ईएल बिल पास कराने लिपिक ने मांगे डेढ़ लाख, 50 हजार रिश्वते लेते ट्रेप हुआ

स्कूल शिक्षा विभाग का एक और लिपिक रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा गया। रिटायर्ड शिक्षक से ईएल का बिल पास कराने के लिए डेढ़ लाख की राशि मांगी थी। पहली किश्त की 50 हजार की राशि लेते लिपिक को लोकायुक्त ने रंगे हाथों धरदबोचा। लिपिक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है।

ईएल बिल पास कराने लिपिक ने मांगे डेढ़ लाख, 50 हजार रिश्वते लेते ट्रेप हुआ

बीईओ रायपुर कर्चलियान में पदस्थ लेखापाल ने मांगी थी रिटायर्ड शिक्षक से रिश्वत
बीईओ और कोषालय अधिकारी को भी कमीशन देने की बात कही थी
रीवा। शिक्षा विभाग से रिटायर हुए शिक्षक वीरेन्द्र कुमार शर्मा निवासी ग्राम सुरसा खुर्द तहसील रायपुर कर्चुलियान ने एक शिकायत लोकायुक्त के पास की थी। शिकायत में कहा था कि वह डेढ़ साल पहले विभाग से रिटायर हो गए हैं। उनके दो बिल अब तक क्लीयर नहीं हुए। इसमें से एक अर्जित अवकाश नगदीकरण और दूसरा सातवें वेतमान का एरियर का बिल शामिल था। बीईओ कार्यालय रायपुर कर्चुलियान में पदस्थ लेखापाल दयाशंकर अवस्थी के पास रिटायर्ड शिक्षक के पास ईएल का बिल की फाइल लंबित थी। रिटायर्ड शिक्षक ने बिल क्लियर कराने की मांग की तो लेखापाल ने पहले 1 लाख 60 हजार रुपए की मांग कर दी। इसके बाद बात 1 लाख 50 हजार रुपए में डील फाइनल हुई। पहली किश्त 50 हजार रुपए के रूप में मांगी गई। रिटायर्ड शिक्षक ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से कर दी। एसपी लोकायुक्त ने शिकायत की जांच कराई। जांच सही पाई गई। इसके बाद 11 सदस्यीय टीम बनाई गई और लेखापाल को ट्रेप करने की रणनीति तैयार की गई। रिटायर्ड शिक्षक को दयाशंकर अवस्थी के पास बताए अनुसार जगह पर 50 हजार रुपए के साथे लोकायुक्त की टीम ने भेजा। लेखापाल ने रुपए लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के सामने टीन सेड के नीचे पार्किंग में बुलाया। जैसे ही लेखापाल को रिटायर्ड शिक्षक ने रुपए दिए। वैसे ही लोकायुक्त ने रिश्वत की रकम के साथ लेखापाल को धरदबोचा। लेखापाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है। ट्रैप की कार्रवाई में प्रमुखर रूप से उपपुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र कुमार, प्रवीण सिंह परिहार, उप अधीक्षक राजेश खेड़े सहित 15 सदस्यीय टीम शामिल रही।
डीईओ कार्यालय में भी पदस्थ रहे दयाशंकर
लेखापाल दयाशंकर अवस्थी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी पदस्थ रहे। राजनीतिक सिफारिश पर वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ रहे। स्थापना की तीन की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई थी। डीईओ कार्यालय में पदस्थापना के दौरान भी इनकी लगातार शिकायतें मिलती रही। यही वजह है कि इनका अटैचमेंट खत्म कर इन्हें मूलपदांकित संस्था में भेज दिया गया था। इसके बाद भी दोबारा आने के प्रयास में काफी जोरों से लगे थे लेकिन जुगाड़ नहीं लग पाया।
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कई प्राचार्यों के डीईओ आफिस में लंबित है फाइल
यह हालात सिर्फ बीईओ कार्यालय में ही नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी रिटायर्ड प्राचार्यों के ईएल के बिल महीनों से लंबित पड़े हुए हैं। प्राचार्य इसकी शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी उनका बिल पास नहीं हो रहा है। प्राचार्यों से ईएल का बिल पास करने के लिए कमीशन मांगा जा रहा है। यह खेल सभी जगह चल रहा है।