दिया तले अंधेरा: कलेक्ट्रेट में काम करने वाले ही वेतन को मोहताज

कहते हैं न कि दिया तले अंधेरा ही होता है। यह बात रीवा कलेक्ट्रेट में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ फिट बैठती है। कलेक्ट्रेट में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी ही कंपनी के शोषण का शिकार हो रहे हैं। कर्मचारियों को कई महीने से वेतन का कंपनी भुगतान नहीं कर रही है। कर्मचारियों ने कलेक्टर को पत्र सौंप कर न्याय की गुहार लगाई है।

दिया तले अंधेरा: कलेक्ट्रेट में काम करने वाले ही वेतन को मोहताज
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रीवा। कलेक्ट्रेट कार्यालय में जिला स्तरीय नोडल कॉल सेंटर स्थापित है। इस कॉल सेंटर में सुपरवाइजर और कम्प्यूटर आपरेटर 1 अप्रैल 2022 से कार्यरत हैं। यह सभी कर्मचारी मैग्नम सुपर डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड के अंडर में काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों कोि पिछले 6 महीने से वेतन का कंपनी ने भुगतान नहीं किया है। 2 साल से ईपीएफ और ईसीआईसी की कटौती भी सही तरीके से नहीं किए जाने का कर्मचारियों ने आरोप लगाया है। कर्मचारियों ने वेतन नहीं दिए जाने की शिकायत सहित अन्य अनियमितताओं की शिकायत कलेक्टर रीवा से की है। कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी के एचआर प्रवीण बिरथरे और परमलाल लोधी सही तरीके से बात तक नहीं करते। फोन भी नहीं उठाते। 6 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। कार्यालय आने जाने तक में उन्हें आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ रही है। आर्थिक के साथ ही मानसिक रूप से भी कई परेशानियों से गुजर रहे हैं। कर्मचारियों ने कलेक्टर से पिछला बकाया वेतन का भुगतान कराने सहित ईपीएफ, ईसीआईसी के साथ ही पूर्व की बची हुई शेष राशि का भुगतान कराए जाने की मांग की है। काल सेंटर में सुपरवाइजर भास्कर पाण्डेय, आपरेटर अर्चना मिश्रा, अंशुमान शुक्ला, राकेश कोठी, प्रांजना पाण्डेय, शिवेन्द्र सिंह  प्रभावित हैं।