प्रदेश के 2 लाख शिक्षकों को सरकार का झटका, नियुक्ति दिनांक में हेरफेर, बुढ़ापे की लाठी ही कर दी कमजोर
सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ दगा कर दिया। ऐसा झटाक दिया है कि बुढ़ापे की लाठी ही कमजोर कर दी। रिटायरमेंट के बाद कई शिक्षकों को पेंशन और ग्रुेच्युटी तक नहीं मिलेगी। रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच गए शिक्षकों की पूरी सेवा अवधि ही समेट कर 2018 से शुरू कर दी गई है। यही मूल नियुक्ति दिनांक शिक्षकों के लिए सिरदर्द बन गई है। प्रदेश के लाखों शिक्षक प्रभावित हुए हैं। रीव के 10 हजार पर संकट खड़ा हुआ है। कई शिक्षक सरकार की इस कारस्तानी के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए हैं। हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सालों पहले शिक्षा विभाग में हुई नियुक्ति को आईएफएमआईएस में 2018 दर्ज कर दी
कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट की लगाई दौड़़, दायर की याचिका
रीवा। ज्ञात हो कि प्रदेश में वर्ष 1998 से 2013 के बीच स्कूल शिक्षा में जो भी शिक्षक नियुक्त हुआ। उसके साथ सरकार ने खेल कर दिया। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मी, गुरुजी और फिर अध्यापक संवर्ग में भर्ती की गई। इन सभी का बाद में संविलियन कर नए कैडर में शामिल कर दिया गया। पहले सभी शिक्षक पंचायत विभाग के कर्मचारी थे। बाद में इनके लिए नया कैडर राज्य शिक्षा सेवा नया कैडर निर्मित किया गया। 1 जुलाई 2018 से नए कैडर में इन सभी शिक्षकों को शामिल कर नया नाम प्राथमि, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक नाम दिया। नया तक सरकार की सारी मंशा ठीक रही लेकिन इसके बाद सब उलट पलट कर दिया गया। शिक्षकों की मूल नियुक्ति दिनांक ही नए कैडर में गायब कर दिया गया। इन सभी शिक्षकों की जानकारी वित्त विभाग के आईएफएमआईएस पोर्टल पर दर्ज की गई है। इसमें सभी की सेवा अवधि 1 जुलाई 2018 से गिनी गई है। यही दर्ज भी की गई है। सालों पहले नियुक्त हुए शिक्षकों की पुरानी पूरी सर्विस को ही शून्य कर दिया गया है। ऐसे में इन सभी शिक्षकों के रिटायरमेंट पर मिलने वाली पेंशन और ग्रेच्युटी सब सरकार हजम कर जाएगी। लाखों शिक्षकों को रिटायरमेंट के दौरान कुछ भी नहंी मिलेगा। सरकार का यह खेल शिक्षकों के भविष्य पर भारी पडऩे वाला है।
ऐसे समझे घाटे का गणित
सरकारी कर्मचारियों को सरकार ग्रेुज्युटी और पेंशन जैसी सुविधा देती है। पांच साल की सेवा पूरी करने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है। ग्रेच्युटी के लिए अलग अलग सेवा काल और अलग अलग राशि तय है। इन सभी लाभ से शिक्षक वंचित हो जाएंगे। कई शिक्षक वर्ष 1996 में नियुक्त हुए थे। उनकी भी नियुक्ति दिनांक आईएफएमआईएस पोर्टल में 1 जुलाई 2018 कर दी गई है। ऐसे में उन्हें रिटायरमेंट के दौरान ज्यादा लाभ होने वाला नहीं है। इसी तरह पेंशन में भी समस्या आएगी। इसमें नियुक्ति दिनांक बदलने से पेंशन की राशि भी कम हो जाएगी। इतना ही नहीं शिक्षक पेंशन के दायरे से भी बाहर हो जाएंगे। पेंशन के लिए भी सेवा अवधि शासन ने निर्धारित की है। सेवा अवधि कम होने पर पेंशन भी नहीं मिलेगी।
हाईकोर्ट पहुंच गए हैं कई शिक्षक
स्कूल शिक्षा विभाग की इस विसंगति के खिलाफ कई शिक्षक हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। अध्यापक शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता डॉ सुनील तिवारी ने बताया कि कुल 19 शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में नवीन कैडर के तीनों श्रेणियों की सेवा में प्रथमएवं मूल नियुक्ति दिनांक दर्ज करने, आईएफएमआईएस पोर्टल में सुधार के लिए चाचिका दायर की है। कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग और वित्त विभाग को नोटिस जारी कर इसमें जवाब मांगा है। उन्होंने बताया कि याचिका क्रमांक डब्लूपी 39244/2024 की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शासन से 27 जनवरी 2025 तक जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
क्रमोन्नति और पदोन्नति पुरानी नियुक्ति दिनांक से ही दे रहे
हद तो यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है। एक तरफ तो आईएफएमआईएस में नियुक्ति दिनांक 1 जुलाई 2018 दर्ज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों को मिलने वाली पदोन्नति और क्रमोन्नति पुरानी नियुक्ति दिनांक से ही दी जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि जब सब कुछ मूल नियुक्ति दिनांक से ही किया जा रहा है तो आईएफएमआईएस पोर्टल में सुधार क्यों नहीं किया जा रहा है। यदि इसमें सुधार नहीं किया गया तो पेंशन की नई योजना का भी लाभ शिक्षकों को नहीं मिलेगा। पेंशन के दायरे में ही कई शिक्षक नहीं आएंगे।