दशहरा: रावण और मेघनाथ जलने को नहीं हुए तैयार, राम ने मारा तीर लेकिन बीच में ही बुझ गया फिर पैरा में लगाई आग

शनिवार को एनसीसी मैदान में रावण दहन का आयोजन किया गया। किला से भगवान राम का चल समारोह देर रात एनसीसी मैदान पहुंचा। इसके बाद राम लक्ष्मण ने रावण, मेघनाथ और कुंभकरण पर निशाना साधा लेकिन निशाना फेल हो गया। बीच में ही तीर बुझ गया। रावण और मेघनाथ बच गए। कुंभकरण को तीर लगा और वह धू धूकर जल उठा। इसके बाद रावण और मेघनाथ के नीचे रखे सूखी घास में आग लगाकर इन्हें जलाया गया। आग लगते ही दूर तक पटाखों की गूंज से आसमान दहल उठा। पूरा परिसर जयश्री राम के नारों से गूंज उठा।

दशहरा: रावण और मेघनाथ जलने को नहीं हुए तैयार, राम ने मारा तीर लेकिन बीच में ही बुझ गया फिर पैरा में लगाई आग

किला में हुई गद्दी पूजा, शहर में निकली रथ यात्रा
आगे आगे आगे भगवान राम थे रथ पर सवार, पीछे पीछे महाराज
कई झाकियां भी निकाली गईं, दर्शन पाने सड़कों पर उमड़ी भीड़
रीवा।
असत्य पर सत्य की विजय-बुराई में अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व रीवा नगर में बड़े ही आकर्षक एवं हजारों हजार दर्शकों के बीच मनाया गया। शासकीय ठाकुर रणमत ङ्क्षसह महाविद्यालय के एनसीसी मैदान में शनिवार को दशहरा उत्सव का मुख्य आयोजन हुआ। रात करीब 12 बजे 51 फीट ऊंचे रावण के साथ ही 45-45 फीट के कुंभकरण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया गया। भगवान श्रीराम के बाण लगते ही सभी पुतले क्रमश: धू-धू कर जलने लगे। धमाकों और रंग-बिरंगी आतिशबाजी के बीच अहंकार और बुराई के प्रतीक इन पुतलों का अंत हो गया। ज्ञात हो कि दशहरा उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है। भगवान श्रीराम ने दशानन को दशहरे के दिन मारकर विजय प्राप्त की थी। तब से आर्यावर्त की भ्ूामि, अब भारत वर्ष में यह त्योहार मनाया जाता है। इस क्रम में रीवा नगर में भी यह परम्परा निभाई जा रही है। गत शनिवार को तय कार्यक्रम के अनुसार किला गद्दी पूजन के बाद एन सी सी मैदान महाराजा पुष्पराज सिंह की बग्घी पहुँची। साथ में राम, लक्ष्मण, हनुमान की झांकी भी आई। तब कमेटी द्वारा विधि-विधान से पूजन अर्चन के बाद भगवान राम युद्ध मैदान के लिए रवाना हुए, जहां भव्य आसमान में छाईं आतिशबाजी के बीच भगवान राम ने कुंभकर्ण, मेघनाद, एवं रावण के पुतले पर तीर चलाया, जैसे ही भगवान राम ने तीर चलाया वैसे ही एक-एक कर आतिशबाजी की तीरों के हमले से पुतले धधक उठे और इधर, तमाम जनता जनार्दन प्रसन्नता से सराबोर हो गई। दशहरा उत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाराजा पुष्पराज ङ्क्षसह रहे। साथ में सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह, पंडित दीनानाथ शास्त्री (दामोद्राचार्य), विशिष्ट अतिथि राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह, मनीष भार्गव, पूर्व महापौर वीरेंद्र गुप्ता, कमलेश सचदेवा सहित अन्य गणमान्य नागरिक कार्यक्रम में सम्मलित हुए। सफल आयोजन के लिए समिति के संरक्षक सियाराम गुप्ता, अध्यक्ष प्रकाश तरानी, राज नारायण मिश्रा, कोषाध्यक्ष अमित डिगवानी, मोहित गुप्ता, देवेश सोनी, पप्पन, पप्पू मंजानी, मोहित मिश्रा, राजेश भल्ला, दिव्यांशु गौतम, संजय चावला, प्रमोद दीक्षित, अंबर, प्रभात दीक्षित, प्रतीक पांडेय, शिवांशु मिश्रा, सत्यम साहू, सुधाकर जायसवाल सहित अन्य नागरिकगण शामिल रहे। समिति ने जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम एवं बिजली विभाग के प्रति आभार प्रकट किया।
झांकियों का किया अवलोकन
नगर विजयादशमीं उत्सव समिति द्वारा आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि रीवा महाराज पुष्पराज ङ्क्षसह का जुलूस रात 11.30 बजे के लगभग मैदान में पहुंचा। कार्यक्रम स्थल में जुलूस के पहुंचते ही उल्लास और बढ़ गया। दूर गंावों से आये लोगों ने परम्परा अनुसार अपने राजा यानि रीवा महाराजा के दर्शन किए। इसके उपरांत मुख्य अतिथि ने झांकियों का अवलोकन किया और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों का अभिवादन किया। 
मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए
आयोजन स्थल में शाम से ही भजन कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति होती रही। बाहर से आये  कलाकारों द्वारा द्वारा संगीत की प्रस्तुति दी गई। भक्ति गीतों ने लोगों का मन मोह लिया। तो वहीं, स्थानीय लोकगीत की प्रस्तुति देकर बघेली कलाकारों ने समां बांध दिया।
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राघौ महल में भगवान राम का हुआ गद्दी पूजन
इससे पहले शनिवार को ही किला परिसर परिसर में देव दर्शन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। देव दर्शन के समय महाराजा पुष्पराज ङ्क्षसह, युवराज दिव्यराज सिंह राजपरिवार के सदस्य व अन्य वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति रही। फिर शाम को किला परिसर में मौजूद राघौ महल में गद्दी पूजन का आयोजन हुआ। रीवा महाराजा की कुर्सी में विराजमान भगवान की राजपरिवार ने विधि-विधान से पूजा की। उल्लेखनीय है कि किला स्थापना के समय से ही रीवा महाराजा के सिंहासन पर भगवान राम विराजमान है। रीवा महाराजा का आसन उनकी गद्दी से नीचे होता है। राघौ महल में राजपुरोहित व उनके सदस्यों द्वारा गद्दी पूजन कराया गया। तदुपरांत शस्त्र पूजन का आयोजन भी हुआ, जिसमें रियासत कालीन शस्त्रों की भी राजपरिवार ने पूजा-अर्चना की। दोनों महत्वपूर्ण पूजन होने के बाद चल समारोह किला परिसर से रवाना हुआ।


वध स्थल में भगवान राम की हुई अगवानी
चल समारोह ने शाम 6 बजे किला परिसर से प्रस्थान किया। चल समारोह के मुख्य रथ में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान जी की झांकी रही तो दूसरे मुख्य रथ में महाराजा पुष्पराज ङ्क्षसह सहित अन्य सदस्यगण आसन्न रहे। चल समारोह किला से निकलकर मछरिया दरवाजा, किला मार्ग, घोड़ा चौराहा, प्रकाश चौराहा, अस्पताल चौराहा, अमहिया, सिरमौर चौराहा होते हुए रावण वध स्थल पर पहुंचा। जहां समिति के पदाधिकारियों ने भगवान श्रीराम की अगवानी की।
एनसीसी मैदान में हजारों की थी भीड़
दशहरा में रावण दहन के लिए एनसीसी मैदान का ही चयन किया गया है। यहां हजारों लोगों की भीड़ पहुंच गई थी। वीआईपी गेट से इंट्री पर नोंक झोंक होती रही। कई मर्तब हुज्जतबाजी भी हुई। भीड़ इतनी अधिक थी कि व्यवस्थाओं पर पानी फिर गया। आयोजन समिति भीड़ को सम्हालने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं कर पाया था। उम्मीद से कहीं अधिक भीड़ पहुंची थी। लोगों की भीड़ के हिसाब से उनकी सुरक्षा के लिए भी बल और इंतजाम कम था। चारों तरफ से दीवार खड़ी थी। आने जाने के रास्ते तंग थे। ऐसे में यदि यहां पर कोई भगदड़ मचती तो बड़ा हादसा तय था।