हड़ताल पर गई जिला अस्पताल की नर्सें, स्वास्थ्य व्यवस्था ठप
जिला अस्पताल की नर्सों ने शुक्रवार से काम बंद कर दिया है। 10 सूत्रीय मांगों को लेकर सभी नर्सें हड़ताल पर चली गई हैं ।नर्सों के हड़ताल पर जाने से जिला अस्पताल की स्वास्थ सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई है।
रीवा। नर्सेज ऑफीसर् एसोसिएशन के बैनर तले जिला अस्पताल की नर्सों ने हड़ताल शुरू कर दी है नर्सों की प्रमुख रूप से 10 मांगे हैं लंबे समय से नर से अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करती आ रही हैं लेकिन उनकी मांगों को सरकार ने अनसुना कर दिया यही वजह है कि कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद नर्सेज ऑफीसर्स एसोसिएशन ने हड़ताल शुरू कर दी है जिला अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गई है संभागीय अध्यक्ष कंचन पाठक का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी वह हड़ताल खत्म नहीं करेंगी। हड़ताल में श्रीमती कंचन पाठक नर्सिंग आफीसर संभागीय अध्यक्ष, Rawa, श्रीमती जयंती शुक्ला नर्सिंग आफीसर(जिला अध्यक्ष) , श्रीमती प्रतिक्षा त्रिपाठी नर्सिंग आफीसर (उपाध्यक्ष), श्रीमती रंजना त्रिपाठी, नर्सिंग आफीसर (उपाध्यक्ष) श्रीमती प्राची मिश्रा, नर्सिंग आफीसरश्री, मती सविता शुक्ल शामिल हैं।
यह है प्रमुख मांगे
प्रमुख मांगों में रात्रीकालीन आकस्मिक चिकित्सा भत्ता स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक को रु. 500/- प्रति दिन दिया जाता है इसी तरह पेरामेडिकल कर्मचारीयों और नर्सों को भी 300/- रुपये प्रतिदिन भत्ता दिया जाये। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्वसाशी अधिकारी कर्मचारियों के वर्ष 2018 भर्ती नियमों में संसोधन करते समय एसोसिएशन के प्रतिनिधीयों का सुझाव लिया जाये।ग्वालियर एवं रीवा मेडिकल कॉलेज में जी. एन. एम. नर्सिंग को तीन एवं बी. एस. सी. नर्सिंग को चार वेतन वृद्धि दी गई है। अन्य कॉलेजों में नहीं दी गयी है। विभाग द्वारा सौतेला व्यवहार किया है। अन्य कॉलेज के नर्सिंग ऑफिसर को तीन एवं चार वेतन वृद्धि दी जाये।नर्सिंग स्टूडेन्ट का स्टॉफण्ड रु.3000/- से बढ़ाकर 5000/- किंया जाये। . (अ)नर्सिंग संबर्ग की पदोन्नति हेतु जब तक माननीय न्यायालय में निर्णय विचाराधान है। ऐसी स्थिति में विभाग द्वारा पद पर बतौर प्रभारी बनाया जाये (ब) नर्सिग ट्यूटर के पद सृजित किये जाये। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अन्तर्गत संचालनालय स्तर पर सहायक संचालक का पद के नर्सिग संवर्ग का सहायक संचालक का पद हैं लेकिन अन्य कैडर से कार्य कराया जा रहा है जो अनुचित है। सहायक संचालक के पद पर नर्सिंग संवर्ग से ही कार्य कराया जाए।प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्वसाशी अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारीयों को सातवें वेतनमान का लाभ जनवरी से दिया जाए।शासकीय सेवा में सीधी भर्ती में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर चयन होने पर तीन वर्ष की परिविक्षा एवं प्रतिशत 90 प्रतिशत मानदेय नियम को निरस्त कर पूर्व की भांति यथावत रखा जाये।पुरानी पेंशन (ओ. पी. एस.) पूर्व की भांति लागू की जाये।