कमिश्नर के खिलाफ पार्षदों ने खोला मोर्चा, नगर निगम में धरने पर बैठे इस बात को लेकर हैं नाराज

नगर निगम कमिश्नर की मनमानी के खिलाफ पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। नगर निगम कार्यालय परिसर में ही धरने पर बैठे गए। सोमवार को पार्षदों ने कार्यालय में धरना दिया लेकिन इस दौरान कमिश्नर नगर निगम नहीं पहुंची। इसके कारण उनका गुस्सा और बढ़ गया। यह विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा।

कमिश्नर के खिलाफ पार्षदों ने खोला मोर्चा, नगर निगम में धरने पर बैठे इस बात को लेकर हैं नाराज

कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए पार्षद को भी नहीं मना पाए, धरना पर बैठना पड़ा
रीवा। नगर निगम में सरकार भले ही कांग्रेस की हो लेकिन राज भाजपा ही कर रही है। कांग्रेसियों को सिर से प्रशासनिक अधिकारियों ने नकार दिया है। भाजपा के अध्यक्ष और पार्षद ही नगर निगम चला रहे हैं। उनके इशारे पर ही आयुक्त से लेकर अधिकारी तक काम कर रहे हैं। इसके बाद भी वह अपने पार्षद को खुश नहीं कर पाए। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए वार्ड 26 के पार्षद स्वतंत्र शर्मा को धरना देना पड़ रहा है। उनके वार्ड में ही अधिकारियों ने सेंध लगा दी। उनके पसंदीदा इंजीनियर और कर्मचारियों को हटा दिया गया। पार्षद से राय भी नहीं ली गई। इससे नाराज पार्षद ने नगर निगम के मुख्य गेट पर धरना दे दिया। उनका साथ वार्ड क्रमांक 13 की निर्दलीय पार्षद नम्रता संजय सिंह ने दिया है। उन्होंने भी कार्यालय पहुंच कर वार्ड 26 के पार्षद स्वतंत्र शर्मा का समर्थन दिया। धरने पर डटीं रहीं।
यह लगाया है पार्षदों ने आरोप
 भाजपा पार्षद ऋषिकेश त्रिपाठी(स्वतंत्र शर्मा) व वार्ड 13 की निर्दलीय पार्षद नम्रता सिंह बघेल आयुक्त ने आयुक्त नगर निगम संस्कृति जैन पर मनमानी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि किसी भी कर्मचारी को एक वार्ड के बारे में पूरी जानकारी होने में काफी समय लगता है, जब तक कि वह वार्ड को समझ आगे कार्य करने में जुटता है कि निगमायुक्त उसका तबादला कर देती हैं। पार्षदों का कहना है कि इस तरह के परिवर्तन के पहले वह जनप्रतिनिधियों से चर्चा तक नहीं करती। बिना चर्चा के ही कर्मचारियों को हटा दिया जाता है। इससे वार्डों के कार्य बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। जनता ने उन्हें चुनकर सेवा के लिए भेजा है लेकिन इस तरह की कार्यप्रणाली के कारण अब वार्डों के कार्य प्रभावित होने लगे हैं।
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धरना अभी समाप्त नहीं हुआ है जारी रहेगा। आयुक्त से मुलाकात नहीं हुई। पत्र प्रेसित कर दिया गया है। वार्ड की जानकारी रखने वाले कर्मचारियों को हटाने से जनता को समस्या होती है। जनता की समस्याओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ऋषिकेश त्रिपाठी(स्वतंत्र), पार्षद वार्ड क्रमांक 26।
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कमिश्रर से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं आपकी बात नहीं सुनुंगी। यदि उनमे कबिलियत नहीं है कि वह जनता के काम कर सके तो उनको स्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि कमिश्रर प्राशसनिक अधिकारी कम जनप्रतिनिधि ज्यादा लगती हैं। वह जनता के सामने यह बताने योग्य नहीं हैं कि वह कमिश्रर है। मेरे वार्ड से उपयंत्री श्याम सुंदर मिश्रा को हटा दिया गया। उन्हें फिर से वार्ड में पदस्थ्य किया जाए। कमिश्रर सिर्फ एक बड़े नेता की सुनती हैं, क्या हम लोग जनप्रतिनिधि नहीं हैं। उन्हें हमारी सुनना पड़ेगा।
नम्रता सिंह बघेल, पार्षद वार्ड क्रमांक 13