भाजपा का डैमेज कंट्रोल, कांग्रेस हो गई फेल: बैकफुट पर पंचू और पन्ना, अब नहीं लड़ेंगे चुनाव

बागियों को साधने में भाजपा का डैमेज कंट्रोल सफल हो गया। कांग्रेस इस मामले में फेल हो गई। रीवा में उठे विरोध के सुर ठंडे पड़ गए। त्यौंथर के बाद अब मनगवां से विधायक रहे पंचूलाल और पन्नाबाई ने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं। बैकफुट पर आ गए है। अब वह चुनाव नहीं लड़ रहे। पंचूलाल ने पत्नी पन्नाबाई के नाम से नामांकन भरवाया था, अब वापस ले लिए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने कोशिश नहीं की वर्ना सिद्धार्थ बागी नहीं होते।

भाजपा का डैमेज कंट्रोल, कांग्रेस हो गई फेल: बैकफुट पर पंचू और पन्ना, अब नहीं लड़ेंगे चुनाव

रीवा। ज्ञात हो कि इस मर्तबा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद पूरे प्रदेश में पार्टियों को विरोध का सामना करना पड़ा। छोटी से लेकर बड़ी पार्टियां अपनों से ही परेशान हुई। कई बागी तैयार हुए। पार्टियों को इन बागियों को साधने में पसीना बहाना पड़ रहा है। अब मतदान सिर पर है। ऐसे में यदि यह बागी नहीं मानें तो पार्टी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाएंगे। यही वजह है कि पार्टियां प्रचार प्रसार से ज्यादा इन्हें साधने और मानमनौव्वल में लगी है। राष्ट्रीय स्तर के नेता इस काम में जुटे हैं। अलग से बैठकें ले रहे हैं। क्षेत्रों का भ्रमण तक कर रहे हैं। डैमेज कंट्रोल का हालांकि असर दिख रहा है। भाजपा के कई बागियों को साधने में भाजपा सफल हुई है। पार्टी के खिलाफ ही चुनाव लडऩे वालों ने अब धीरे धीरे सरेंडर करना शुरू कर दिया है। रीवा में भी हालात बिगड़े हुए थे। भाजपा तो डैमेज कंट्रोल समय पर कर ली लेकिन कांग्रेस और सपा को समय लग गया। इसका खामियाजा कईयों को गवां कर उठाना पड़ा। अब जो बच गए हैं। उन्हें कांग्रेस पार्टी पदाधिकारी बनाकर मैनेज किया जा रहा है। पार्टियों की कोशिश ने काफी हद तक स्थितियां सामान्य कर दी हैं।

फूटफूट कर रोए थे, अब मान गए पंचूलाल
टिकट कटने के बाद पंचूलाल ने पार्टी के खिलाफ ही जहर उगला था। बगावत कर दी थी। उन्होंने पत्नी को मैदान में उतार दिया था। नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसके बाद भाजपा ने उन्हें मनाया तो अब बैकफुट पर आ गए हैं।  मनगवां विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र वापस ले लिया है। विधानसभा निर्वाचन में नामांकन पत्र दाखिल करने की समय सीमा 30 अक्टूबर को समाप्त हो गई है। दाखिल नामांकन पत्र दो नवम्बर तक वापस लिए जा सकते हैं। नाम वापसी के प्रथम दिन एक नवम्बर को मनगवां विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार पन्नाबाई प्रजापति ने अपना नामांकन पत्र वापस लिया है। इस संबंध में रिटर्निंग ऑफिसर पीएस त्रिपाठी ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र मनगवां में अब उम्मीदवारों की संख्या 13 हो गई है। नामांकन पत्र दो नवम्बर को दोपहर 3 बजे तक वापस लिए जा सकते हैं।

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आप से भी बागी हो गए थे शिवमोहन
आम आदमी पार्टी ने भी 7 विधानसभा से उम्मीदवारों को रीवा में मैदान में उतारा है। सभी सीटों पर स्थिति तो सामान्य रही लेकिन गुढ़ से एक कंडीडेट बागी हो गया था। पहले शिवमोहन शर्मा का नाम उम्मीदवार के लिए चल रहा था। बाद में किसी और को टिकट दिया गया। इससे नाराज होकर शिवमोहन का नाम गुढ़ से विंध्य जनता पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल हो गया था।

देवतालाब से भी बागी हुए उम्मीदवार
समाजवादी पार्टी ने भी बागियों को साधने में देरी की। पहले लिस्ट जारी कर देवतालाब से रामयज्ञ सोंधिया को उम्मीदवार बनाया। बाद में दूसरी लिस्ट जारी कर रामयज्ञ का नाम हटाकर सीमा सिंह को प्रत्याशी बना दिया। इसके बाद भी रामयज्ञ ने बगावत करते हुए नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था। इस बगावत के कारण पार्टी ने रामयज्ञ को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। फिलहाल रामयज्ञ निर्दलीय ही मैदान में उतर पड़े हैं।
मनगवां से फिलहाल इतने उम्मीदवार हैं
स्क्रूटनी के बाद विधानसभा क्षेत्र 73 मनगवां से13 अभ्यर्थी इंजीनियर नरेन्द्र कुमार भारतीय जनता पार्टी, बबिता साकेत इंडियन नेशनल कांग्रेस, रामायण साकेत बहुजन समाज पार्टी, वरूण अम्बेडकर (विक्की) आम आदमी पार्टी, गणपति बंसल आदिम समाज पार्टी, जोखूलाल प्रजापति पीपल्स पार्टी आफ इण्डिया (डेमोक्रेटिक), प्रीती वर्मा (साकेत) समाजवादी पार्टी, मेवालाल प्रजापति भागीदारी पार्टी (पी) तथा रमेश साकेत भारतीय शक्ति चेतना पार्टी, निर्दलीय अभ्यर्थियों में दिनेश कुमार सतनामी, रमेश चन्द्र, राजनारायण तथा शिवदास कोरी बचे हैं।
सिद्धार्थ को नहीं मना पाई कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी में एक सीट पर बगावत हुई थी। त्योंथर से सिद्धार्थ तिवारी राज चुनाव लडऩा चाह रहे थे लेकिन पार्टी उन्हें मैदान में ही नहीं उतारना चाह रही थी। प्रचार में जुटे सिद्धार्थ को अंत समय में गुढ़ भेज दिया गया। टिकट के बदले महामंत्री का तमगा दे दिया गया था। इससे नाराज होकर सिद्धार्थ ने बगावत कर दी थी। सिद्धार्थ को पार्टी के पदाधिकारियों ने मनाने की पूर जोर कोशिश ही नहीं की। इसी का खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा।