सरकारी सिस्टम ने लोन के दलदल में धकेला, पंचायत चुनाव में लगे टेंट व भोजन का 70 लाख नहीं दे रहा प्रशासन
भोपाल में एक विदेशी कंपनी के लोन फ्रॉड में फंस कर रीवा के एक विश्वकर्मा परिवार ने आत्म हत्या कर लिया। इसी तरह की हालात से रीवा शहर में भी एक व्यवसायी गुजर रहा है। यहां किसी लोन कंपनी ने नहीं अपितु सरकारी सिस्टम ने उसे लोन के दलदल में धकेल दिया। इतना ही नहीं भुगतान का लालच देकर उससे एक करोड़ से अधिक कार्य करा लिया गया और भुगतान एक पाई का नहीं हुआ।
रीवा। पीडि़त व्यवसायी डिप्रेशन में है। यदि जिला प्रशासन व सरकार द्वारा त्वरित कदम नहीं उठाया जाता तो भोपाल सामूहिक आत्महत्या कांड की कहानी पुनरावृत्ति की स्थिति बन सकती है। ऐसा इसलिए कि आहत वेंडर इस तरह का एलान भी किया है। गौरतलब है कि साल भर पूर्व राज्य निर्वाचन आयोग भोपाल द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत व निकाय चुनाव कराया गया। चुनाव व्यवस्था के लिए वेंडरों से आवश्यक सामग्री की सप्लाई करवाई गई थी। अनुभाग व तहसील स्तर पर चुनाव प्रक्रिया के संचालन व संलग्र निर्वाचन कर्मचारियों के भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी जिला प्रशासन द्वारा अनुबंधित वेंडर दुर्गा टेंट हाउस को सौंपी गई थी। इसी प्रकार स्टेशनरी, वाहन व्यवस्था निजी सोर्स की गई थी। बताया गया है कि उपरोक्त सभी निर्वाचन कार्यों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा एडवांस में राशि दी गई थी। चुनाव संपादित हुए साल भर से अधिक का समय व्यतीत हो रहा लेकिन संबंधितों को अभी तक भुगतान नहीं किया जा सका। इस संबंध में दुर्गा टेंट हाउस सिरमौर चौराहा के संचालक राजू कुशवाहा ने बताया कि निर्वाचन कार्य टेंट व भोजन का 35 लाख से अधिक का भुगतान रुका हुआ। 10 महीने पूर्व ही बिल प्रस्तुत कर दिया गया था। वित्तीय वर्ष व्यतीत होने पर बजट लेप्स करा दिया गया लेकिन भुगतान नहीं किया गया। चुनाव में व्यवस्था के लिए वह बैंक व अपने इष्ट मित्रों से कर्ज में पैसा लिया था। जिसकी ब्याज बढ़ रही है। राजू ने कहा कि चुनाव के पैसे का भुगतान का लालच देकर प्रधानमंत्री मोदी के रीवा में आयोजित कार्यक्रम को लेकर लगभग 50 लाख का भोजन पैकेट व पानी बोटल/ पाउच की व्यवस्था में खर्च कराया गया। उस पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया। इसी प्रकार मार्च व जून में आयोजित मुख्यमंत्री कन्याविवाह समारोह आयोजन में टेंट व भोजन की व्यवस्था करवाई गई लेकिन भुगतान नहीं किया गया। राजू के अनुसार टेंट व भोजन का लगभग सवा करोड़ से अधिक का भुगतान प्रशासनिक अधिकारियों ने फंसा कर रखा है। बताया कि चुनाव का पैसा भुगातन न होने पर वह अन्य आयोजनों में व्यवस्था के लिए पैसा खर्च करने की स्थिति में नहीं लेकिन भुगातन का आश्वासन देकर काम करा लिया गया और अब फाइल को दबा दिया गया है।
अधिकारी बदले,नहीं बदला सिस्टम
पंचायत चुनाव के बाद कलेक्टर, अपर कलेक्टर व जिपं सीईओ जिन्हें भुगतान करना था बदल गए, नए आये लेकिन कार्यप्रणाली नहीं बदली। जो नए आए वह और पेचीदा बनाने में लगे हैं। अब तो दूसरे अपर कलेक्टर का भी तबादला हो गया और पुराने वाले फिर आ रहे हैं। देखना यह है कि दुबारा पदस्थापना में वह क्या कदम उठाते हैं।
एसडीएम के रूप में जिस बिल को पास किया एडीएम बनने पर फंसाया पेंच
यहां आश्चर्यजनक बात यह भी सामने आई कि पंचायत चुनाव के दौरान सिरमौर एसडीएम के रूप में नीलमणि अग्रिहोत्री द्वारा बिल पास किया गया था लेकिन जब वह एडीएम बन कर रीवा में पदस्थ हुए तो अपने ही बिल में आपत्ति लगा दी। यहां सवाल यह है कि यदि बिल गलत था तो जारी ही क्यों किया गया था।
पीड़ित का कथन- जिनसे पैसा उधार लिया था वह दबाव डाल रहे हैं। ब्याज भी बढ़ रहा है। पैसे वसूलने लोग घर तक पहुंच जाते हैं। मन ग्लानि से भरा है। कुछ समझ में नहीं आ रहा कहें किससे। मैं तो सरकारी सिस्टम ही फंसा हूं।
राजू कुशवाहा
प्रोपा. दुर्गा टेंट हाउस रीवा