भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार: मेडिकल कॉलेज के नए भवन की भरभरा कर गिरी फॉल सीलिंग, दो डॉक्टरों की बच गई जान

मंगलवार को मेडिकल कॉलेज के नए अकादमिक भवन में बड़ी दुर्घटना टल गई। नए अकादमिक भवन की फाल सीलिंग भरभरा कर अचानक गिर गई। गनीमत यह रही कि दो डॉक्टर इसकी चपेट में आने से बच गए। वर्ना इनके जान पर भी बन आती। नया भवन बनने के साथ ही भ्रष्टाचार की कहानी बयां करने लगा है। पूरे भवन की फाल सीलिंग गिर रही है। यह फाल सीलिंग दो डॉक्टरों की जान तक ले लेती।

भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार: मेडिकल कॉलेज के नए भवन की भरभरा कर गिरी फॉल सीलिंग, दो डॉक्टरों की बच गई जान

नया भवन अभी बना और धरासाई भी होने लगा
सेकंड फ्लोर में गिरी फॉल सीलिंग तो मचा हड़कंप, ठेकेदार ने गेट पर जड़वा दिया ताला
रीवा। डिप्टी सीएम रीवा को मेडिकल हब बनाना चाह रहे हंै। करोड़ों रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज भवन, हास्टल और अस्पताल भवन बना रहे हैं। लेकिन इनकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि पीआईयू के अधिकारी और ठेकेदार मिल कर भ्रष्टाचार का भवन तैयार कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के दो अकादमिक भवन बनाए गए हैं। इनके निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन यह शुरू होने के पहले ही भ्रष्टाचार और अनियमितता की कहानी बयां करने लगे हैं। मेडिकल कॉलेज के ठीक पीछे अकादमिक भवन का ब्लाक नंबर दो बना हुआ है। इस भवन में मेडिकल कॉलेज के कुछ विभागों को शिफ्ट किया गया है। विभाग शिफ्ट करने के बाद मंगलवार को दो डॉक्टर कक्ष का निरीक्षण करने पहुंचे थे। कक्ष का अवलोकन करके दो कदम आगे ही बढ़े थे कि तभी उनके सिर के ऊपर लगी फॉल सीलिंग भरभरा कर नीचे आ गिरी। गनीमत यह रही कि वह उस दौरान उसके नीचे नहीं थे। वर्ना बड़ा हादसा हो सकता था। फॉल सीलिंग गिरने के बाद मौके पर मौजूद मेडिकल कॉलेज का स्टाफ वहां से भाग खड़ा हुआ। इसकी जानकारी जैसे ही कॉलेज प्रबंधन और निर्माण एजेंसी के अधिकारियों को हुई। हड़कंप मच गया। ठेकेदार ने कॉलेज के गेट पर ताल जड़वा दिया और खामियों पर पर्दा डालने काम शुरू करा दिया। नए अकादमिक भवन में द्वितीय तल, तृतीय तल में लगी फॉल सीलिंग काफी गिर चुकी है। जो बची है वह गिरने की कगार पर है। यहां फिलहाल तो कॉलेज के छात्रों को शिफ्ट करना खतरे से खाली नहीं रह गया है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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पहले तृतीय तल की गिर गई थी फॉल सीलिंग
द्वितीय तल में पीएसएम विभाग को शिफ्ट किया गया है। मंगलवार को यहां फाल सीलिंग गिर गई। वहीं इसके तृतीय तल में पुस्तकाल को शिफ्ट किया जा रहा है। तृतीय तल में पुस्तकालय कक्ष के सामने भी काफी बड़ा हिस्सा फाल सीलिंग का पहले ही भरभरा कर गिर चुका है। यहां एक लेक्चर हाल बना हुआ है। इसमें रूफ टॉप एसी लगी है। इसकी फॉल सीलिंग भी काफी कुछ गिर चुकी है। घटिया स्तर की फाल सीलिंग लगाने से हादसे पर हादसे हो रहे हैं।
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पूरा भवन रिस रहा, दीवारों पर सीपेज आ गया
अभी भवन बन कर तैयार हुआ है। इस भवन में करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन इसके निर्माण में भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी गई हैं। भवन इतना गुणवत्ताही बनाया गया है कि बारिश का पानी ऊपरी मंजिल से लेकर ग्राउंड फ्लोर तक धार में गिर रहा है। दीवारों पर सीपेज आ गया है। भवन के पिलर और बीम से पानी रिस कर अंदर तक पहुंच रहा है। मामला उजागर होने के बाद अब ठेकेदार इसमें लीपापोती करने में लगा है लेकिन खामियां ऐसी हैं जिसे सुधारा नहीं जा सकता। यह घटिया बिल्डिंग अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के लिए सिर दर्द बन जाएगी।
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जिस भवन का राज्यपाल ने किया शुभारंभ, उसकी भी फाल सीलिंग गिरी
मेडिकल कॉलेज के पुराने भवन के पास ही अकादमिक भवन ब्लाक ए बना हुआ है। इस भवन का शुभारंभ मप्र के राज्यपाल और डिप्टी सीएम ने विधानसभा चुनाव के पहले किया था। इस भवन की एक साल बाद भी शुरुआत नहीं हो पाई। छात्रों को नए भवन में बैठने तक का मौका नहीं मिला। अब यह जर्जर होने लगा है। यहां भी तीसरे तल की फॉल सीलिंग भरभरा कर गिर गई।
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पीएसएम के डॉक्टर और स्टाफ हो गए बेघर
नए भवन में पीएसएम विभाग को पूरी तरह से शिफ्ट कर दिया गया है। एक कुर्सी तक शिफ्टिंग के लिए नहीं बची है। अब पीएसएम विभाग न घर का रहा न घाट का, उसके पास बैठने तक के लिए जगह नहीं बची है। हादसे के बाद विभाग के डॉक्टरों को नए भवन में जाने से भी रोक दिया गया है। अब शिफ्टिंग एक महीने के लिए रोक दी गई है।
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करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया
अकादमिक भवन के निर्माण में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। शासन से मिला बजट पीआईयू के अधिकारी और ठेकेदारों ने मिलकर डकार लिया और घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। इसके कारण अब भवन नया बनने के बाद भी जर्जर हालत में पहुंच गया है। इसमें इंटीरियर में भी घटिया सामग्री लगाई जा रही है। अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। इस मामले की जांच के बाद गुणवत्ता की भी पोल खुल जाएगी।
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डीन ने जोखिम में डाल दी
मेडिकल कॉलेज डीन की भी इसमें बड़ी लापरवाही सामने आई है। अभी भवन हैंडओव्हर नहीं हुआ और भवन में शिफ्टिंग भी शुरू करा दी गई। गुणवत्ता की प्रबंधन ने जांच भी नहीं की। यहां के हालात पहले से ही बुरे थे। फॉल सीलिंग शिफ्टिंग के पहले ही धरासाई हो रही थी। पानी छतों से टपक रहा था। इसके बाद भी डॉक्टर और छात्रों की जान जोखिम में डालने की जल्दबाजी दिखाई गई।
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खामियों पर पर्दा डालने की कोशिश में ठेकेदार, अधिकारी
अकादमिक भवन की खामियों में पर्दा डालने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। घटिया निर्माण कार्य को छुपाने के लिए इसे ताले में कैद कर दिया गया है। दोनों अकादमिक भवन में ताला जड़ दिया गया है। अकादमिक भवन ब्लाक बी में दिन भी मंगलवार को काम चला लेकिन लोगों की इंट्री नहीं होने दी गई। अंदर का भ्रष्टाचार बाहर न आ जाए इसलिए गेट पर ताला जड़ दिया गया था। इतना ही नहीं पीआईयू के अधिकारी और ठेकेदार पूरे मामले को दबाने में जुट गए हैं। लोगों को मैनेज करना शुरू कर दिया है।