सरकारी स्कूल बेहाल, सिर्फ एक कमरे में पांचवी तक की क्लास, वह भी किराया शिक्षक भर रहीं

सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने सरकार पानी की तरह बजट खर्च कर रही। सीएम राइज स्कूल बना रही हैं लेकिन रीवा शहर में एक ऐसी भी स्कूल है जो 36 सालों से एक किराए के कमरे में चल रही हैं। यहां न पर्याप्त बैठने की जगह और न ही सुविधाएं हैं। एक कमरे में ही कक्षाएं और कार्यालय संचालित होता है। भवन का किराया भी स्कूल शिक्षा विभाग नहीं दे रहा। स्कूल की शिक्षक ही किराया भी वहन कर रही हैं। अब स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

डिप्टी सीएम के सपनों के शहर में स्कूलों की दुर्गति, बैसाखी पर शिक्षा विभाग
सालों से किराए के कमरे में चल रहा स्कूल, बैठने तक की नहीं है पर्याप्त जगह
रीवा। सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने क लिए सरकार सर्वे पर सर्वे करा रही है। बजट जारी कर रही हैं। भवन विहीन स्कूलों के लिए भवन का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन शहरी क्षेत्र में ही एक ऐसी स्कूल है। जहां कुछ भी नहंी है। स्कूल तो संचालित हो रही है लेकिन इस स्कूल के पास न तो भवन है और ही छात्रों के लिए शौचालय की व्यवस्था ही हैं। यह स्कूल रीवा शहर में तुलसीनगर में संचालित हैं। तुलसीनगर प्रायमरी स्कूल एक किराए की दुकान में चल रही हैं। यहां शिक्षक और छात्र भी हैं लेकिन बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। एक ही कमरे में सारा काम होता है। जब अधिक संख्या में छात्र पहुंचते हैं तो उन्हें कमरे से बाहर सड़क पर बैठाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। इस स्कूल तक सभी स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी तक पहुंच चुके हैं लेकिन किसी ने स्कूल की दशा सुधारने की पहल नहीं की। हालात दिन प्रतिदिन और खराब हो रहे हैं। छात्रों की संख्या भवन न होने के कारण घटती जा रही है। आसपास के गरीब छात्रों को शिक्षा से संचित होना पड़ रहा है। कोई भी अपने बच्चों को बिना भवन के इस विद्यालय में भी भेजने को तैयार नहीं होता। अब ऐसे में सरकारी स्कूल की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दो शिक्षक और 21 छात्र हैं रजिस्टर्ड
तुलसीनगर स्कूल में 21 छात्र रजिस्टर्ड हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए दो महिला शिक्षक हैं। छात्र की संख्या और भी बढ़ सकती है लेकिन इन्हें पढऩे और बैठाने के लिए पर्याप्त जगह ही नहंी है। स्कूल शिक्षा विभाग किराए का भवन तक उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। भवन नहीं होने से स्कूल की शैक्षणिक स्तर भी गिरता जा रहा है। स्कूल में पदस्थ शिक्षक कई बार भवन और किराए के लिए पत्राचार कर चुके हैं लेकिन किसी तरह की पहल उच्च स्तर से नहीं हुई।
किराया तक स्कूल शिक्षा विभाग से नहीं मिलता
यहां पदस्थ महिला शिक्षकों को कहना है कि वर्ष 1989 से यह स्कूल संचालित है। पहले यहां शिक्षकों की संख्या अधिक थी। अब सिर्फ दो महिला शिक्षक ही शेष है। सरकार से स्कूल भवन नहीं उपलब्ध कराया गया है। किराए के एक भवन में ही स्कूल चल रही है। सिंगल कमरा है। इस कमरे का किराया भी दोनों महिला शिक्षक मिलकर आधा आधा वहन करती हैं। सालों से यही सिस्टम चल रहा है। स्कूल का नाम तो विभाग के खाते में दर्ज है लेकिन किराया शिक्षकों को भरना पड़ता है।