बाल संप्रेक्षण गृह से भागे बच्चों को किया जाता था प्रताडि़त, लेटर बाक्स से खुला राज
बाल संप्रेक्षण गृह में रखे गए 8 बाल अपचारी भाग गए थे। मामले की जांच शुरू हुई तो यहां की पोल खुलने लगी। लेटर बाक्स भी खुला। उसमें निकले खत ने पूरे सिस्ट को ही हिला दिया है। बाल अपचारियों ने पत्र में संप्रेक्षण गृह में हो रही प्रताडऩा की पोल खोल दी है। भागने के पहले बाल अपचारियों ने लेटर बाक्स में यहां के कर्मचारियों की कारस्तानियां लिखकर बयां की थी।
रीवा। बाल संप्रेक्षण गृह रीवा से बाल अपचारियों के भागने के मामले समय-समय पर सामने आने के बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा। कर्मचारियों की लापरवाहीं के चलते इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। विदित हो कि बीते 19 जुलाई को बाल संप्रेक्षण गृह से 8 बच्चे भाग गए थे। बाल अपचारी संस्था से छत में जाने वाले दरवाजे का ताला खोलकर भागे थे। मामले में अधीक्षक संप्रेक्षण गृह रीवा के द्वारा बच्चों को छत के दरवाजे की चाबी देने की बात सामने आई थी, वहीं इनके द्वारा बाद में बताया गया कि उन्होंने अपने दराज में चाबी रखी थी। उक्त मामले की जांच के लिए जिला कार्यक्रत अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग की चार सदस्यीय टीम बनाई गई थी। जांच में पता लगा कि अधीक्षक के द्वारा लापरवाही पूर्वक अपने कक्ष के दराज में चाबी रखना पाया गया । साथ ही इसकी जानकारी बच्चों को थी। इसके साथ ही संप्रेक्षण गृह से भागे बाल अपचारियों ने संस्था की शिकायत पेटी में व कुछ बच्चों ने पत्र देकर मौके से भागे थे। उक्त पत्र में बच्चों ने अपनी पीड़ा बयां की थी साथ ही अव्यवस्थाओं की जानकारी दी थी। प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्यायालय के नाम लिखे पत्र में बाल अपचारियों ने बाल संप्रेक्षण गृह में पदस्थ ं सहायक ग्रेड तीन के कर्मचारी पुष्पराज सिंह के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे। जानकारी दी गई थी उक्त कर्मचारी द्वारा बच्चों से जमानत कराने के नाम पर पैसों की मांग की जाती रही। पैसा नहीं देने पर बच्चों से बर्बरतापूर्ण मारपीट भी की जाती थी। भागे हुए बच्चों ने भागने से पहले लेटर बाक्स में अलग-अलग तीन पत्र डाले थे ।
प्रधान मजिस्ट्रेट ने कलेक्टर को लिखा था पत्र
मामला सामने आने के बाद प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्यायालय बोर्ड रीवा नीलिमा देवदत्त ने कलेक्टर को लिखे पत्र में कर्मचारियों की कमी, अव्यवस्था, सुरक्षा की कमी एवं कर्मचारियों के द्वारा प्रताडि़त होने से बच्चों के द्वारा संस्था से भागने का निर्णय लिए जाने की जानकारी दी थी। साथ ही संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर अवगत कराने का जिक्र किया था। लेकिन मामले में तत्कालीन अधीक्षक रमेश रजक और एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया वहीं जिस कर्मचारी पर गंभीर आरोप लगे वह अभी वहीं जमा हुआ है। बताते हैं कि संस्था में पदस्थ पुष्पराज सिंह की पदस्थापना एकीकृत बाल विकास परियोजना गंगेव में है जो संप्रेक्षण गृह रीवा में लंबे समय से अटैच है। पूर्व में भी इनके ऊपर संस्था में रह रहे बालकों से बर्बरता पूर्वक मारपीट करने का आरोप लगा था साथ ही पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी।
एक साल पहले भी भागे थे पांच बच्चे
बाल संप्रेक्षण गृह में अव्यवस्थाओं के चलते बाल अपचारियों के भागने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। मालूम हो कि चालू वर्ष जुलाई माह में आठ बच्चों के भागने के पहले 29 अगस्त 2022 को भी दिनदहाड़े पांच बच्चे भाग गए थे। इसी के साथ चालू वर्ष में 7 फरवरी 2023 को भी एक बच्चा अधीक्षक की लापरवाही के कारण उनकी बाइक से उतरकर भागा था साथ ही उनका मोबाइल भी ले गया। बहरहाल कार्रवाई नहीं होने से बाल संप्रेक्षण गृह की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा।