कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने मारी टक्कर, 9 पैसेंजर की मौत, 41 घायल

फिर एक बड़ा ट्रेन हादसा हो गया। यह हादसा पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग में हुआ है। कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। यह हादसा सेामवार की सुबह हुई। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 41 यात्री बुरी तरह से घायल हुए हैं। दुर्घटना के बाद मौके पर राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। मौके के आंकड़े हालांकि धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं। अभी इसमें और इजाफा होने के आसार बताए जा रहे हंै।

कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने मारी टक्कर, 9 पैसेंजर की मौत, 41 घायल

एक्सीडेंट में 2 लोको पायलट और एक गार्ड भी की भी हुई मौत
दार्जिलिंग। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार सुबह 8.55 बजे एक मालगाड़ी ट्रेन ने कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से टक्कर मार दी। रेलवे ने बताया कि इस हादसे में 9 लोगों की मौत और 41 पैसेंजर घायल हो गए। हादसे के कुछ घंटे के बाद रेलवे बोर्ड की चेयरमैन और सीईओ जया वर्मा ने 5 लोगों की मौत और 25 लोगों के घायल होने की पुष्टि की। वहीं ईस्टर्न रेलवे के सीपीआरओ कौशिक मित्रा ने नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के हवाले से बताया कि 2 लोको पायलट और एक गार्ड समेत 8 लोगों की मौत हुई है। इस बीच 15 लोगों की मौत की खबर भी आई। सूत्रों के मुताबिक रेलवे के आंतरिक दस्तावेज में इस बात का खुलासा हुआ है कि ऑटोमेटिक सिग्नल खराब था, इस वजह से मालगाड़ी का ड्राइवर आगे बढ़ गया। रेड सिग्नल काम ही नहीं कर रहे थे। रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी के ड्राइवर को जारी किए दस्तावेज टीए 912 में उसे सभी रेड सिग्नल पार करने की मंजूरी थी।  इससे पहले रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा के मुताबिक मालगाड़ी के लोको पायलट ने सिग्नल ओवरशूट किया। इसके कारण वह कंजनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई। इस हादसे में गार्ड का डिब्बा, जनरल डिब्बा क्षतिग्रस्त हुआ है।
आटोमैटिक सिस्टम खराब होने से हुआ हादसा
रेलवे के एक सूत्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल में रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5.50 बजे से ही खराब था। कंचनजंगा एक्सप्रेस सुबह 8.27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और सुबह 5.50 बजे सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी के कारण रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुकी रही। जब सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी आती है तो स्टेशन मास्टर टीए 912 रिटन अथॉरिटी जारी करता है। यह ड्राइवर को खराबी के कारण सभी रेड सिग्नल पार करने का अधिकार देता है। रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टीए 912 जारी किया था। ट्रेन 10 मिनट से यहां रुकी रही। 8.42 बजे रंगापानी से निकली मालगाड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस से भिड़ गई। रेलवे के नियम के मुताबिक ड्राइवर को हर डिफेक्टिव सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन को रोकना चाहिए था। इतना ही नहीं इस दौरान ट्रेन की स्पीड भी 10 किमी प्रति घंटे की होनी चाहिए थी। हादसे के बाद फिलहाल कंचनजंगा एक्सप्रेस अलुआबारी स्टेशन पर है। यहां फिटनेस टेस्ट के बाद उसे सियालदह के लिए रवाना किया जाएगा। सारे पैसेंजर्स को 12.40 बजे स्पेशल ट्रेन से सियालदह के लिए रवाना किया जा चुका है।


हादसे वाले रूट पर कवच सिस्टम नहीं था
रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि हादसे वाले रूट पर कवच सिस्टम नहीं था। इस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। अब तक 1500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम एक्टिव है। इस साल के आखिरी तक इसे 3 हजार किलोमीटर तक ले जाया जाएगा।
मृतकों के परिवारों को 10 लाख की मदद
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना में जान गंवाने वाले परिवारों को 10 लाख रुपए, गंभीर घायलों को 2.50 लाख रुपए और मामूली घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की। इसके अलावा हादसे में मारे गए लोगों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए मदद का ऐलान किया गया है।

 हादसे की जांच कराई जाएगी: रेल मंत्री
कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आज दोपहर दार्जिलिंग पहुंचे। घटनास्थल पर वे बाइक से आए। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अभी में दुर्घटनास्थल पर रेस्क्यू का जायजा लेने गया था। डॉक्टर्स, रेलवे स्टाफ, स्टेट गवनर्मेंट के स्टाफ और गांव के लोगों ने फौरन रेस्क्यू का काम किया। अभी सारा फोकस रेस्क्यू और रेस्टोरेशन पर है। साथ ही साथ कमिश्नर रेल सेफ्टी के द्वारा जो इन्क्वायरी होती है, वो भी शुरू हो गया है। डेटा पॉइंट और डेटा लॉग देखा जा रहा है। कंप्लीट इन्क्वायरी के बाद ही हादसे की वजह का पता चलेगा।