ब्लैक लिस्टेड लैब से ठेकेदार कराते रहे गुणवत्ता की जांच और एजेंसियां करती गई भुगतान, अब खुला राज तो मचा हड़कंप

निर्माण कार्यों में बड़ा खेल हो गया। घटिया काम को भी ठेकेदारों ने ब्लैक लिस्टेट कंपनी की लैब से गुणवत्ता रिपोर्ट तैयार कर बिल पास करा लिया। करोड़ों रुपए का काम भी हो गया। अब पोल खुली तो निर्माण एजेंसियों और ठेकेदारों की करतूत उजागर हो गई है। रीवा संभाग ही नहीं प्रदेश में हुए कार्यों पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। इसकी शिकायत आयुक्त रीवा से की गई है।

ठेकेदार निर्माण सामग्री की जांच अपने हिसाब से लैब से कराते थे और बनवाते थे रिपोर्ट
मुख्य अभियंता पीडब्लूडी ने सतना की  फ्लामेक्स प्राइवेट लिमिटेड लैब की रिपोर्ट पर लगाई रोक
रीवा में अधिकांश काम इसी लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर हुए
रीवा। आपको बता दें कि निर्माण एजेंसियां कोई भी काम यदि कराती हैं तो उसमें उपयोग होने वाली सामग्री की जांच कराती हैं। ठेकेदारों को प्रयोगशालाओं से स्टील, सीमेंट, कांक्रीट, बिटुमिन आदि की गुणवत्ता की जांच करानी होगी है। टेस्टिंग रिपोर्ट के बाद ही काम करना होता है। उसी गुणवत्ता का काम फील्ड में ठेकेदारों को करना होता है। लेकिन इस काम में ही खेल कर दिया गया। बिना एनएबीएल संस्था द्वारा प्राधिकृत संस्था से ठेकेदारों ने गुणवत्ता परीक्षण कराकर करोड़ों रुपए के कार्य करा लिए। इनका निर्माण एजेंसियों ने भुगतान भी कर दिया। अब इस प्रयोगशाला का सच सामने आया तो निर्माण एजेंसियों और ठेकेदारों की पोल खुल गई है। अब तक जितने भी सतना में संचालित फ्लामेक्स प्राइवेट लिमिटेड से जांच रिपोर्ट लगाई गई। सभी अमान्य करार दिए गए हैं। फ्लामेक्स प्राइवेट लिमिटेड सतना लैब की रिपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए अधिवक्ता बीके माला ने आयुक्त रीवा संभाग रीवा को पत्र लिखा है।
इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं देते थे सैम्पल
पीडब्लूडी, पीआईयू, आरईएस, हाउसिंग बोर्ड एजेंसियों के करोड़ों के प्रोजेक्ट संचालित हैं। कई करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। इन एजेंसियेां के तहत काम करने वाले ठेकेदार अपने हिसाब से टेस्टिंग रिपोर्ट तैयार कराने के लिए ही सतना फ्लामेक्स प्राइवेट लिमिटेड में सेम्पल देते हैं। यही वजह है कि रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज में भी सेम्पल टेस्टिंग होने की व्यवस्था के बाद भी यहां जाने से कतराते हैं। अब ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों की पोल खुल गई है।
इसलिए नहीं टिकता कोई भी निर्माण
छोटे से छोटे निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री की टेस्टिंग कराने का नियम है। इसमें कितने का मिश्रण तैयार होना है। इसकी भी टेस्टिंग कराने का नियम हैं। प्राइवेट लैब से मनमानी तरीके से रिपोर्ट तैयार कराने का ही नतीजा है कि करोड़ों रुपए के काम भी ज्यादा समय तक नहीं टिकते। सड़क, पुल, आवास, कार्यालय तक के निर्माण में गुणवत्ता का आभाव कुछ ही सालों में साफ नजर आता है।
मुख्य अभियंता भोपाल ने जारी किया पत्र
मुख्य अभियंता पीडब्लूडी भोपाल आरके मेहरा ने 3 अक्टूबर 2024 को लोक निर्माण विभाग परिक्षेत्र भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर रीवा, सागर, सेतु, राष्ट्रीय राजमार्ग को पत्र जारी किया था। इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि फ्लामैक्स प्राइवेट लिमिटेड सतना से लोक निर्माण विभाग के कार्यों में किसी भी प्रकारकी टेस्टिंग नहीं की जाए। विभागीय सभी यंत्रियों के स्तर पर इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किए गए थे।
कूटरचित निकली थी रिपोर्ट
फ्लामैक्स प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट पर मुख्य अभियंता गंगा कछार जल संसाधन विभाग ने भी आपत्ति दर्ज की थी। सभी अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग को पत्र लिखकर निर्माण कार्यों के गुणवत्ता परीक्षण एनएबीएल संस्था द्वारा प्राधिकृत प्रयोगशाला से ही कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया कि अधीक्षण यंत्री बाण सागर पक्का बाध मंडल देवलोंद जिला शहडोल के संदर्भित पत्र अनुसार बाण सागर कालोनी स्थित रोड के मरम्मत कार्य में बिटुमिन सड़क का परीक्षण फ्लामैक्स प्राइवेट लिमिटेड सतना के माध्यम से कराया गया। यह संस्था एनएबीएल द्वारा जारी प्राधिकार प्रमाण पत्र के अनुसार प्राधिकृत नहीं है। ऐसे में इस संस्था से दी गई गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट को कूटरचित माना गया था। विभाग द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों को भी गुणवत्तायुक्त नहीं माना गया।