बसें बंद थी फिर भी चिडिय़ाघर पहुंचने वालों की भीड़ नहीं हुई कम, संख्या जानकर रह जाएंगे हैरान

नए साल के पहले ही दिन चालकों की हड़ताल ने पर्यटकों के जुनून पर पानी फेर दिया। बस और आटो नहीं चले। नए साल में परिवार के साथ घूमने वाले लंबी दूरी तय नहीं कर पाए। पेट्रोल की तलाश में ही भटकते रह गए। फिर भी चिडिय़ाघर में सफेद बाघ देखने वालों का जुनून कम नहीं हुआ। 10 हजार से भी अधिक पर्यटक सफेद बाघ टीपू का दीदार करने पहुंचे।

बसें बंद थी फिर भी चिडिय़ाघर पहुंचने वालों की भीड़ नहीं हुई कम, संख्या जानकर रह जाएंगे हैरान

रीवा। रीवा संभाग के प्रमुख पर्यटन स्थल महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में 31 दिसम्बर तथा एक जनवरी को पर्यटकों की भीड़ रही। इस संबंध में संचालक सूरज सिंह सेन्द्रयाम ने बताया कि नए साल के पहले दिन एक जनवरी को 10374 पर्यटकों ने व्हाइट टाइगर सफारी का भ्रमण किया। यहाँ सुबह से ही पर्यटकों का आना शुरू हुआ। ठण्ड के बावजूद शाम तक बड़ी संख्या में पर्यटक व्हाइट टाइगर सफारी का भ्रमण करते रहे। व्हाइट टाइगर सफारी में पर्यटकों की सुविधा के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए गए थे। नए साल के पहला दिन यादगार बनाने के लिए लोग यहां पहुंचे थे। मुकुंदपुर चिडिय़ाघर का सफेद बाघ टीपू आकर्षण का केन्द्र रहा। लोग सफेद बाघ देखकर खुश नजर आए। पड़ोसी राज्यों से भी पर्यटक यहां पहुंचे थे। इसके अलावा पर्यटकों ने टाइगर सफारी का भी आनंद उठाया। टाइगर सफारी घूमने के लिए पर्यटकों के लिए खास इंतजाम किए गए थे। अपनी बारी का इंतजार करते यहां पर्यटक नजर आए।


पार्किंग की थी पर्याप्त व्यवस्था, 200 स्टाफ थे तैनात
मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए करीब 200 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। चिडिय़ाघर परिसर के अंदर करीब 88 वनकर्मियों को तैनात किया गया था। वनकर्मी चिडिय़ाघर के अंदर भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे। वहीं पार्किंग की व्यवस्था यातायात और पुलिस विभाग के हवाले रही। भीड़ को देखते हुए मुकुंदपुर चिडिय़ाघर के बाहर विशेष व्यवस्था बनाई गई थी।
हड़ताल का भी ज्यादा नहीं पड़ा असर
चिडिय़ाघर में इस मर्तबा ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद थी लेकिन इस पर बस, ट्रक और आटो की हड़ताल ने पानी फेर दिया। लोगों के सामने परिवहन की समस्या खड़ी हो गई। बसों के नहीं चलने से कई पर्यटकों ने चिडिय़ाघर जाने का प्लान ही बदल दिया। कई चिडिय़ाघर तक पहुंच ही नहीं पाए। कई पर्यटक पेट्रोल और डीजल की व्यवस्था में ही उलझ कर रह गए।