विदेशियों को आयुर्वेदिक इलाज आया रास, संजीवनी में पहुंच कर कराया इलाज
नाइजरिया और रसिया के विदेशी मेहमान वन विभाग के संजीवनी आयुर्वेद केन्द्र पहुंचे। उन्होंने कमर दर्द, ज्वाइंट पेन और गर्दन दर्द का इलाज कराया। आयुर्वेदिक इलाज से दर्द में राहत मिली।
रीवा। हमारे देश के लोग भले ही एलोपैथी को तवज्जों देते हों लेकिन विदेशियों का रुझान अब आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है। वह एलोपैथी की तुलना में आयुर्वेद को ज्यादा तवज्जों दे रहें हैं। यही वजह है कि विदेशी मेहमान हमारे देश में आकर आयुर्वेदिक इलाज करा रहे हैं। अब हालांकि इस तरफ भारत देश के लोगों का भी रुझान बढ़ रहा है लेकिन एलोपैथी को ज्यादा आसान मानते हैं। तुरंत राहत के कारण एलोपैथी इलाज ज्यादा पसंद है। हमारे जंगलों में आयुर्वेदिक दवाइयों का खजाना है। रीवा में भी इसकी प्रचुर मात्रा मौजूद हैं। जंगलों की जड़ी बूटियों से आसाध्य रोग भी दूर हो रहे हैं। वन विभाग ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए संजीवनी आयुर्वेद केन्द्र की शुरुआत कराई है। यहां हर असाध्य रोग का इलाज किया जा रहा है। इस आयुर्वेद केन्द्र में बड़े से बड़े अधिकारियेंा के परिजनों का इलाज चल रहा है। हाल ही में यहां नाइजीरिया और रसिया के विदेशी नागरिक भी पहुंचे। उन्होंने यहां अपना इलाज कराया। वह ज्वाइंट पेन, घुटने के दर्द, कमर दर्द जैसे समस्यों से परेशान थे। उन्होंने संजीवनी आयुर्वेद केन्द्र में पदस्थ डॉ प्रदीप सिंह से मुलाकात की। उन्होंने सभी विदेशी नागरिकों को इलाज किया। फिलहाल अब वह स्वस्थ्य फील कर रहे हैं। विदेशियों को आयुर्वेद एवं पंचकर्म रास आई। उन्होंने इसकी जमकर तारीफ भी की।
यहां इन सारी बीमारियों का होता है इलाज
संजीवनी आयुर्वेद एवं पंचकर्म केन्द्र में जोड़ों का दर्द, लकवा, श्वास रोग, माइग्रेन, बवासीर, बीपी, शुगर, स्त्री रोग, चर्म रोग, कमर एवं गर्दन का दर्द, पेट एवं लीवर के रेाग का इलाज होता है। चर्म रोग में जोंक से चिकित्सा की जाती है।