महिला शिक्षक को नहीं मिला न्याय, जेडी और डीईओ ने जांच प्रतिवेदन में कर दिया कमाल, अभद्र टिप्पणी करने वालों को दे दी क्लीन चिट

एक महिला शिक्षक पर बीईओ और एक प्राचार्य ने अभद्र टिप्पणी की थी। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच बैठी लेकिन डीईओ और जेडी ने इन्हें बचाने के लिए सारी हदें पार कर दी। महिला को न्याय नहीं मिला। 6 साल बाद दोनों अधिकारियों को क्लीन चिट वाली रिपोर्ट संचालनालय को सौंप दी गई। हालांकि महिला के बयान और सौंपे गए रिकार्ड पर संचालनालय ने मामूली कार्रवाई की गई लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कुल मिलाकर महिला शिक्षक के साथ हुए दुव्र्यवहार पर लीपापोती कर दी गई। महिला के साथ ही घिनौने कृत्य पर फिर पर्दाडाल दिया गया।

महिला शिक्षक को नहीं मिला न्याय, जेडी और डीईओ ने जांच प्रतिवेदन में कर दिया कमाल, अभद्र टिप्पणी करने वालों को दे दी क्लीन चिट
File photo

वर्ष 2019 में दो अधिकारियों ने किया था एक महिला शिक्षक पर अभद्र टिप्पणी
दोनों पर बैठी थी विभागीय जांच, आयुक्त लोक शिक्षण ने भी नहीं किया न्याय
सारे प्रमाण देने के बाद भी मामूली कार्रवाई से धो डाला सारा दाग, ऐसे में कैसे सुरक्षित रहेंगे महिला शिक्षक
रीवा। ज्ञात हो कि 6 साल पहले एक महिला शिक्षक पर बीईओ रायपुर कर्चुलियान और एसके स्कूल प्राचार्य ने अश्लील, अमर्यादित टिप्पणी की थी। वीडियो में दोनों की बातें रिकार्ड हुई थी और वायरल कर दी गई थी। महिला ने इसकी शिकायत थाना में की थी। मामले में दोनों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किए जाने के बाद विभागीय जांच बैठाई गई थी। जेड रीवा को जांचकर्ता अधिकारी बनाया गया था। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया था। जेडी और डीईओ को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपनी थी। दोनों अधिकारियों ने खेल कर दिया। विभागीय जांच पूरी कर जांच प्रतिवेदन संचालनालय को सौंपी गई। इसमें विभागीय जांचकर्ता अधिकारी ने जांच निष्कर्ष में रिटायर्ड सहायक संचालक और प्राचार्य को आरोपों से मुक्त कर दिया। जांच प्रतिवेदन में दोनों ही अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई। बाद में महिला शिक्षक के बयान और दिए गए साक्ष्यों के आधार पर लोक शिक्षण संचालनालय ने खानापूर्ति कार्रवाई करते हुए सेवानिवृत्त सहायक संचालक बीईओ कार्यालय रायपुर कर्चुलियान पर एक वेतनवृद्धि रोके जाने के समान समतुल्य राशि कार्यालय में जमा करने की शस्ति अधिरोपित की है। इस कार्रवाई के साथ ही विभागीय जांच से भी संचालनालय ने तौबा कर ली और इसे बंद कर दिया।
यह था पूरा मामला
27 जुलाई 2019 का यह पूरा मामला है। स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से लोकगीत व लोकनृत्य का आयोजन प्रशिक्षण के दौरान किया गया था। शिक्षकों ने भी लोकगीत और नृत्य किया था। इस दौरान पीके स्कूल की एक महिला शिक्षक के नृत्य के दौरान हाल में मौजूद तत्कालीन सहायक संचालक रायपुर कर्चुलियान  केशव प्रसाद त्रिपाठी और एसके स्कूल प्राचार्य मिथिलेश सिंह गहरवार की बातें भी वीडियो में रिकार्ड हो गईं थी। नृत्य का वीडियो केशव प्रसाद त्रिपाठी बना रहे थे। वीडियो में महिला शिक्षक पर अभद्र टिप्पणी की गई थी। यह बातें एसके स्कूल के प्राचार्य मिथिलेश गहरवार कह रहे थे और केशव प्रसाद त्रिपाठी हां में हां मिला रहे थे। वीडियो एसके त्रिपाठी ही बना रहे थे। इसी मामले में जमकर बवाल मचा था। मामला कलेक्टर से लेकर थाना तक पहुंचा था। शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।
दोनों अधिकारियों को बचाने का किया गया प्रयास
महिलाओं के साथ अपनाध और भेदभाव के मामले में मप्र देश में अव्वल है। एक तरफ सरकार नारी सुरक्षा और सशक्तिकरण की बात करती है तो दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और अपराधियों का संरक्षण भी कर रही है। महिला शिक्षक पर की गई अभद्र टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। इसके बाद भी विभागीय जांच में संचालनालय को सौंपे गए प्रतिवेदन में किसी तरह के आरोप प्रमाणित नहीं पाए गए। दोनों ही अधिकारियों को जेडी और डीईओ ने क्लीन चिट दे दी थी। इसका खुलासा 21 अगस्त 2024 को आयुक्त लोक शिक्षण से जारी आदेश में हुआ है।
6 साल बाद भी नहीं मिला न्याय और बंद हो गई जांच
जांचकर्ता अधिकारी और प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने संचालनालय को 23 जून 2024 को प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। वर्तमान में पदस्थ देानों ही अधिकारियों ने जांच में खेल कर दिया। इनके जांच प्रतिवेदन के बाद शिकायतकर्ता महिला शिक्षक और दोनों अपचारी कर्मचारियों को भी व्यक्तिगत सुनवाई के लिए तलब किया गया। महिला शिक्षक ने व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान अपना पा रखते हुए पेन ड्राइव और वीडियो सहित अन्य दस्तावेज दोनों अपचारी के खिलाफ प्रस्ततु किए। इसके बाद ही इन पर अधूरी कार्रवाई की गई। 6 साल महिला शिक्षक से बदसलूकी का फैसला आया वह भी खानापूर्ति ही निकला। ऐसे में महिला शिक्षकों को सरकार और प्रशासन से किसी तरह के न्याय की उम्मीद करना बेमानी है। कठोर कार्रवाई नहीं होने के कारण ही महिला शिक्षकों के साथ अभद्रता जैसे मामले बढ़ रहे हैं।