डभौरा सेंड्रील घोटाला पार्ट टू: व्यापारी, ठेकेदारों ने मजदूरों के नाम से बनाए फर्जी फर्म और 210 करोड़ की मनी लान्ड्रिंग
डभौरा सेंड्रीज घोटाला किसी को भी नहीं भूला होगा। 21 करोड़ का फर्जीवाड़ा डभौरा में किया गया था। इस मामले में सहकारी विभाग के कई अधिकारियों पर मामला दर्ज किया गया था। अब एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। मजदूरों के नाम से फर्जी फर्म बनाकर करीब 210 करोड़ की हेराफेरी की गई है। इस पूरे हवाला कारोबार में शहर के बड़े व्यापारी, ठेकेदार, अधिवक्ता और राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी शामिल हैं। सीआईडी रीवा ने मुख्यालय भोपाल में प्रकरण दर्ज कराया है। मामला ईओडब्लू रीवा को सौंप दिया गया है।
सीआईडी रीवा ने भोपाल में दर्ज कराया प्रकरण, ईओडब्लू को सौंपा मामला
रीवा। बहुचर्चित सहकारी बैंक डभौरा सेंड्रीज घोटाले से जुड़ा हवाला मामला सामने आया है। डभौरा सेंड्रीज मामले में 21 करोड़ का फर्जीवाड़ा जो करीब 28 करोड़ तक पहुंच गया था लेकिन इसके तार अब 210 करोड़ के हवाला घोटाले से भी जुड़ गया हैं। जिसमें एक फर्जी फर्म के नाम पर 210 करोड़ की हेरा-फेरी की गई है। इस फर्जी फर्म में सेंड्रीज का काफी पैसा आया है। इस हवाला कारोबार में शहर के कई बड़े व्यवसायी, ठेकेदार, अधिवक्ता व राजस्व विभाग के भी कर्मचारी शामिल हैं। अनुसंधान के बाद सीआईडी रीवा ने संबंधितों के खिलाफ सीआईडी मुख्यालय भोपाल में प्रकरण दर्ज कराया, जिसके बाद मामले को ईओडब्ल्यू रीवा को सौंप दिया गया है। बता दें कि सहकारी बैंक डभौरा के सेंड्रीज घोटाले की जांच जब से सीआईडी विभाग को सौंपी गई है तब से बोतल में बंद जिन की तरह फर्जीवाड़े बाहर निकल कर आ रहे हैं। सीआईडी विभाग के डीएसपी असलम खान ने अब तक इस घोटाले के अंदर से 9 घोटाले निकाल कर पुलिस और ईओडब्लू को सौंपे हैं। हाल ही में जो हवाला कारोबार निकाल कर बाहर आया है, उसमें भी सेंड्रीज घोटाले का मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा और उसके ससुराल वालों के साथ ही तीन अधिवक्ता और नायब तहसील कार्यालय अतरैला के राजस्वकर्मियों के गले कानूनी फंदा में जा फंसे है। डीएसपी असलम खान ने आरोपियों के विरूद्ध सीआईडी थाना भोपाल में अपराध क्रमांक 1/24 में धारा 420, 409, 467, 468, 471, 474, 120 बी एवं 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध करवाया है। डीएसपी सीआईडी असलम खान ने बताया कि संड्रीज में घोटाले की राशि वापस नहीं आने पर आरोपियों के खातों को 2019 से खंगलना शुरू किया। जिसमें 2014 से 2022 तक तीन बैंकों को अंधेरे में रख लाखों रूपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। इस घोटाले के उजागर होने की खबर से शहर के नामी व्यवसायियों सहित तराई अंचल के जवा अतरैला क्षेत्र में खलबली मच गई।
मजदूरों के नाम से बनाये फर्म, 210 करोड़ से अधिक निकाला पैसा
सीआईडी डीएसपी असलम खान ने बताया कि सतना जिले के ककलपुर गांव के एक गरीब व्यक्ति जो कला मंदिर के पीछे किसी परौहा के यहां झाड़ू पोंछा का करता था के नाम से ओम साई नाम का फर्जी फर्म बना कर आइसीआइसीआई बैंक में खाता खुलवाया गया। इस खाते में 40-40 लाख के तीन चेक लगाए गए जो संड्रीज की राशि के थे। और विद ड्रावल नहीं हुए इन्हें दूसरे खातों में भेज दिया गया। इस खाते से करीब 60 करोड़ का लेन देन हुआ है। यहां उल्लेखनीय यह भी है नकद पैसा जमा होता और उसी दिन बड़ी फर्मो के खाते में आरटीजीएस, या फिर नेफ्ट कर दिया जाता था। खाते में पैसा नहीं रखा जाता था। चर्चा में असलम ने बताया कि जब इस खाते की विस्तृत जांच की गई तो 12 खाते सामने आए हैं जिसमें करीब 210 करोड़ का लेन देन हुआ है। सभी खाते गरीब मजदूरों के नाम से खोले गए जो महीने में महज 5-10 हजार कमाते हैं। मजे की बात यह है कि जिनके नाम के खातों से इतना बड़ी देनदारी हुई वह जानते ही नहीं कि उनके नाम से ऐसी कोई फर्म बनी है। इतना ही नहीं जिस ओम साईं फर्म का पंजीयन पता द्वारिका नगर दिया गया वह कहीं है ही नहीं।
बिजली सामग्री सप्लायर, होजरी कारोबारी, कांस्ट्रक्शन ठेकेदार भी शामिल
इस हवाला कारोबार में रीवा शहर के कई बड़े व्यवसायी शामिल हैं। इनमें एक बिजली सामग्री का बड़ा कारोबारी, होजरी व्यवसायी व निर्माण ठेकेदार का नाम सामने आया है। हालांकि सीआईडी ने ईओडब्ल्यू को मामला हैंड ओवर होने के कारण खुलासा नहीं किया है। लेकिन परौहा परिवार जिसका कला मंदिर के पीछे आफिस था वही इस हवाला कारोबार का मास्टर माइंड है।
राजस्व अमला दस्तावेजों में करता रहा हेरफेर
सीआईडी विभाग के डीएसपी असलम खान ने बताया कि सेंड्रीज घोटाले का मुख्य किरदार रामकृष्ण मिश्रा ने जमीन अपने ससुर से अपने नाम रजिस्ट्री की, ये बात सन 2013 की बताई जाती है रजिस्ट्री होने पर कूट रचित दस्तावेज लगा कर रामकृष्ण मिश्रा ने यूबीआई बैंक अतरैला से 20 लाख रूपये निकाल लिये। उसी जमीन के दस्तावेज में उलटफेर कर पीएनबी सिरमौर और एचडीएफसी बैंक रीवा से रामकृष्ण के ससुराल वालों ने पैसे निकाले। इतना ही नहीं उक्त आराजी की जमीन को मेदनी प्रसाद ने सविता पत्नी सुरेश प्रजापति को 15 लाख रूपये में बेची फिर उसी जमीन को हीरामणि मिश्रा के पुत्र विनय प्रकाश और विनय की पत्नी आनंदिता मिश्रा को 25 लाख रूपये में बेची। मजे की बात यह रही कि उक्त आराजी के दस्तावेज में राजस्व अमला हेरफेर करता रहा और बैंक को सर्च रिर्पोट देने वाले बैंक के ही अधिकृत अधिवक्ता जालसाजों के साथ मिलकर बैंक में ही सेंध लगाने में सहयोग करते रहे। इस मामले में आरोपी रामकृष्ण मिश्रा पिता अरविंद मिश्रा निवासी दोंदर जवा के साथ ही उसके ससुराल पक्ष से ससुर मेदनी प्रसाद, सास प्रभा देवी, साला अशोक मिश्रा एवं सरहज ममता देवी के साथ ही दोनों बैंकों के अधिवक्ता, गारंटर तथा जवा तहसील के अतरैला नायब तहसील कार्यालय के तत्कालीन राजस्व अमले के विरूद्ध सीआईडी थाना भोपाल में अपराध पंजीबद्ध किया गया है।