था और आदेश को तत्काल निरस्त कर दिया था।  इस भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जांच के निर्देश जारी किए गए। 14 मार्च 2024 को मामले की जांच का दायित्व डॉ अनुराग शर्मा जिला क्षय अधिकारी एवं डॉ देवेन्द्र वर्मा एपिडिमोलाजिस्ट रीवा को सौंपा गया। जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी डॉ जीतेन्द्र सिंह राजपूत जिला स्वास्थ्य एवं महामारी नियंत्रण अधिकारी रीवा को मनोनीत किया गया था। हालांकि उनका स्थानांतरण उज्जैन होने के बाद दोनों ही अधिकारियों को जांच करने के बाद प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जांच के बाद जब प्रतिवेदन सीएमएचओ को सौंपी गई तो पूरे फर्जीवाड़े की सुई कहीं और ही घूम गई।  जांच दल ने जांच के बाद अपने अभिलेखों में स्पष्ट रूप से कहा है कि पूरे मामले की जांच में यह पाया गया है कि अर्बन नोडल अधिकारी डॉ केबी गौतम एवं शिवशंकर तिवारी प्रभारी एपीएम ने कूटरचित तरीके से नोटसीट में पृथक से भर्ती करने वाले अभ्यर्थियों का नाम जोड़ा था। दोनों अधिकारी, कर्मचारी ही इस पूरे कृत्य करने के मुख्य सूत्रधार हैं।
जांच में यह फर्जीवाड़ा आया सामने
जांच दल ने जांच के दौरान उपलब्ध कराए गए अभिलेखों का अवलोकन किया। उसमें पाया गया कि नोटसीट 16 जनवरी 2024 को शाखा द्वारा तैयार किया गया। इसके बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रीवा के समक्ष 10 फरवरी 2024 यानि 24 दिनों के बाद प्रस्तुत किया गया। नोटसीट में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रीवा ने टीप अंकित करने के बाद नोडल अधिकारी के द्वारा सपोर्ट स्टाफ संस्थाओं में रखने एवं किसे रखना है उस अभ्यर्थी का नाम अंकित करना तथा बाद में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रीवा से अनुमोदन नहीं कराया गया। जांच के दौरान डॉ केएल नामदेव तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिा रीवा ने अपने कथन में लेख किया है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रीवा के आदेश दिनांक 10 फरवरी 2024 को जो हस्ताक्षर किया गया है वह पॅरी तरह से फर्जी है।  रीवा में शहरी क्षेत्र रीवा के चिरहुला कालोनी नगर निगम कार्यालय के बलग में वार्ड क्रमांक 43 एवं मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक घोघर श्रम कल्याण के बगल में वार्ड क्रमांक 34 में डाटा इंट्री आपरेटर एवं सपोर्ट स्टाफ की मांग की गई थी। इसके परिपालन में मिशन संचालक एनएचएम भोपाल ने अनुमति दी थी। एपीएम शिव शंकर तिवारी प्रभारी एपीएम ने नोटसीट 16 जनवरी 2024 को तैयार की गई। मिशन संचालक राष्ट्रीय मिशन के पत्र क्रमांक 6060/2023/ एनएचएम भोपाल के 11  अगस्त 2023 के द्वारा नवीन मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक को क्रियाशील  करने के लिए एक डाटा इंट्री आपरेटर एवं दो सपोर्ट स्टाफ आउटसोर्स से रखे जाने की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। नोटसीट में इस पत्र का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।