कलेक्टर का आदेश भी नहीं माना बाबू, निलंबित हुआ
आर्बिटेशन की फाइलें कलेक्टर न्यायालय की शाखा को न देना एक बाबू को महंगा पड़ गया। नाराज कलेक्टर ने बाबू को निलंबित कर दिया। बताया जाता है कि आर्बिटेशन संबंधित फाइलें कलेक्टर न्यायालय शाखा में जमा करने के लिए कलेक्टर द्वारा आदेश दिया गया था इसके बावजूद फाइलें नहीं जमा की गईं। जिससे नाराज कलेक्टर भू-अर्जन आफिस पहुंच गईं और संबंधित बाबू का लापरवाह करार देते हुए निलंबन का आदेश जारी कर दिया।
रीवा। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कलेक्टर कार्यालय की विभिन्न शाखाओं का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान भू-अर्जन शाखा में कार्यरत लिपिक रामसागर शुक्ला के कार्यों में लापरवाही परिलक्षित हुई। श्री शुक्ला द्वारा कार्यालयीन समय में अपने कार्यस्थल में उपस्थित न रहने तथा सौंपे गए कार्य को समय सीमा में संपन्न न करने के कारण उनके विरूद्ध कार्यवाही की गई है।
यह है मामला
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार शासन द्वारा एक आदेश जारी कर भू-अर्जन के बाद मुआबजा संबंधी अपील आवेदनों (आर्बिटेशन प्रकरणों) की सुनवाई कलेक्टर को सौंप दी गई। जबकि इसके पूर्व आर्बिटेशन संबंधी प्रकरणों की सुनवाई कमिश्रर द्वारा की जाती थी। शासनादेश के बाद कमिश्रर कार्यालय द्वारा आर्बिअेशन संबंध प्रकरणों की फाइलें संभाग अंतर्गत संबंधित जिलों को भेज दी गईं। रीवा जिले की आर्बिटेशन संबंधी लगभग 3 सैकड़ा से अधिक फाइलों को कलेक्टर न्यायालय की ओर भेज दिया गया। हुआ यह कि आर्बिटेशन संबंधी फाइलें कलेक्टर न्यायालय में नहीं, भू-अर्जन शाखा की ओर भेज दी गईं। भू-अर्जन के बाबू राम सागर प्रचलित प्रकरणों को कार्यवाही में लेकर उनमें पेशियां भी देते रहे लेकिन उनमेंं सुनवाई नहीं हो पा रही थी। आरसीएमएस में पेंडिंग प्रकरणों दिख रहे थे। बताया गया कि कलेक्टर द्वारा भू-अर्जन शाखा को पत्र जारी कर आर्बिटेशन से संबंधित फाइलों को कलेक्टर न्यायालय शाखा को सौंपने का आदेश भी दिया गया लेकिन फाइलें नहीं सौंपी गईं। पूरे घटनाक्रम के लिए कलेक्टर ने भू-अर्जन शाखा के लिपिक को जिम्मेदार मानते हुए निलंबन कार्यवाही की। साथ ही भू-अर्जन शाखा की जिम्मेदारी वरिष्ठ लिपिक हीरामणि तिवारी को सौंपी गई है। यहां सवाल यह है कि जब कमिश्रर न्यायालय से आर्बिटेशन की फाइलें कलेक्टर न्यायालय को भेजी गईं थी तो भू-अर्जन शाखा की ओर क्यों भेज दी गईं।