अवधेश प्रताप सिंह विवि का मनाया गया 57 वां स्थापना दिवस, यह अतिथि हुए शामिल जानिए क्या रहा खास

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का 57वां स्थापना दिवस शनिवार को मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पं शम्भुनाथ शुक्ल सभागार में गरिमामय समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगतगुुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पाण्डेय रहे।

अवधेश प्रताप सिंह विवि का मनाया गया 57 वां स्थापना दिवस, यह अतिथि हुए शामिल जानिए क्या रहा खास

पूर्वजों की भूमिकाओं को याद करने से मिलती है प्रेरणा: प्रो. शिशिर
 रीवा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो पाण्डेय ने कहा कि पूर्वजों की भूमिकाओं को याद करने से हमें प्रेरणा मिलती है, इसलिए हम कप्तान साहब अवधेश प्रताप सिंह को याद कर रहे हैं। जिन्होंने मध्य भारत में इस विश्वविद्यालय की कल्पना की। वैदिक काल से ही शिक्षा का महत्व है और इस महत्व को कप्तान साहब बहुत अच्छे से समझते थे। प्रो पाण्डेय ने कहा कि उस समय सामाजिक चेतना थी कि सब पढ़ें, जो सामाजिक सद्भाव को भी दर्शाता है और यह सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कप्तान साहब सदैव प्रयत्नशील रहे। प्रो पाण्डेय ने कहा कि कप्तान अवधेश प्रताप के जैसे ही विश्वविद्यालय के शिक्षक भी अपने कर्मों के प्रति सचेत रहे। यहीं आपका इस संस्था व समाज के प्रति सबसे बड़ा योगदान होगा। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रामपुर बाघेलान विधायक विक्रम सिंह, कुलपति डॉ राजकुमार आचार्य, कुलसचिव डॉ सुरेंद्र सिंह परिहार, प्रो सुनील तिवारी, प्रो श्रीकांत मिश्र मंचासीन रहे। इनके अलावा, पूर्व कुलपति प्रो रहस्यमणि मिश्र, सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. आरएन सिंह, प्रो एके श्रीवास्तव सहित वर्तमान वरिष्ठ आचार्य प्रो एनपी पाठक, प्रो अतुल पाण्डेय एवं अन्य शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे।


विवि में संग्रहालय की व्यवस्था हो: विधायक विक्रम ङ्क्षसह
कार्यक्रम में रामपुर बाघेलान विधायक विक्रम सिंह ने कहा कि जब किसी संस्था की स्थापना की जाती है तो देखा जाता है कि वह किसके लिए हैं, क्यों महत्वपूर्ण है। इस महत्ता को समझते कप्तान अवधेश प्रताप सिंह ने बेहतर प्रयास किए। फिर उनके पुत्र डॉ गोविंदनारायण सिंह ने डेढ़ साल मुख्यमंत्री रहते रीवा को कई उपलब्धियां दी, उनमें से एक रीवा विश्वविद्यालय भी है। विक्रम ने कहा कि कप्तान साहब बहुत ही साधारण व्यक्तित्व के धनी थे, उन्होंने नगर निगम के सामने रामपुर हाउस की स्थापना कराई थी, जहां सभी वर्ग के छात्र नि:शुल्क रहकर पढ़ सकते थे। विश्वविद्यालय के प्रति अपना लगाव व्यक्त करते हुए विधायक श्री ङ्क्षसह ने कहा कि विश्वविद्यालय को यहां उत्तम संग्रहालय की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा, कप्तान साहब के नाम पर प्रतिवर्ष एक व्याख्यानमाला भी होनी चाहिए, जिससे छात्र उनके व्यक्तित्व के बारे में जान सके और प्रेरित हो सके।
गुरु के प्रकाश से अपने अंदर के अंधकार को दूर करें: डॉ आचार्य
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ राजकुमार आचार्य ने की। कार्यक्रम की अव्यवस्था की ओर संकेत करते हुए डॉ आचार्य ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रौढ़ावस्था आ रही है। ये मंचीय कार्यक्रम महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है कि हम कहां हैं। हमने क्या तेजस्विता पाई, क्या योग्यता पाई है? परिवार के कामों में सबको चिंता करनी चाहिए। इस प्रकार के कार्यक्रम के लिए सबको बारीकी से तैयार होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह हमारे संस्कारों की कमी है। एक व्यक्ति के आचरण से पूरी संस्था की गरिमा बनती है। डॉ आचार्य ने कहा कि जो हमें बंधनों से मुक्त करे, वहीं शिक्षा है। हमारी सनातन संस्कृति में गुरुपूर्णिमा का बहुत महत्व है। गुरु के प्रकाश से हम अपने अंदर के अंधकार को दूर करें, यह गुरुपूर्णिमा की सार्थकता है।
आभासी रुप से जुड़े स्वामी रामभद्राचार्य महाराज
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी रामभद्राचार्य महाराज अस्वस्थता के चलते सहभागी नहीं हो पाए। ऐसे में, स्वामी रामभद्राचार्य ने आभासी (वर्चुअली) रुप से कार्यक्रम में जुड़कर अपनी समस्या बताई और कहा कि रीवा विश्वविद्यालय के छात्र अवधेश की भांति ही चमकें, यही मेरी शुभकामना है। इसके पहले कार्यक्रम के आरम्भ में विश्वविद्यालय की छात्राओं ने कुलगीत, सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रो श्रीकांत मिश्र ने गुरुवंदना का गायन किया।
बघेली शोध पीठ का प्रस्ताव तैयार
शुरुआत में प्रगति प्रतिवेदन का वाचन करते हुए वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो सुनील तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय में महाराजा मार्तण्ड ङ्क्षसह बघेली शोध पीठ की स्थापना का प्रस्ताव तैयार हुआ है। प्रो. तिवारी ने कहा कि शिक्षकों की पहचान इस संस्था से है, छात्रों से है, अत: इसके उन्नयन के लिए सभी शिक्षकों को सदैव प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम में विंध्य भारती शोध पत्रिका का विमोचन हुआ। तत्पश्चात सेवानिवृत्त प्रो दीपा श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त संतोष ङ्क्षसह सेंगर, एसडी नामदेव व सुखदेव चर्मकार को अतिथियों ने पुष्पगुच्छ से सम्मान किया।