समान स्कूल के कायाकल्प के लिए कलेक्टर के दिए 30 लाख, गायब हो गए
समान स्थित शासकीय हाईस्कूल के छात्रों का बुरा हाल है। छात्रों को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं हो पा रहा है। इस भीषण गर्मी में विद्यालय पहुँचने वाले बच्चों को नजदीकी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पानी की भीख मांगनी पड़ती है। विद्यालय में पानी की एक टंकी है लेकिन उसकी वर्षों से सफाई नहीं हुई। उसका पानी इतना गंदा है कि पीने वाला दूसरे दिन बीमार हो जाये। यह स्थिति तब है, जब विद्यालय को पेयजल के लिए करीब दो वर्ष पहले 30 लाख रुपये आवंटित किये गए थे।
रीवा। तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी. ने जिला पंचायत के माध्यम से उक्त राशि विद्यालय को दिलवाई थी। इस राशि से विद्यालय में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था करनी थी। साथ ही, कुछ अन्य रखरखाव में पैसा खर्च होना था। इसके बावजूद कलेक्टर द्वारा दिया पैसा जिम्मेदारों ने हजम कर लिया। आज दिनांक तक उक्त राशि का सदुपयोग नहीं हुआ। मामले को लेकर कई दफा शिकायत हुई। बच्चों को परेशान होता देख अभिभावकों ने भी शिकायत की लेकिन इन शिकायतों को जिम्मेदारों द्वारा दबा दिया जाता है। अब स्थिति चाहे जो भी हो, राजनीति, कमीशनखोरी अपनी जगह है लेकिन कम से कम मासूम बच्चों को पेयजल के लिए परेशान न होना पड़े, ऐसी व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन को बनानी चाहिए। एनएच-7 मार्ग में पेयजल के लिए भागने पर किसी दिन बच्चों के साथ दुर्घटना हो सकती है, जिसका जिम्मेदार भी विद्यालय प्रबंधन ही होगा।
मैदान में भरा बरसाती पानी, परिसर में फैली गंदगी
सूत्र बताते हैं कि इस विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य शैलजा सिंह पटेल हैं, जो स्वयं नियमित विद्यालय नहीं पहुँचती। उनके द्वारा लापरवाही बरते जाने के कारण विद्यालय परिसर में गंदगी पसरी रहती हैं। बरसात के दिनों में विद्यालय के मैदान में गंदा पानी भरा है, कीचड़ फैला है। इस कारण छात्रों को प्रतिदिन परेशान हो रही है। गंदगी होने के कारण विद्यालय परिसर में दिन के समय भी मच्छरों का आतंक रहता है। इस गंदगी के आलम में बच्चों में अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।