सरकारी नर्सिंग छात्रों ने की हड़ताल, कमिश्नर से भी मिले लेकिन किसी ने नहीं दिया साथ, सब ने खड़े कर दिए हाथ
बिना भवन और क्लास रूम के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में छात्राओं को प्रवेश दिया गया। अब जब मान्यता पर संकट मंडराया तो डीन से लेकर कमिश्नर तक ने हाथ खड़े कर दिए। कोर्ट में प्रकरण होने का हवाला देकर छात्राओं को ही आगे कर दिया। छात्राएं भविष्य को लेकर परेशान हैं। बुधवार को पहले डीन को ज्ञापन सौंपा। सुनवाई नहीं हुई तो हड़ताल पर चली गईं। गुरुवार को कमिश्नर से मुलाकात की। कमिश्नर ने भी मदद से हाथ खड़े कर दिए हैं। छात्राओं को ही कोर्ट जाने का रास्ता दिखा दिया।
सरकारी नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने मेडिकल कॉलेज परिसर में दिया धरना, हड़ताल पर बैठी
रीवा। गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनका कॅरियर खतरे में है। कॉलेज की मान्यता जाने के डर से अब छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ बगावत पर उतर आई हैं। करो या मरों की स्थिति निर्मित हो गई है। बुधवार को डीन से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया। लिखित में आश्वासन नहीं मिला तो नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं गुरुवार को धरने पर बैठ गईं। कमिश्नर कार्यालय तक रैली निकाली। कमिश्नर से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
ज्ञात हो कि सीबीआई की जांच में गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज संचालन योग्य नहीं पाया गया था। जांच रिपोर्ट सीबीआई ने कोर्ट में प्रस्तुत कर दी। कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद अब गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की मान्यता पर भी संकट खड़ा हो गया है। कॉलेज में प्रवेश लेने वाली छात्राएं खुद को ठगा महसूस कर रही है। कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही छात्राओं के भविष्य पर भारी पड़ गई है। यही वजह है कि अब छात्राएं कॉलेज प्रबंधन से जवाब मांगने पर उतारू हो गई हैं। कोई भी ठोस जवाब नहीं दे रहा है। कई सालों से यहां एडमिशन लेकर पढ़ रही छात्राओं के साथ प्रबंधन ने धोखा किया। अब लिखित में जवाब भी नहीं दे रहा है। बुधवार को छात्राओं ने डीन को घेरा। डीन से उचित आश्वासन नहीं मिला तो गुरुवार को छात्राओं ने हड़ताल शुरू कर दी। कॉलेज के बाहर ही सभी छात्राएं एकजुट हो गईं। कई घंटों तक विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद वह सीधे रैली निकाल कर कमिश्नर कार्यालय पहुंच गई। कमिश्नर रीवा संभाग रीवा से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। हालांकि कमिश्नर ने भी मामला कोर्ट में होने के कारण किसी तरह का ठोस आश्वासन देने से हाथ खड़ा कर दिया। छात्राओं को सिर्फ उनका पक्ष कोर्ट में रखने की बात कही। इससे छात्र निराश हैं।
छात्राओं का यह है आरोप
छात्राओं का कहना है कि उनके साथ धोखा किया गया। उन्हें कॉलेज की बड़ी बड़ी बिल्डिंग दिखा कर प्रवेश दे दिया गया। इनके पास खुद की नर्सिंग कॉलेज की बिल्डिंग तक नहीं थी । हास्टल और लेक्चर हाल तक नहीं था। चंद छात्राओं के बैठने के लिए ही जगह थी लेकिन प्रवेश 120 सीटों पर दी जा रही थी। अब मान्यता ही चली गई। डेढ़ साल से प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्रों का इनरोलमेंट तक नहीं कराया गया।
कमिश्नर ने भी खड़े कर दिए हाथ
कमिश्नर रीवा संभाग ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश है तो हम कुछ नहीं कर सकते। कॉलेज की मान्यता आने की संभावना भी नहीं है। सीबीआई ने रिपोर्ट हाईकोर्ट में दी है। ऐसे में छात्राओं का ट्रांसफर दूसरे कॉलेज कर सकते हैं। इसके लिए कोर्ट में छात्राओं को अपील करने की बात कमिश्नर ने कही है। अब कॉलेज प्रबंधन की सजा छात्राओं को ही भुगतना पड़ेगा। छात्राओं ने कहा कि अब रीवा के डिप्टी सीएम से मुलाकात कर बात करेंगे। उनके सामने अपनी समस्याओं का मुद्दा रखेंगे। छात्राओं ने कहा कि हमें गारंटी चाहिए। हमें गारंटी दी जाए कि उनकी भी परीक्षाएं होंगी और नौकरी मिल सकेगी।
नर्सिंग एसोसिएशन ने भी दिया समर्थन
नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के समर्थन में रीवा नर्सिंग एसोसिएशन भी उतर आया है। नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष अम्बिका तिवारी ने कहा कि यह सारी लापरवाही प्रबंधन की है। कॉलेज प्राचार्य, डीन से लेकर डीएमई तक ने लापरवाही की। अब इसकी सजा छात्राएं भुगत रही हैं। कॉलेज बिल्डिंग की तरफ प्रबंधन ने कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। 10 छात्राओं के बैठने की जगह पर 120 छात्राओं की कक्षाएं संचालित की जा रही थी। अब मान्यता जाने के बाद सभी छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है।