इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने कर दिया कमाल, दृष्टिहीनों के लिए बनाई ऐसी स्टिक जो कर देगी रास्ता आसान
गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसी छड़ी बनाई है जो दृष्टिहीनों के रास्तों की बाधाओं को कम कर देगी। उन्हें बिना झिझक आगे बढऩे में मदद करेगी। उनके इस अविष्कार ने दृष्टिहीनों में एक आशा की किरण जगा दी है। छात्रों के इस खोज को मार्तण्ड स्कूल में लगी प्रदर्शनी में भी सराहा गया था। जीईसी के ग्लोबल एल्युमिनी एसोसिएशन ने भी इस नई खोज को पुरस्कृत किया है।
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दृष्टिहीनों की मदद करेगा छात्रों की नई खोज
जीईसी के ग्लोबल एलुमनी एसोसिएशन ने भी छात्रों को किया पुरस्कृत
रीवा। शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय के छात्रों ने दृष्टिहीन दिव्यांगों के लिए स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक बनाई है। जीईसी के छात्रों ने आशा की नई किरण के रूप में दिव्यांगों के लिए इस तकनीकी साधन को विकसित किया है। छात्रों के इस नवाचार से महाविद्यालय प्रबंधन गौरवान्वित है। बताया गया कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के फाइनल ईयर के छात्र पुष्पेंद्र कुमार पाठक, श्रेया द्विवेदी और विकास सिंह ने अपनी अभिनव परियोजना दृष्टि-स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक को पूर्ण किया है। हाल ही में यशस्वी भारत मेगा प्रदर्शनी में प्रथम स्थान के प्रोजेक्ट के रूप में इस परियोजना को सम्मानित किया गया है। प्राध्यापक व जनसम्पर्क अधिकारी डॉ संदीप पाण्डेय ने जानकारी दी कि दृष्टि-स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक एक उन्नत तकनीकी डिवाइस है, जो दृष्टिहीन दिव्यांगजनों की सहायता के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई है। इसमें आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे दृष्टिहीन व्यक्ति को रास्ते में आने वाली बाधाओं की सूचना मिलती है और वे अधिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के साथ चल सकते है। बताया गया कि विगत माह जीईसी के हीरक जयंती महोत्सव के दौरान आयोजित टेक्निकल प्रदर्शनी में भी इसी टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इस उपलब्धि के लिए जीईसी के ग्लोबल एलुमनी एसोसिएशन द्वारा छात्रों की टीम को 25 हजार की नकद राशि, ट्रॉफी और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया था। छात्रों की इस सफलता के लिए प्राचार्य डॉ. डी.के. सिंह ने बधाई दी है। विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष प्रो. जी.आर. कुमरे के निर्देशन एवं प्रो. अनंत श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में यह प्रोजेक्ट बनाया है। इलेक्ट्रिकल विभाग के शिक्षक प्रो. सीमा द्विवेदी, प्रो सीमा मिश्रा, प्रो मोनिका पटेल, प्रो. आदित्य गुप्ता, प्रो. सुशील पटेल एवं प्रो. अनुपम भाई पटेल ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में छात्रों का सहयोग किया।