ब्लैक आउट का डर, तीन दिन हड़ताल पर रहेंगे 1 लाख बिजली कर्मचारी
विद्युत कंपनियों के निजीकरण के विरोध सहित 7 मांगों को लेकर अधिकारी, कर्मचारी तीन दिवसीय हड़ताल पर जा रहे हैं। 10 से 12 तक विभाग में काम नहीं होगा। इस हड़ताल से उपभोक्ताओं को जरूर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
रीवा।
क्षेत्रीय सचिव मप्र विद्युत मंडल अभियंता संघ अभय मिश्रा ने बताया कि ज्वाइंट वेंचर के माध्यम से जनरेटिंग कंपनी और टीबीसीएल के माध्यम से ट्रांसमिशन कंपनी, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के माध्यम से वितरण कंपनियों के निजीकरण किया जा रहा है। विद्युत कंपनियों के निजीकरण के विरोध सहित सात सूत्री मांगों को लेकर ही विद्युत विभाग के कर्मचारी, अधिकारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में है। विद्युत विभाग के संगठन ने इस आंदोलन की समीक्षा की। तीन दिवसीय हड़ताल के लिए ऑनलाइन मीटिंग कर पूरे प्रदेश में रणनीति तैयार की गई है। बैठक में अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। अखिल भारतीय विद्युत अभियन्ता संघ ने इस हड़ताल में पूरे देश के एक लाख विद्युत अभियन्ता के शामिल होने की बात कही है। संघ की बैठक में सभी से अपील की है कि इस हड़ताल और तीन दिवसीय 10 जुलाई से 12 जुलाई 23 हड़ताल को सफल बनाएं।
लोगों को बताएं कि निजीकरण से महंगी होगी बिजली
बैठक में लोगों तक पहुंचने की अपील की गई है। इंजी विकास कुमार शुक्ला महासचिव ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि वह विद्युत कर्मचारियों को निजीकरण के दुष्परिणाम से अवगत कराएं।क्षेत्रीय सचिवों ने कहा है कि सभी को बताए कि निजीकरण से प्रदेश में विद्युत की कीमतों में वृद्धि होगी। मध्यप्रदेश शासन को सालाना 130 करोड़ के लगभग अतिरिक्त बोझ उठाना होगा। निजीकरण से औद्योगिक घरानों के अतिरिक्त किसी को लाभ नहीं होगा। अभियन्ता संघ के आगामी तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार का समर्थन मांगा है। इंजी हितेश तिवारी अध्यक्ष अभियन्ता संघ ने का कहना है कि विद्युत विभाग में निजीकरण से प्रदेश की व्यवस्था चरमरा जाएगी, कर्मियों के हितों का हनन होगा। आम जनता के लिए आर्थिक रूप से निजीकरण घातक होगा।