ठेंगे पर नियम कायदे रखकर बसा डाली कालोनी, एसडीएम ने शांति विला का रोका था निर्माण फिर कुछ नहीं हुआ, सब कुछ जैसे का तैसा

अवैध कालोनियों की रीवा में बाढ़ आ गई। नियमों को ठेंगे पर रखकर नदी, नालों को पाटकर अवैध कालोनियां बसाई जा रही है। रेरा का न तो इसके पास पंजीयन है और न ही कोई गाइड लाइन है। फिर भी धड़ल्ले से कालोनियां बस रही हैं। इन पर प्रशासन रोक नहीं लगा पा रहा। बीहर नदी को पाट कर शाही रिवर व्यू और शांति विला कालोनी बसा दी गई। एसडीएम हुजूर ने जोश दिखाया था लेकिन अब वह भी ठंडा पड़ गया है। अब तक नदी का रुख मोडऩे वाली दीवार नहीं टूटी। अवैध कालोनी में कामकाज फिर से शुरू हो गया है। इन अवैध कालोनियेां के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता ने मोर्चा खोला है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज कराई है।

ठेंगे पर नियम कायदे रखकर बसा डाली कालोनी, एसडीएम ने शांति विला का रोका था निर्माण फिर कुछ नहीं हुआ, सब कुछ जैसे का तैसा

नगर निगम क्षेत्र के साथ ही रीवा के आसपास के गांवों में बन रही अवैध कालोनियां
प्लाटिंग कर बेंची जा रही भूमियां, रेरा के नियमों का पालन तक नहीं हो रहा है
रीवा।अवैध कालोनियां शहर के विकास में बड़ी बाधक बन रही हैं। पिछले एक दशक में रीवा नगर व उसके आसपास के विशिष्ट गावों की कृषि प्रयोज्य भूमि में आवासीय कॉलोनियां बसाई गई हैं। शहर में हर मोहल्लों में प्लाटिंग कर कालोनी बसाई जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता बीके माला ने इन अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की है। शिकायत में आरोप लगाया है कि जो भी कॉलोनियां बसाई जा रहीं वह ग्राम एवं नगर निवेश (टीएनसीपी) व अनुविभागीय अधिकारी से बगैर अनुमति रेरा के प्रावधानों को उल्लंघन किया जा रहा है। आरोप है कि नगर व उससे आसपास के गावों में लगभ 200 से अधिक रकबे में एक दर्जन से अधिक कॉलोनियां बसा दी गई है। शिकायत में कई बड़े बिल्डरों शांति इंफ्रा. मढ़ी अटरिया, शांति विलास करहिया, शाही रिवर व्यू करहिया, रतन नगर करही, विंड गु्रप चोरहटा के साथ रतहरा, करही, चोरहटा व अन्य वार्डों में रेरा के प्रवाधानों का उल्लंघन कर कॉलोनी बनाने और भूखंड बनाकर बिक्री करने का आरोप लगाया गया है। शिकायतकर्ता ने रेरा के प्रावधानों का उल्लंघन कॉलोनी बसाने वालों के कार्यवाही की मांग की है।


कौन सी कॉलोनी कितने रकबे में
कलेक्टर से जिन नवीन आवासी कॉलोनियों को रेरा के प्रावधानों का उल्लंघन कर अवैध करार देते हुए कार्रवाई की मांग की गई है
शांति इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्राम मढ़ी पटवारी हल्का अटरिया क्रमांक 54 राजस्व निरीक्षक मण्डल बनकुइयां हुजूर के खसरा 223, 227, 230, 232, 237, 240, 242, 243, 244, 245, 246, 249, 252, 256, 257, 259, 270, 277, सहित अन्य खसरा नंबर की लगभग 20 एकड़ भूमि पर मेसर्स शान्ती इन्फ्रास्ट्रक्चर भागीदार उपेन्द्र सिंह द्वारा 2012 से आवासीय कॉलोनी काटकर भूखण्डों का विक्रय व भवनों का निर्माण।
- शांति विलास: करहिया में उपेन्द्र सिंह द्वारा भूमि खसरा 318, 337, 338, 341, 342, 346, 347, सहित अन्य खसरा नंबर की लगभग 30 एकड़ भूमि शान्ती विलास द्वितीय फेज के रूप में कॉलोनी विकसित की जाकर भूखण्डों का विक्रय किया जा रहा।
- शाही रिवर व्यू: करहिया में ही शाही बिल्डर के शाहीन खान द्वारा भूमि खसरा 363, 366, 367, 368, 370, की लगभग 6 एकड़ भूमि पर कॉलोनी बनाकर भूखंड बिक्री जारी।
रतन नगर: नगर निगम रीवा के वार्ड 6 के करही में भूमि खसरा 02-10 सहित अन्य खसरा नंबर की लगभग 40 एकड़ भूमि पर खुसलानी ब्रदर्स चंदू खुशलानी द्वारा भूखंड बेच कर अवैध कॉलोनी का विस्तार किया जा रहा है।
रतहरा कॉलोनी: नगर निगम रीवा के वार्ड 15 रतहरा स्थित भूमि खसरा 38, 39, 40, 47, 49, 50, 51, 52, सहित अन्य खसरा नंबर की लगभग 50 एकड़ भूमि पर ऐश्वर्य राज सिंह, उपेन्द्र सिंह द्वारा भूखंड बनाकर बिक्रीकर अवैध कॉलोनी का  निर्माण।
बिंड गु्रप: नगर निगम रीवा के वार्ड 4 चोरहटा स्थित भूमि खसरा क्र. 765 रकबा लगभग 5 एकड़ भूमि में बिंड ग्रुप के तौसीफ अहमद अवैध कॉलोनी का निर्माण।
अर्थ बिल्डर: वार्ड क्र. 4 चोरहटा में ही स्थित भूमि खसरा 835, 721, 718, 417, 719, 414, सहित कई अन्य खसरा नंबरानों की लगभग 15 एकड़ भूमि में मेसर्स अर्थ बिल्डर द्वारा पार्टनर नीरज सिंह, रामायण प्रसाद साकेत द्वारा भूखंड बनाकर अवैध कॉलोनी बनाने का आरोप लगाया है।
इसलिए बताया अवैध
शिकायत पत्र में बताया गया है कि रेरा के प्रावधानों के मुताबिक किसी भूमि पर कॉलोनी विकास हेतु प्रस्तावित भूखण्डीय अभिन्यास में न्यूनतम 54 प्रतिशत एवं अधिकतम 60 प्रतिशत भूमि आवासीय भूखण्डों के रूप में प्रस्तावित की जा सकती है शेष भूमि सड़क, पार्क, सर्विस एरिया निम्न आय वर्ग, अल्प आय वर्ग सहित कॉलोनी के निवासियों के उपयोग उपभोग हेतु छोड़ी जाती है। तथा उक्त सुरक्षित रखी गई भूमि में सड़क, नाली, बिजली, जल निकास, उद्यानों का विकास आदि का प्रांक्कलन के अनुसार विकास करना विकासकर्ता के लिए आवश्यक होता है जिस हेतु आंतरिक विकास के एवज में भूखण्ड सक्षम प्राधिकारी द्वारा गिरवी रखे जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। आरोप है कि संबंधितों द्वारा केवल 17 से 20 प्रतिशत भूमि ही शेष छोड़ी गई है।
नदी-नालों में कर लिया कब्जा
देखा यह गया कि अधिकांश बिल्डरों ने कृषि भूमि के साथ ही नदी-नालों की भूमि पर भी कब्जा कर लिया है। यहां तक कि बीहर नदी के ग्रीन बेल्ट ऐरिया में कॉलोनी बसा दी गई जबकि कई नालों का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया। अभी हाल ही में एसडीएम हुजूर द्वारा शाही रिवर व्यू व शांति विला के निर्माण कार्यों पर रोक भी लगाई गई थी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। फिर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।