भाजपा करने वाले है बड़ा बदलाव, कई जिलों की कमान सम्हालेंगी महिलाएं, चार साल से जमें जिलाअध्यक्षों को नहीं मिलेगा मौका
भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्षों की जल्द ही सूची जारी करने वाली है। जिलों में नए जिला अध्यक्ष के रूप में कई जिलों में महिलाओं के नामों पर फैसला लिया जा सकता है। एक दर्जन जिलों की कमान महिलाओं को दी जा सकती है। वहीं 4 साल से जिलों में जिला अध्यक्ष की कमान सम्हालने वालों को दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। जिला अध्यक्ष को लेकर जिला स्तर पर रायसुमारी के बाद अब भोपाल में मंथन चल रही है। कई जिलों के जिला अध्यक्षों के नाम भी फाइनल हो गए हैं। कईयों को लेकर चर्चा का दौर जारी है। जल्द ही इसकी घोषण भी कर दी जाएगी।
करीब 12 जिलों में महिलाओं को बनाा जा सकता है जिला अध्यक्ष
40 से अधिक नाम लगभग फाइनल, सिर्फ घोषणा का इंतजार
भोपाल। मध्यप्रदेश के एक दर्ज जिलों में भाजपा संगठन की जिम्मेदारी महिला नेत्रियों को दी जा सकती है। किसी भी जिले में चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले जिलाध्यक्षों को फिर से जिम्मेदारी नहीं मिलेगी और न नेताओं की सिफारिश पर किसी की नियुक्ति होगी। यह फरमान गुरुवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने दिया। वे जिलाध्यक्षों को लेकर पर्यवेक्षकों और संगठन प्रभारियों की बैठक ले रहे थे। जिसमें प्रदेश की चुनाव पर्यवेक्षक सरोज पांडे और प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र यादव भी मौजूद थे। बैठक में पर्यवेक्षकों के सामने सभी 60 जिला संगठनों के पैनलों को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान शिवप्रकाश ने जिलों के पर्यवेक्षकों से पूछा कि उनके द्वारा जिन नामों के पैनल बनाए गए हैं, उसके लिए किन लोगों से चर्चा की गई। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर शिवप्रकाश ने साफ तौर पर कहा कि ऐसा नहीं चलेगा। किसी भी दिग्गज नेता की सिफारिश बिल्कुल नहीं चलेगी। ऐसे में तो जुझारू और काम करने वाले कार्यकर्ताओं को मौका ही नहीं मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि सभी ये ध्यान रखें कि कम से कम 12 संगठन जिलों की कमान महिला कार्यकर्ताओं को दी जाए। इसके लिए हर जिले से कम से कम एक महिला नेत्री का नाम प्रस्तावित किया जाए। उल्लेखनीय है कि तीन दिन की जिला स्तर पर रायशुमारी के बाद सूची को दिल्ली भेजा गया था, जिसे आवश्यक मार्गदर्शन के साथ भोपाल को वापस की गई है। इसी सूची को लेकर गुरुवार को दिनभर बड़ी बैठक हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। बताया गया है कि बैठक में यह भी तय किया गया है कि किसी भी जिले में ऐसे जिलाध्यक्षों को दूसरी बार मौका नहीं दिया जाएगा, जो चार साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। पर्यवेक्षक शैलेन्द्र जैन की मानें तो जिला अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बेहद सावधानी के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें जो फीडबैक मिला है उसके मुताबिक जो पहले ही अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे कर चुके हैं, उनको रिपीट किए जाने की संभावना नहीं है। नए व्यक्ति को जिला अध्यक्ष पद के लिए मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बड़ी संख्या में मौका दिया जा सकता है।
40 से ज्यादा जिलों में नाम तय
इधर बैठक में मौजूद सूत्रों की मानें तो 40 से ज्यादा जिला अध्यक्षों के नामों पर सहमति बन चुकी है। हालांकि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े जिलों के लिए अभी नाम तय नहीं हो पाए हैं। कहा जा रहा है कि इन शहरों के नाम दिल्ली में ही तय किए जाएंगे। इस संबंध में पर्यवेक्षक रहे एक विधायक ने बताया कि जिलाध्यक्षों के चुनाव में सबसे ज्यादा दबाव जिलाध्यक्षों को रिपीट किए जाने को लेकर है पर पार्टी का प्रदेश नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है और दिल्ली के फार्मूले के आधार पर ही निर्णय लिया जा रहा है। ऐसे में 4 साल पूरा करने वाले जिलाध्यक्ष बनने की संभावना नहीं है। नए व्यक्ति को जिला अध्यक्ष के पद पर मौका मिल सकता है। साथ ही इस बार महिलाओं को बड़ी संख्या में जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्होंने बताया कि बीजेपी जिलाध्यक्ष चुनावों के लिए रायशुमारी के बाद 5-5 नामों के पैनल तैयार किए गए थे। इन नामों को लेकर संगठन के सामने प्रेजेंटेशन भी हो चुका है। अब इन्हीं में से एक नाम तय होगा। पर्यवेक्षकों के द्वारा जो ऑब्जर्व किया उसे संगठन के पदाधिकारियों को बता दिया गया है, अब विचार मंथन के बाद निर्णय लिया जाएगा।