विन्ध्य की उड़ान को लगे सुनहरे पंख- राजेन्द्र शुक्ल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जब कहते थे कि वह दिन भी अब दूर नहीं जब हमारे देश के 'हवाई चप्पल वाले लोग भी हवाई जहाज में उड़ान भरेंगे, तब विरोधी इसे महज जुमला कहकर बात हवा में उड़ा देते थे। ऐसे लोगों को आज रीवा आकर देखना चाहिए कि सपना किस तरह यथार्थ के धरातल पर उतरकर चरितार्थ होता है। 20 अक्टूबर 2024 की तारीख विन्ध्यक्षेत्र के लिए ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनने जा रही है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी चिरप्रतीक्षित रीवा हवाई अड्डे का लोकार्पण करने जा रहे हैं। इस अवसर पर लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, रीवा के प्रभारी मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल साथ ही विन्ध्य के सांसद-विधायक गण, उद्यमी व नागरिक गण हवाई अड्डे पर आयोजित गौरवमयी ऐतिहासिक समारोह के साक्षी रहेंगे। माननीय प्रधानमंत्री जी रीवा में एक ऐसे हवाई अड्डे को लोकार्पित करने जा रहे हैं जो भविष्य में उत्तरमध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयर ट्रैफिक डेस्टिनेशन बनकर उभरेगा ही इस क्षेत्र को विकास के उच्च पायदान पर स्थापित करेगा। औद्योगिक निवेश और पर्यटन के लिए वैश्विक संभावनाओं का पथ प्रशस्त होगा।
दो वर्ष पूर्व इंदौर में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में विश्वभर के उद्यमियों के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया जी(तत्कालीन नागरिक विमानन व उड्डयन मंत्री) ने सगर्व यह घोषणा की थी कि हम मध्यप्रदेश का छठवे हवाईअड्डे को निर्मित और विकसित करने जा रहे हैं। उनकी इस घोषणा ने दुनियाभर के उन उद्योगपतियों के ध्यान को आकृष्ट किया जो यहाँ पावर व माइनिंग सेक्टर, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म, फूड प्रोसेसिंग इन्डस्ट्रीज की संभावनाओं को देखते हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने वालों के लिए यह अवसरों का दरवाजा खोलने वाला है। यह सुयोग है कि 23 अक्टूबर को रीवा में विन्ध्य में इन्वेस्टर समिट और रीजनल इन्डस्ट्रियल कान्क्लेव का आयोजन है। यह हवाई अड्डा विन्ध्यक्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से एक्सीलेटर की भूमिका निभाएगा यह मेरा दृढ़ विश्वास है।
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि रीवा का हवाईअड्डा कई चरणों में विकसित हो रहा है। प्रथम चरण में 72 सीटर यात्री विमान के उड़ान की सुविधा प्रारंभ हो रही है। पाँच साल में रीवा का हवाईअड्डा बोइंग की लैंडिंग और अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए बनकर तैय्यार रहेगा। वह दिन दूर नहीं जब यहां से विदेशों के लिए भी हवाई जहाज उडऩे लगेंगे। रीवा एयरपोर्ट शिलान्यास के बाद रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है, इस उपलब्धि के लिए भारतीय विमान प्राधिकरण व स्थानीय प्रशासन अभिनंदन का पात्र है। हवाई यातायात की सुविधा की दृष्टि से रीवा अब भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया है। भविष्य में हम और भी आगे बढ़ेंगे। देश में मोदी जी और प्रदेश में डॉ. मोहन यादव के कुशल और फलदायी नेतृत्व के अनुभव को देखते हुए मैं यह विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि अगले पाँच वर्षों के भीतर हम-सब का सपना पूर्णरूपेण यथार्थ के धरातल पर उतर जाएगा। यह विन्ध्य की आशाओं के केन्द्र रीवा के विकास का श्रेष्ठ व उन्नत दौर है जो स्वतंत्रता के अमृतकाल में प्रारंभ हो हुआ है।
मैं जब कहता हूँ कि अब रीवा मध्यप्रदेश के ही नहीं देश के समुन्नत और श्रेष्ठ महानगरों की श्रेणी में कदमताल मिलाकर चल पड़ा है तो इसके पीछे ठोस आधार है। 1956 तक रीवा विन्ध्यप्रदेश की राजधानी रहा है और तब इसकी हैसियत भोपाल, लखनऊ, पटना और भुवनेश्वर जैसे शहरों के समकक्ष थी। कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक द्वेषवश रीवा से एक प्रदेश की राजधानी का गौरव छीन लिया। 1956 से 2004 तक यह उपेक्षित और अभिशप्त पड़ा रहा। विन्ध्य में आज जो प्राकृतिक संसाधन हैं वो कल भी थे। आम नागरिकों में विकास की ललक और अपेक्षाएं कल भी वैसी ही थीं। केन्द्र में अटलजी और उसके बाद मोदीजी की नेतृत्व की व प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और अब डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आहत और उपेक्षित विन्ध्यवासियों की पीड़ा और भावनाओं को समझा है। आज यह क्षेत्र कई मामलों देश में अग्रगण्य है।
जब मैं कहता हूँ कि रीवा एयरपोर्ट उत्तरमध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयरपोर्ट होगा तो मेरी दृष्टि के सामने सिंगरौली का पावर काम्प्लेक्स उभरकर सामने आता है। सिंगरौली में थर्मल प्लांट्स में 20,000 मेगावाट से ज्यादा विद्युत उत्पादन होता है। देश का यह सबसे बड़ा पावर काम्प्लेक्स है। रीवा से सिंगरौली तक विश्वस्तरीय सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होकर पूर्णता के करीब है। जो यात्री पाँच घंटे में बनारस पहुँचते थे वे दो घंटे में रीवा एयरपोर्ट के लाउंज में होंगे। विन्ध्य की 29 बड़ी औद्योगिक इकाइयां 225 किमी की परिधि में फैली हैं और प्राय: सभी नेशनल हाईवेज से जुड़ी हैं। अपने रीवा का हाईवेज जंक्शन पहले ही विकसित हो चुका है। इन औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों के लिए रीवा एयरपोर्ट कितनी बड़ी सहूलियत बनने जा रहा है यह अब उनसे ही पूछ सकते हैं। विन्ध्य की वाइल्डलाइफ टूरिज्म का विश्व में स्थान है। यहाँ का सफेद बाघ दुनियाभर के चिडिय़ाघरों में दहाड़ रहा है। टीवी में दिखने वाला हर दूसरा बाघ या तो बांधवगढ़ का है या कि पन्ना का। पर्यटकों के लिए यह कितना आसान हो जाएगा। रीवा में 750 मेगावाट का सोलर पावर काम्प्लेक्स एशिया के बड़े पावर प्रोडक्शन यूनिट में शामिल है। रीवा में खूबसूरत प्रपातों की श्रृंखला है। भगवान राम का तपोवन चित्रकूट और माँ शारदा के धाम मैहर कौन नहीं आना चाहेगा।
बाणसागर का वृस्तित जल प्रक्षेत्र और उसके द्वीप विकसित होने पर हनुवंतिया के आकर्षण से आगे का प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करेंगे। अपना विन्ध्य पावर हब की तरह सीमेंट का भी प्रोडक्शन कॉम्प्लेक्स है। प्राय: सभी बड़े औद्योगिक घरानों का निवेश यहां आया है। रीवा में नागपुर की तरह मेडिकल फैसिलटी और कोटा की तरह एकडमीज का विस्तार हो रहा है। हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं कि देश का हर दसवां घर विन्ध्य में उत्पादित बिजली से रोशन हैं। देश के हर दसवें घर की बुनियादें यहां की फैक्ट्रियों से बनी सीमेंट से बेजोड़ और मजबूत हुई हैं। अभी तीन लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है, बाणसागर का पानी जब 9 लाख हेक्टेयर तक पहुँचेगा तब यहाँ के किसानों की स्थिति क्या बनेगी कल्पना की जा सकती है। विन्ध्यवासियों की क्रयशक्ति बढ़ी है और यही सब क्षमता मिलकर रीवा को उत्तरमध्य भारत के सबसे विकसित महानगर बनाने का काम करेगी। रीवा इंदौर की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। शहरी विकास की रेटिंग एजेंसियां रीवा को संभावनाओं का महानगर बता रहे हैं। इन्हीं सबके आधार पर मैं यह कहता हूँ कि रीवा एयरपोर्ट विन्ध्य के उन्नत उड़ान के लिए स्वर्णिम पंख लगाने जा रहा है।
रीवा एयरपोर्ट के फलितार्थ होने में भी परिश्रम की पराकाष्ठा शामिल है। मैं आभारी हूँ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज जी का, मुझे वह तारीख 13 जनवरी 2015 आज भी याद है जब उन्होंने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को रीवा में एयरपोर्ट की संभावनाओं के अध्ययन के लिए पत्र लिखा। इसके बाद वह सिलसिला चल निकला। प्रधानमंत्री जी ने किफायती दरों वाली उड़ान योजना लांच की तो उन्हीं की कृपा से रीवा 'उड़ानÓ में शामिल हो गया। श्री सिंधिया जी ने जब से उड्डयन विभाग की कमान सँभाली, रीवा एयरपोर्ट उनकी प्राथमिकता में सर्वोपरि रहा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने प्रदेश सरकार से कहा कि हमें रीवा के लिए 258 एकड़ भूमि और चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने बिना वक्त गँवाए इसके लिए 209 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए। जब जनसेवा का भाव और संकल्प प्रबल होता है तब दैवयोग से सभी कार्य ऐसे ही सधते जाते हैं, जैसे कि रीवा एयरपोर्ट की कल्पना और उसे अब यथार्थ के धरातल पर उतरते हुए देखना। मैं विन्ध्यजनों की ओर से, रीवा के नागरिकों की ओर विनयवत हूँ, आभारी और कृतज्ञ हूँ।
( लेखक- मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं)