आर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का बड़ा खुलासा: डॉक्टर सहित 7 लोग हुए गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इंटरनेशनल आर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का बड़ा खुलासा किया है। इसमें एक डॉक्टर सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी निकला।
यथार्थ अस्पताल की एक डॉक्टर भी पकड़ी गईं
डोनर और रिसीवर की करते थे व्यवस्था
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का खुलासा किया है। मामले में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है। डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि हमने एक डॉनर्स और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है। रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डॉनर्स की व्यवस्था करता था। वे प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपए लेते थे। यह रैकेट 2019 से चल रहा था। गिरफ्तार महिला डॉक्टर की पहचान 50 साल की डॉ. विजया कुमारी के रूप में हुई है। वो फिलहाल निलंबित हैं। वह ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट के साथ काम करने वाली अकेली डॉक्टर हैं। उन्होंने नोएडा स्थित यथार्थ अस्पताल में 2021-23 के दौरान लगभग 15-16 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए थे।
इन्हें किया गया है गिरफ्तार
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान दिल्ली के पश्चिम विहार की इंदु पवार, पटेल नगर के असलम, कन्हैया नगर की पूजा कश्यप, मालवीय नगर की अंजलि, कविता और रितु और हरियाणा के सोनीपत के नीरज के रूप में की गई। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों का गिरोह फेसबुक पेज और वॉट्सऐप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चे गोद लेने वाले नि:संतान दंपतियों से संपर्क करते थे। ये लोग एडॉप्शन का फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर कई दंपतियों से लाखों रुपए की ठगी भी कर चुके हैं। सीबीआई के मुताबिक आरोपी ब्लैक मार्केट में सामान की तरह बच्चों का सौदा करते थे। अकेले मार्च में लगभग 10 बच्चे बेचे गए। सर्च ऑपरेशन के दौरान 5.5 लाख कैश, कई दस्तावेज समेत आपत्तिजनक सामान बरामद किए हैं।
बांग्लादेश से लाते थे डोनर, एक किडनी के बदले 4-5 लाख देते थे
नोएडा के यथार्थ अस्पताल के एडिशनल सुपरिटेंडेंट, सुनील बालियान ने बताया कि डॉ. विजया विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं। वह उन मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करती थीं, जिन्हें खुद लेकर आती थी। अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई मरीज नहीं दिया जाता था। डॉ. विजया ने पिछले 3 महीनों में एक सर्जरी की थी।
रैकेट से जुड़े अन्य लोग बांग्लादेश के मरीजों को पैसों लालच देते थे। वे किडनी के बदले डोनर को 4-5 लाख रुपए देते थे। वहीं जिसे किडनी दिया जाता था, उससे 25-30 लाख रुपए लिए जाते थे। दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे। डॉनर और रिसीवर (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध है।
दिल्ली के एक फ्लैट में रखे गए थे डोनर
रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इस किराए के फ्लैट में पांच से छह डोनर रह रहे थे। ट्रांसप्लांट से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली गई थीं। फ्लैट पर डोनर और रिसीवर की मुलाकात भी कराई जाती थी। पुलिस ने रसेल को उसके फ्लैट से ही गिरफ्तार किया है। इस दौरान वहां रसेल के दो साथी- मियां (28) और मोहम्मद रोकोन (26) भी वहीं थे। रसेल के कमरे से एक बैग बरामद किया गया है, जिसमें नौ पासपोर्ट, दो डायरियां और एक रजिस्टर था। ये पासपोर्ट किडनी डोनर्स और रिसीवर्स के थे। डायरी में पैसों के लेनदेन की जानकारी भी थी। पुलिस ने मोहम्मद रोकोन के पास से एक और बैग जब्त किया है, जिसमें 20 स्टाफ और दो स्टांप इंक पैड (नीले और लाल) थे, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर नकली कागजात बनाने के लिए किया जाता था। पुलिस ने रोकोन को भी गिरफ्तार किया है।
सिर्फ 29 साल का है बांग्लादेश का मास्टर माइंड
29 साल का रसेल बांग्लादेश के कुश्तिया जिले का रहने वाला है। वह बांग्लादेश में अपने सहयोगियों- मोहम्मद सुमोन मियां, इफ्ती और त्रिपुरा स्थित रतीश पाल के साथ मिलकर वहां से डोनर्स को दिल्ली बुलाता था। फिर डोनर और रिसीवर, अल शिफा नाम की एक मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिए दिल्ली में अपने रहने, इलाज और बाकी चीजों का इंतजाम करवाते थे। पुलिस ने इफ्ती को छोड़कर बाकी सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी आरोपी पहली बार दिल्ली आए हैं और वे हर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर को 2-3 लाख रुपए दे रहे थे। इससे पहले जून में तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था।
डॉक्टर और उसके असिस्टेंट को भी गिरफ्तार किया गया
सूत्रों ने बताया कि डॉ. विजया कुमारी सीनियर कंसल्टेंट व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन हैं। उन्होंने 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल जॉइन किया था। वह रेगुलर कर्मचारी नहीं थी। काम के आधार पर पैसों पर काम करती थीं। पुलिस ने डॉ. विजया के असिस्टेंट विक्रम को भी गिरफ्तार किया है।