संवेदनाएं हुईं शून्य: दो दिन से मृतकों के शव मर्चुरी में रखी है और एसजीएमएच के डॉक्टर लड़ रहे हैं

डॉक्टरों की संवेदनाएं शून्य हो गई है। अपनों को खोने के बाद परिजन शव के लिए भटक रहे हैं। अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। संजय गांधी अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं। दो दिनों से शव मर्चुरी में रखी है। पीएम नहीं हो रहा है। पीएम के लिए डॉक्टर लड़ रहे हैं। डीन के आदेश को मानने से इंकार कर दिया गया है। परेशान पीडि़तों ने शनिवार को जमकर हंगामा किया लेकिन राहत नहीं मिली। डीन ने कड़े तेवर दिखाए हैं। साफ कर दिया है कि सीएमओ पीएम करेंगे तो संजय गांधी में रहेंगे वर्ना इन्हें यहां से चलता कर दिया जाएगा।

संवेदनाएं हुईं शून्य: दो दिन से मृतकों के शव मर्चुरी में रखी है और एसजीएमएच के डॉक्टर लड़ रहे हैं

तीन शवों मर्चुरी में दो दिन से रखे हैं, पीएम नहीं होने से परिजनों ने किया हंगामा
आकस्मिक चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों की लगाई गई थी ड्यूटी, उन्होंने साफ इंकार कर दिया
रीवा। ज्ञात हो कि अभी तक फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के पास ही संजय गांधी अस्पताल में पहुंचने वाले शव के पीएम की जिम्मेदारी थी। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के पास फैकल्टी का ही टोटा पड़ गया है। ऐसे में इस विभाग में डॉक्टरों की कमी हो गई है। पीएम करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि डीन श्याम शाह मेडिकल कॉलेज ने पीएम के कार्यों में नया बदलाव किया। सप्ताह में तीन दिन फोरेंसिक विभाग और चार दिन आकस्मिक चिकित्सा विभाग पीएम की जिम्मेदारी दे दी गई। आदेश भी जारी कर दिया गया लेकिन डीन के आदेश को मानने से आकस्मिक चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है। लिखित में डीन को पत्र भी दे दिया है। इसके बाद से ही मामला गर्मा गया है। दो विभागों के बीच हुए कार्यविभाजन के बाद अब डॉक्टर ही आमने सामने आ गए है। दो विभागों की इस लड़ाई में मृतकों के परिजन परेशान हो रहे हैं। संजय गांधी अस्पताल में दो दिनों से पीएम नहीं हुआ है। मृतकों के शव मर्चुरी में रखा हुआ है। परिजन शव लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। उनके दुखों का अंत ही नहीं हो पा रहा है। अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे। इसी बात से नाराज परिजनों ने शनिवार को पहले सीएमओ एसजीएमएच को घेरा। वहां से आश्वासन नहीं मिला तो डीन के पास पहुंच गए। डीन से मिलने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली है। गुस्साए परिजनों ने अल्टीमेटम दिया है कि अब पीएम नहीं हुआ तो ताला तोड़कर शव ले जाएंगे। जल्द ही इस पर कोई बीच का रास्ता नहीं निकाला गया तो स्थितियां तनावपूर्व हो जाएंगी।


आकस्मिक चिकित्सा विभाग ने लिखा डीन को पत्र
पीएम के लिए आकस्मिक चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों को भी जिम्मेदारी दी गई है। इस जिम्मेदारी को निभाने से डॉक्टरों ने इंकार कर दिया है। डीन को पत्र लिखकर कहा है कि पोस्ट मार्टम का कार्य फॉरेंसिक विभाग का है। विभाग में डॉ रजनीश पाण्डेय, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ डी के मिश्रा, डॉ पुष्पा पटेल पदस्थ हैं। स्नातकोत्तर छात्र भी कार्यरत हैं। मप्र के किसी भी मेडिकल कॉलेज में पोस्ट मार्टम फॉरेंसिक विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग नहीं करता है। आकस्मिक चिकित्सा विभाग में पदस्थ महिला चिकित्सक अपने नियमित कार्य के अलावा हर महीने 7-8 अतिरिक्त महिला एमएलसी देखती हैं। अस्पताल के नियमित एमएलसी के अलावा यहां पदस्थ पुरुष चिकित्सकों को अन्य कार्यों का प्रभार भी है। आकस्मिक चिकित्सा विभाग में पदस्थ डॉ अपराजिता पाण्डेय, डॉ सुप्रिया अग्रवाल, डॉ वाईएस बघेल, डॉ यत्नेश त्रिपाठी, डॉ अतुल ङ्क्षसह, डॉ संतोष सिंह, डॉ अलख प्रकाश, डॉ सौरभ गोयल, डॉ शैलजा सोनी शामिल हैं। इन्होंने विरोध किया है।

तोडफ़ोड़ के डर से कर्मचारी भी हो गए गायब
मर्चुरी विभाग में पदस्थ कर्मचारी भी डरे हुए हैं। दो दिनों से पीएम नहीं हो रहा है। शव मर्चुरी में रखी हुई है। परिजन पहुंच कर हंंगामा कर रहे हैं। कर्मचारियों पर ही गुस्सा उतार रहे हैं। यही वजह है कि मर्चुरी के कर्मचारी डरे हुए हैं। तोडफ़ोड़ के डर से वह गेट पर ताला लगाकर गायब हो गए हैं। कर्मचारियेां का कहना है कि फॉरेंसिक विभाग के डॉक्टर पीएम कर रहे हैं। सीएमओ की ड्यूटी लगाई है। वह पीएम नहीं कर रहे। इसी वजह से यह स्थिति बनी हुई है।


दो दिन से लगा रहे हैं चक्कर
अमवा के पूर्व सरपंच मणिराज ङ्क्षसह ने बताया कि महावीरकुशवाहा ग्राम पंचायत अमवा के शुक्रवार को निधन हो गया है। कल से पीएम नहीं हुआ है। शनिवार को 10 बजे बुलाया गया। इसके बाद भी पीएम नहीं हुआ। सभी परेशान हैं। डीन और सीएमओ से मिले। बोले 12 बजे तक हो जाएगा लेकिन कुछ नहीं हुआ। दोनों अधिकारी साथ में थे। एक दूसरे पर ही मामला डाल रहे थे। हम डेड बाडी मांग रहे हैं। वह भी नहीं दे रहे हैं। अब पीएम नहीं होगा तो ताला तोड़कर बाडी ले जाएंगे। सीएमओ ने कहा कि आप कुछ भी करिए तोडफ़ोड़ करिए, हंगामा करिए हमसे कोई मतलब नहीं है।
रवि कुमार साकेत ने बताया कि उनके बड़े भैया संदीप कुमार साकेत की डेड बाडी रखी है। वह मऊगंज से आए हैं। शुक्रवार को बड़े भाई कीटनाशक दवा खा लिए थे। उनकी मौत हो गई थी। पीएम नहीं हो रहा है। वहां ताला लगाकर कर्मचारी चले गए हैं। दो घंटे से यहां डीन चेम्बर के बाहर खड़े हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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अभी तक फॉरेंसिक विभाग ही पीएम कर रहा था। विभाग में सिर्फ एक डॉक्टर ही रह गए हंै। इसलिए सीएमओ के बीच में पीएम के कार्यों का विभाजन किया गया है। दो दिन सीएमओ को पीएम करने के लिए कहा गया है। इससे भी उन्होंने इंकार कर दिया है। यह सभी चिकित्सा अधिकारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा अधिकारी पीएम करते हैं। इनका काम ही यही है। यदि यहां नहीं होते तो अपने विभाग में पीएम करते। यहां डेपोटेशन में आए हैं। यदि पीएम नहीं करते हैं तो इन्हें बाहर कर देंगे।
डॉ मनोज इंदूरकर
अधिष्ठाता, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा