रीवा में चल रही थी पांच फर्जी फर्म, आनलाइन हो रहा था करोड़ों का ट्रांजेक्शन, जीएसटी टीम ने मारी रेड तो खुल गया सारा राज

रीवा में पांच कागजों में चल रही फर्मों का भांडोफोड़ हुआ है। आनलाइन करोड़ों का ट्रांजेक्शन करने वाली कंपनी के ठिकानों पर सतना की जीएसटी एंटी एविजन विंग ने दबिश दी तो अधिकारियों के होश उड़ गए। मौके पर कुछ भी नहीं मिला। सिर्पु पांच किराए की दुकानें और किरायानामा हाथ लगा। टीम ने दिन भर फर्मों के स्टॉक और गोदाम तलाशने की कोशिश की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। अब इन फर्मों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कराने के साथ ही आईटीसी भी कैंसिल कराई जाएगी।

रीवा में चल रही थी पांच फर्जी फर्म, आनलाइन हो रहा था करोड़ों का ट्रांजेक्शन, जीएसटी टीम ने मारी रेड तो खुल गया सारा राज

हरियाणा के दो लोगों के नाम से दर्ज हैं पांच फर्में और पांच दुकानें भी किराए पर ली गई हैं
मौके पर कुछ भी नहीं मिला, करोड़ों का टर्न ओव्हर वाली कंपनी का स्टोर तक नहीं मिला
जीएसटी नंबर कैंसिल कराएंगी और आईटीसी भी निरस्त कराई जाएगी
रीवा। मिली जानकारी के अनुसार धोबिया टंकी से पीटीएस चौराहा मार्ग पर वरदान अस्पताल के पास ही तरुणेन्द्र सिंह और प्रभात सिंह की दुकानें हैं। इन्हीं दोनों भवन स्वामियों के यहां हरियाणा के दो व्यापारी मोहित और राजन ने कार्यालय संचालन के लिए पांच दुकानें किराए पर ली थी। तीन महीने पहले दोनों व्यापारी रीवा आए थे। किरायानामा बनाने के बाद फिर दोबारा नहीं आए। आनलाइन ही दुकानों का भुगतान करते रहे। इन्हीं दो व्यापारियों के पांच फर्मों पर जीएसटी सतना एंटी एविजन विंग ने  शनिवार को दबिश दी। पांच फर्मों के लिए पांच सहायक आयुक्तों की अलग अलग टीमें बनाई गईं थी। टीम ने जब मौके पर दबिश दी तो उनके होश ही उड़ गए। मौके पर दुकानों में ताला लगा था। एक कर्मचारी तक नहीं था। कहीं स्टॉक और स्टोर तक नहीं मिला। काम्प्लेक्स मालिक से संपर्क करने पर सिर्फ किनायानामा मिला। इसके अलावा कोई रिकार्ड हाथ नहीं लगा। लाख कोशिशों के बाद भी कहीं पर कोई ठिकाना नहीं मिला। हरियाणा के व्यापारियों को फोन पर संपर्क किया गया। कुछ देर में मोबाइल बंद हो गया। अब टीम वापस लौट गई है। पांचों फर्मों के खिलाफ अब कार्रवाई की जाएगी।


इन पांच फर्मों पर की गई कार्रवाई
धोबिया टंकी से पीटीएस मार्ग पर तरुणेन्द्र सिंह और प्रभात सिंह के काम्प्लेक्स में पांच दुकानों में फर्में संचालित की जा रही थी। न्यू ऐरा इंटरप्राइजेज, बिग बुल इंटरप्राइजेज, क्लोस्टाक सेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नियो किंग इंटरनेशनल, वेलकोज इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई की गई है। यह सारी फर्में कागजों में चल रही थी।
इन अधिकारियों की टीम ने दी दबिश
जीएसटी एईवी सतना की टीम में प्रमुख रूप से राजीव गोयल, सहायक आयुक्त
नवीन दुबे सहायक आयुक्त, दिलीप सिंह सहायक आयुक्त, अभिनव त्रिपाठी, सहायक आयुक्त, विवेक दुबे सहायक आयुक्त शामिल थे। अलग अलग फर्मों के लिए अलग अलग सहायक आयुक्त नियुक्त थे। इसके अलावा संजीव त्रिपाठी, हरिहर तिवारी, हेमंत रावते, प्रमोश शर्मा, मृत्युंजय तिवारी इंस्पेक्टर कार्रवाई में शामिल रहे।  यह पूरी कार्रवाई डीसी उमेश त्रिपाठी के नेतृत्व में की गई।
दोनों ही व्यापारियों ने बनाई थी पांचों फर्में
जीएसटी एईवी विंग की कार्रवाई में पांच फर्में मिली। यह पांचों फर्में हरियाणा के मोहित और राजन ने बनाई थी। इन फार्मों में मोहित और राजन शामिल थे। किसी में कोई प्रोपराइजर था तो कोई पार्टनर बना था। दोनों ने ही अलग अलग पद बनाकर फर्म बनाई थी। हरियाणा के दोनों व्यापारियों ने आटो पार्ट और मशीनरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। रीवा में दोनों ही व्यापारी सिर्फ एक मर्तबा आए थे। इसके बाद दोबारा नहीं आए। आनलाइन ही दुकानों के किराए का भुगतान करते रहे।
4 सीजीएसटी और 1 एसजीएसटी में था रजिस्ट्रेशन
दोनों व्यापारियों ने पांचों फर्मों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन रीवा से ही कराया था। पांच में चार का रजिस्ट्रेशन सीजीएसटी से कराया गया था। वहीं एक रजिस्ट्रेशन एसजीएसटी से हुआ था। यह सारे रजिस्ट्रेशन तीन महीने पहले ही कराए गए थे। इन तीन महीनों में ही इन्होंने करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया। इसी से पकड़ में आए। करोड़ों का टर्नओव्हर करने वाली कंपनी का रीवा में एक भी स्टॉक नहीं मिला।
बड़े खेल की में थे दोनों व्यापारी
अधिकारियों की मानें तो यह सारा खेल आईटीसी को लेकर ही की जा रही थी। सारा ट्रांजेक्सन आनलाइन किया जा रहा था। इसमें फर्मों से सामान की सप्लाई की जा रही थी। उत्पाद बेचने में सरकार से मिलने वाले खरीददार को इंकम टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। यह भी संभव है कि बेचने और खरीदने वाले दोनों ही यही हो। जिस तरह से फर्जी फर्म बनाई गई थी। वैसे ही खरीददार भी फर्जी ही हो। जीएसटी की नजर तीन महीने में ही पड़ गई। वर्ना एक साल बाद आईटीसी का फायदा उठाकर यह जीएसटी नंबर कैंसिल करा कर रफूचक्कर हो जाते।


जीएसटी नंबर कैंसिल होगा, आईटीसी भी कैंसिल की जाएगी
पांचों फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। जीएसटी एईवी विंग सतना अब सेंट्रल जीएसटी को पत्र लिखकर इनकी फर्मों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कराएगा। इसके अलावा जब से जीएसटी नंबर जारी हुआ है तब से आईटीसी भी कैंसिल कराई जाएगी। आईटीसी कैंसिल होने के बाद फर्म संचालकों पर डिमांड निकलेगी। यदि फर्म संचालक ने टैक्स नहीं भरा तो माल खरीदने वाले पर ठीकरा फूटेगा। खरीदने वाले का भी आईटीसी कैंसल होगी। इन पर भी पेनाल्टी निकाली जाएगी। अब जीएसटी एईवी विंग इन फर्मों के संचालकों का रिकार्ड खंगालेगी। बैंक और प्रॉपर्टी तलाशी जाएगी। यदि टैक्स जमा नहीं किए तो सारी प्रापर्टी अटैच की जाएगी।
इस तरह का मिलता है फायदा
फर्मों से यदि कोई व्यापारी समान खरीदता है और उत्पाद का भुगतान करता है तो  उत्पाद खरीदने में जितना टैक्स भरना पड़ता है। उसे उस उत्पाद को बेचते समय उतने ही टैक्स की छूट मिलती है। इसके बाद जो फायदा व्यापारी को होता है। उसी में टैक्स भरना पड़ता है। इसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा उठाने के लिए यह सारा खेल किया जाना माना जा रहा है।
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रीवा में पांच फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पांचों फर्मों के प्रोपराइटर हरियाणा के हैं। मौके पर कुछ भी नहीं मिला। सिर्फ दुकानें मिली हैं। इन फर्मों ने तीन महीने पहले ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराया था। करोड़ों रुपए का आनलाइन ट्रांजेक्शन हुआ था। इसी शक पर कार्रवाई करने टीम पहुंची थी। मौके पर कुछ भी नहीं मिला। अब इनके जीएसटी नंबर को निरस्त कराया जाएगा। आईटीसी भी कैंसिल कराई जाएगी।
उमेश त्रिपाठी
डीसी, जीएसटी एंटी एविजन विंग सतना