परेशान अतिशेष महिला शिक्षकों के तारनहार बने डिप्टी सीएम, बोले किसी को बाहर नहीं जाने देंगे

अतिशेष महिला शिक्षकों की परेशानी विभाग ने नहीं सुनी। शिक्षा विभाग की शिक्षकों की परेशानी का कारण बन गया। महिला शिक्षकों की परेशानियों को भी नजर अंदाज कर दिया। ऐसे में डिप्टी सीएम तारनहार बनकर सामने आए हैं। डिप्टी सीएम से मिलने पहुंची शिक्षकों को आश्वासन मिला है। उन्होंने कहा कि किसी भी शिक्षक को बाहर नहीं जाने नहीं देंगे। इतना ही नहीं सर्किट हाउस में अधिकारियों को भी तलब किया। शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल को बुलाया और उनके सुझाव मांगे। पीएस स्कूल शिक्षा को जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से प्रस्ताव भेज दिए गए हैं।

परेशान अतिशेष महिला शिक्षकों के तारनहार बने डिप्टी सीएम, बोले किसी को बाहर नहीं जाने देंगे

विज्ञान विषय की अतिशेष माध्यमिक शिक्षकों के लिए बदल दिया गया था नियम
संभाग में कहीं भी भेजा जा रहा था, रीवा में शिक्षकों के लिए पद ही नहीं थे
कई पदों को खत्म करने से बनी अतिशेष जैसी स्थिति
रीवा। विज्ञान विषय में अतिशेष माध्यमिक शिक्षकों की परेशानियां बढ़ गई है। काउंसलिंग में अतिशेष शिक्षकों के लिए रीवा में जगह ही नहीं दी गई। इसके कारण उन्हें बाहर दूसरे जिलों में स्कूलों के चयन का आप्शन दिया जा रहा था। इस परेशानी से जूझ रहे महिला शिक्षकों ने डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला से मदद की गुहार लगाई। सुबह निवास पर पहुंची। डिप्टी सीएम ने मुलाकात की और फिर दोपहर में सर्किट हाउस बुलाया। सर्किट हाउस में शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को तलब किया गया। साथ ही महिला शिक्षकों को बुलाया गया। उनकी समस्याएं पूछी गई और उन्हीं से निदान भी पूछा गया। साथ ही डीईओ को निर्देशित किया गया कि अतिशेष महिला शिक्षकों की मांगों का प्रस्ताव बनाकर पीएस स्कूल शिक्षा के पास भेजा जाए।
ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण चल रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के अतिशेष शिक्षकों को अन्य स्कूलों में शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजा जा रहा है। सभी वर्गों के शिक्षकों की पदस्थापना जिले में की गई लेकिन जब माध्यमिक शिक्षक विज्ञान विषय के अतिशेष की बारी आई तो सभी को रीवा से बाहर जिलों को भी आप्शन में रख दिया। पूरी काउंसलिंग संभागीय कर दी गई। ऐसे में रीवा जिला की महिला शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हो गया। कई सौ किमी दूर परिवार को छोड़कर नौकरी करने की परेशानियों के उधेड़ बुन में फंसी महिला शिक्षकों के सामने सिर्फ डिप्टी सीएम ही संकटमोचन नजर आए। इसके बाद सभी महिला अतिशेष शिक्षक, शासकीय शिक्षक संगठन के नेतृत्व में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला से मिलने उनके निवास पहुंचा। डिप्टी सीएम से मुलाकात कर उन्हें समस्याएं बताई। डिप्टी सीएम ने महिला शिक्षकों को आश्वासन दिया कि किसी भी शिक्षक का स्थानांतरण रीवा जिला से बाहर नहंी किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने मुद़्दों के साथ सर्किट हाउस में दोपहर को बुलाया। सर्किट हाउस में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को भी तलब कर लिया था। उप संचालक से लेकर डीईओ सुदामा गुप्ता तक मौजूद रहे। सर्किट हाउस में महिला शिक्षकों में से तीन लोगों को बातचीत के लिए बुलाया गया। उनसे विकल्प पूछा गया। महिला शिक्षकों ने कई बिंदू डिप्टी सीएम के सामने रखे। उन्होंने सभी बिंदुओं का प्रस्ताव बनाकर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को भेजने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए हैं। महिला शिक्षकों ने डिप्टी सीएम से शैक्षणिक सत्र तक विज्ञान विषय की काउंसलिंग पर ही रोक लगाने की भी मांग की है। महिला शिक्षकों के साथ शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष चंद्रोदय मिश्रा भी साथ में ही खड़े रहे।


यह सारे बिंदु डिप्टी सीएम के सामने रखे गए
शासकीय शिक्षक संगठन ने यह प्रस्ताव दिया
- माध्यमिक शालाओं में रिक्त 3 पदों पर जहां भी पद रिक्त हैं। वहां विषय विरुद्ध पदांकन के निर्देश दिए जाएं।
- जो माध्यमिक शिक्षक जिस विषय में पोस्ट ग्रेजुएट है। उसे पद रिक्त होने पर हाई और हायर सेकेण्डरी पर पदस्थ किया जाए।
- हायर सेकेण्डरी स्कूलों में विज्ञान शिखकों को पीजी के विषय आधार पर पदांकन कयिा जाए।
- अभी तक कुछ काउंसलिंग में जिले से बाहर पदांकन नहीं किय गया है। अत: जिले में ही पदांकन किया जाए।
जिला शिक्षा अधिकारी ने यह प्रस्ताव भेजा है
- यदि विज्ञान विषय के शिक्षक अतिशेष हैं और संस्था में अन्य विषय के पद रिक्त हैं तो उस पद के विरुद्ध समायोजित कर अतिशेष से पृथक किया जाना उचित होगा।
- 31 मार्च 2025 तक पद रिक्तता की स्थिति में विज्ञान विषय के अतिशेष शिक्षको को समायोजित किया जाए। अथवा विज्ञान के अतिशेष शिक्षकों को 31 मार्च तक यथावत रखा जाए।
- यदि किसी शिक्षक के पास विज्ञान विषय के अतिरिक्त स्नातकोत्तर डिग्री है तो हायर सेकेण्ड्री में रिक्त वर्ग 1 के पद विरुद्ध समायोजित किया जाए।
- कक्षा 6 से 8 तक माध्यमिक शाला में कम से कम 3 शिक्षक के स्थान पर 5 न्यूनतम पद मान्य किए जाएं।
- पूर्व की स्थिथि शिक्षक/ माध्यमिक शिक्षक के पद जिला कैडर का माना जाए।
- पूर्व की भांति काउंसलिंग में महिलाओं को विद्यालय चयन की प्राथमिकता दी जाए।
- विज्ञान विषय की पद संरचना संस्कृत के स्थान पर 4 पद माना जाकर पद संरचना की गणना की जाए।
डिप्टी सीएम ने महिला शिक्षकों की सारी बातें सुनी
अतिशेष महिला शिक्षक परेशान थी। उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही थी। अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ही नजर आए। उन्होंने निवास पर भी महिला शिक्षकों से बराबर मुलाकात की। इसके बाद सर्किट हाउस भी बुलाया। उन्हें पर्याप्त समय दिया। जैसा महिला शिक्षक चाहती थी। वैसा ही प्रस्ताव भी बनाकर शासन को भेजा गया। डिप्टी सीएम ने मिलने के बाद महिला शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। दर्जनो की संख्या में महिला शिक्षक मौके पर मौजूद रहीं। कई महिला शिक्षक छोटे छोटे बच्चों को भी अपने साथ लेकर पहुंची थीं।