4 हजार किमी साइकिल चलाकर रीवा पहुंचे बाइसकिल मैन ऑफ इंडिया, सिर्फ यह संदेश देने पहुंचे

मोटा अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने कश्मीर से कन्याकुमारी तक बाइसलिक मैन ऑफ इंडिया साइकिल यात्रा पर हैं। करीब 4 हजार किमी की यात्रा कर वह रीवा पहुंचे। रीवा के किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती का संदेश दिया। मोटा अनाज के फायदे गिराए और खेती के प्रति जागरुक भी किया।

4 हजार किमी साइकिल चलाकर रीवा पहुंचे बाइसकिल मैन ऑफ इंडिया, सिर्फ यह संदेश देने पहुंचे

रीवा। देश में अन्न संवर्धन हेतु बाइसिकल मैन ऑफ इंडिया के नाम से ख्याति प्राप्त नीरज प्रजापति रीवा पहुंचे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक चलने वाली उनकी यह साइकिल यात्रा करीब 4000 किलोमीटर से अधिक की है। बाइसिकल मैन ऑफ इंडिया नीरज प्रजापति ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य किसान भाइयों महिलाओं एवं शहरी उपभोक्ताओं को मोटे अनाजों जैसे को दो कुटकी रागी आदि के विषय में जागरूक करना एवं युवा उद्यमी को इसके प्रसंस्करण व्यवसाय से जोडऩा है। पूर्व में भी श्री प्रजापति द्वारा जैविक एवं प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए 50000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की है। इस अवसर पर रीवा में उनके आगमन पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ एके पांडे एवं अन्य वैज्ञानिकों ने भव्य स्वागत किया। किसानों एवं छात्र-छात्राओं से मोटे अनाजों की खेती की संभावनाएं एवं उद्यमिता विकास पर बाइसिकल मैन ऑफ इंडिया ने विस्तृत चर्चा की। उन्होंने  बताया कि रीवा जिले में मोटे अनाजों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। इनसे भरपूर लाभ कमाया जा सकता है। श्री प्रजापति ने विकसित भारत संकल्प यात्रा में भी ग्राम जेरुका में किसानों एवं अन्य अधिकारियों को संबोधित किया। कृषि विज्ञान केंद्र रीवा में आयोजित  अनाज संवर्धन कार्यक्रम एवं विकसित भारत संकल्प यात्रा में  कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ एके पांडे एवं कृषि महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ आरपी जोशी के अलावा अन्य वैज्ञानिकों डॉ एके पटेल डॉ किंजलक सिंह, डॉ स्मिता सिंह नोडल अधिकारी अन्न संवर्धन योजना, डॉ राजेश सिंह , डॉक्टर अखिलेश कुमार, डॉ सीजे सिंह, डॉ के एस बघेल, डॉ बीके तिवारी, डॉक्टर मधुलिका, डॉ संदीप शर्मा, डॉ मंजू शुक्ला आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।   कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय सिंह ने किया। बाइसिकल मैन ऑफ इंडिया नीरज प्रजापति ने जानकारी दी कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अन्न संवर्धन के लिए सराहनीय प्रयास किया हैं।