एसजीएमएच में फिर बवाल: इलाज में लापरवाही से चली गई जान, बिखर गया पूरा परिवार
संजय गांधी अस्पताल के मेडिसिन विभाग की लापरवाही से एक युवक की जान चली गई। इस लापरवाही से सिर्फ युवक की जान नहीं गई, पूरा परिवार ही बिखर गया। बच्चे अनाथ हो गए। अब घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा। युवक के माता पिता पहले ही गुजर गए थे। अब बच्चों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। युवक की मौत पर मंगलवार को जमकर बवाल मचा। परिजनों ने डॉक्टरों पर लारपवाही का आरोप लगाया है। मरीज को सुगर था और डॉक्टर किडनी फेल होने के अंदेशा पर इलाज करते रहे और युवक की जान चली गई।
चिरहुला निवासी युवक को दो दिन पहले किया गया था भर्ती
तीन घंटे स्ट्रेचर पर पड़ा रहा युवक, लेकिन नहीं मिला था इलाज
REWA. मिली जानकारी के अनुसार गनपत द्विवेदी पिता उमाशंकर द्विवेदी उम्र 40 साल निवासी हाल मुकाम चिरहुला कालोनी, ग्राम बांधी डढ़वा गुढ़ को दो दिन पहले सांस लेने में तकलीफ हुई थी। मरीज को परिजन लेकर संजय गांधी अस्पताल पहुंचे। रात में मरीज को मेडिसिन विभाग के तृतीय तल में आईसीयू ले जाया गया। जहां जांच के दौरान डॉक्टरों ने किसी तरह की तकलीफ होना नहीं बताया। मरीज को चौथी मंजिल में शिफ्ट कर दिया। हालात बिगड़ते गए। इसके बाद दूसरे दिन डीन मेडिकल कॉलेज डॉ मनोज इंदूलकर मरीज को देखने पहुंचे। उन्होंने गनपत द्विवेदी की हालत सीरियस पाई। उन्होंने मरीज को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट करने के निर्देश दिए। परिजन मरीज को लेकर आईसीयू पहुंचे। यहां बेड खाली नहीं था। परिजन गनपत द्विवेदी को तीन घंटे तक स्ट्रेचर पर ही रखे रहे। किसी तरह का इलाज इस दौरान शुरू नहीं किया गया। जब हालत बिगड़ी तो परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। तब आनन फानन में डॉक्टरों ने आकर जांच और इलाज शुरू किया। इलाज में भी लापरवाही की गई। गनपत को सुगर की समस्या थी लेकिन डॉक्टर किडनी फेल्युअर का इला करते रहे। पहले डॉक्टरों ने बोला पोटैशियत हाई है। पोटेशियम की जांच में डॉक्टर जुटे रहे लेकिन सुपर स्पेशलिटी से जब परिजनों ने परामर्श लिया तो नेफ्रोलॉजिस्ट से किडनी फेल्युअर जैसी बातों से इंकार कर दिया। मंगलवार को मेडिसिन विभाग के आईसीयू में ही मरीज ने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजनों ने गुस्सा फूट पड़ा। जमकर बवाल मचा।
अस्पताल से एक इंजेक्शन तक नहीं मिला
गनपत द्विवेदी के भाई आनंद द्विवेदी ने बताया कि अस्पताल में किसी चीज की सुविधा नहीं है। सीनियर डॉक्टर आते तक नहीं है। फोन पर ही सारा इलाज करते हैं। भाई के इलाज के लिए सारी चीजें बाहर से मंगाई गईं। अस्पताल में जेलको तक नहीं मिला। हर जांच बाहर से कराई गई। इसके बाद भी भाई को बचा नहीं पाए। पहले किडनी फेल होना बताते रहे। सब कुछ अंदाजा में इलाज किया गया। भाई का सुगर हाई था लेकिन डॉक्टर कुछ और ही इलाज करते रहे। लापरवाही के कारण ही जान चली गई।
बच्चों के सिर से छिन गया पिता का साया
संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से गनपत द्विवेदी का पूरा घर ही बिखर गया। अब उनके परिवार का भरण पोषण करने वाला कोई नहीं बचा। गनपत किसी तरह बिजली की फिटिंग का काम करके परिवार पाल रहा था। माता, पिता पहले ही चल बसे थे। अब सिर्फ पत्नी और दो छोटे बच्चे थे। उनके लालन पालन की जिम्मेदारी गनपत के पास ही थी। अब वह अनाथ हो गए। पिता का साया भी उनके सिर से उठ गया। खेती बाड़ी भी नहीं है। ऐसे में पूरा परिवार ही सड़क पर आ गया है। बच्चों के सिर से पिता का साया ही उठ गया।