जी 20 शिखर सम्मेलन: राष्ट्रपति पहुंची भारत मंडपम, रात्रिभोज की करेंगी मेजबानी
भारत को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। जी 20 शिखर सम्मेलन दिल्ली में आयोजित हो रहा है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। विश्व भर के नेता यहां पहुंच रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी वैश्विक नेताओं का स्वागत किया। रात्रि भोज के पहले ही राष्ट्रपति भी भारत मंडपम पहुंच गई। रात्रि भोज की राष्ट्रपति मेजबानी करेंगी।
दिल्ली। बता दें कि जी 20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की जिम्मेदारी भारत को मिली है। यह सम्मेलन दो दिन चलेगा। 10 सितंबर तक दिल्ली में आयोजन होगा। पूरी दिल्ली को इसके लिए सजाया गया है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मेहमानों के स्वागत और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। इस खास सम्मेलन के दौरान दुनियाभर की नजरें भारत की पर हैं। पीएम मोदी ने जी 20 सम्मेलन में पहुंचने वाले सभी वैश्विक नेताओं का स्वागत किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया से वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदलने का आह्वान करता है। यह हम सभी के लिए एक साथ आगे बढऩे का समय है।
शाकाहारी भोजन परोसा जाएगा
प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विदेशी मेहमानों को रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया है। रात्रिभोज का मेन्यू भी सामने आ गया है। इसमें श्री अन्न से बने व्यंजन भी शामिल किए गए हैं। भोज पूरी तरह से शुद्ध शाकाहारी है। मेन्यू कार्ड में शरद ऋतु के व्यंजनों को शामिल किया गया है।
भारत मंडपम पहुंचे विश्व स्तरीय नेता
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया है। इसमें शामिल होने के लिए भारत मंडपम में वैश्विक नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु और पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीव, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के महासचिव माथियास कॉर्मन, विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट समेत कई नेताओं का स्वागत किया।
आर्थिक कॉरिडोर से पूरे विश्व में होगी टिकाऊ कनेक्टिविटि: पीएम मोदी
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर और वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश के लिए साझेदारी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे मित्र राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मुझे इस आयोजन की अध्यक्षता करते हुए बहुत खुशी हो रही है। आज हम सबने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक समझौता संपन्न होते हुए देखा है। आने वाले समय में भारत पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण का प्रभावी माध्यम होगा। ये पूरे विश्व में कनेक्टिविटी और विकास को टिकाऊ दिशा प्रदान करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पीएम मोदी को कहा धन्यवाद
जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर पर कहा कि यह वास्तव में बहुत ही बड़ी बात है। उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर यही जी -20 शिखर सम्मेलन का फोकस है। और कई मायनों में यह इस साझेदारी का फोकस भी है जिसके बारे में हम आज बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ माह पहले घोषणा की गई थी कि अमेरिका आर्थिक गलियारों में निवेश करने के लिए सभी भागीदारों के साथ काम करेगा।
भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर जल्द होगा लॉन्च
भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। यह कॉरिडोर भारत, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को शामिल करते हुए कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को लेकर सहयोग पर एक पहल होगी।
पीएम मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस को किया लॉन्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस लॉन्च किया। इस दौरान उनके साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी मौजूद रहे।
बहुपक्षीय विकास बैंक की आवश्यकता पर बनी सहमति: निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई। बेहतर बड़े और अधिक प्रभावी एमडीबी का होना बेहद जरूरी है क्योंकि दुनिया भर से विकासात्मक मांगें बहुत बढ़ रही हैं, इसलिए इन संस्थानों को बेहतर और बड़ा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंक के पूंजी पर्याप्तता ढांचे पर एक स्वतंत्र पैनल की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जी-20 रोडमैप का समर्थन किया गया। निर्मला सीतारमण ने कहा कि रोडमैप का अनुमान है कि सीएएफ और इसके उपायों के कार्यान्वयन से संभावित रूप से अगले दशक में लगभग 200 बिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त ऋण देने की गुंजाइश पैदा होगी।