विंध्य ज्योति उमावि लक्ष्मणपुर मामले में बढ़ी सरकार की मुश्किलें, कोर्ट ने तलब किए स्क्रीनिंग कमेटी के रिकार्ड
विंध्य ज्योति उमावि लक्ष्मणपुर गड्डी रोड के 11 शिक्षकों के मामले में प्रशासन और शासन की मुश्किलें बढ़ गई है। कोर्ट के आदेश पर राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई। शिक्षकों को तलब किया गया लेकिन याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुए। कोर्ट में शासन ने जो स्क्रीनिंग के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की उस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई में स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किए गए रिकार्ड को न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
शासनाधीन होने के बाद 11 शिक्षकों को कर दिया गया था अपात्र
कोर्ट की शरण में पहुंचे तो मचा हड़कंप, राज्य स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट ने जताई आपत्ति
रीवा। आपकों बता दें कि ज्योति हायर सेकेण्डरी स्कूल लक्ष्मणपुर को शासनाधीन किया गया था। इसमें विद्यालय में पूर्व से कार्यरत शिक्षक जिन्हें शासनाधीन किया जाना था। उन्हें सूची से बाहर कर दिया गया था। स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट में याचिकाकर्ताओं को शासनाधीन किए जाने के लिए उपयुक्त नहीं पाया था। स्क्रीनिंग कमेटी ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ताओं के पास किसी तरह का नियुक्ति आदेश नहीं था। पंजी रजिस्टर आदि में हस्ताक्षर नहीं थे। इससे जुड़े कोई भी दस्तावेज याचिकाकर्ता स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष नहीं रखे थे। शिक्षकों ने स्थानीय स्तर से लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास आवेदन देकर शिक्षकों को शासनाधीन किए जाने की मांग की थी लेकिन उनके आवेदन को नजर अंदाज कर दिया गया था। इसके बाद शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दायर याचिका क्रमांक डब्लूपी 2076/2021 में कहा कि वह नियुक्ति से लेकर वर्ष 2012 तक संस्था में नियमित रूप से काम किए हैं। दस्तावेजों में प्रिंसिपल और ब्लाक शिक्षा अधिकारी दोनेां के हस्ताक्षर हैं। याचिकाकर्ताओं ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेज भी हासिल किए हैं। दस्तावेज में वर्ष 2012 तक लगातार काम करने का विवरण है। इसी आधार पर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका क्रमांक डब्लूपी क्रमांक 2076/2021 अवधेश प्रताप सिंह एवं अन्य विरुद्ध शासन में पारित अंतिम निर्णय दिनांक 3 दिसंबर 2024 को पारित किया गया। इसी के अनुक्रम में लोक शिक्षण संचालनालय ने अशासकीय विंध्य ज्योति उमावि लक्ष्मणपुर गड्डी रोड रीवा में कार्यरत अमले को निकायाधीन किए जाने के लिए राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया। लोक शिक्षण संचालनालय मप्र भोपाल ने 17 दिसंबर 2024 को पत्र जारी कर निर्देश दिए थे कि राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेकटी के समक्ष उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर अपात्र पाए गए शिक्षक, कर्मचारियों को अंतिम सुनवाई का अवसर 23 दिसंबर एवं 24 दिसंबर को दिया गया। सभी अपात्र शिक्षकों और कर्मचारियों को मूल प्रतियों के साथ लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे लेकिन याचिका में शामिल अधिकांश याचिकाकर्ता व्यक्तिगत सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए। इन सभी को लोक शिक्षण संचालनालय ने 26 दिसंबर को फिर से अपना पक्ष रखने का मौका दिया।इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट के अवलोकन पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। सभी याचिकाकर्ताओं को एक जैसी ही टिप्पणी कर अपात्र कर दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट में तलब होने के आदेश दिए। हालांकि उनकी जगह पर 28 जनवरी 2025 को संचालक स्कूल शिक्षा उपस्थित हुए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव की जगह संचालक की मौजूदगी को स्वीकार तो कर लिया लेकिन अगली सुनवाई अगले सप्ताह को नियत करते हुए स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े सभी दस्तावेजों को न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दे दिया है।
यह सभी हैं याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं में प्रमुख रूप से डा अवधेश प्रताप ङ्क्षसह, अभ्युदय सिंह, स्वदीप सिंह, अल्पना शुक्ला, दिनेश प्रसाद चौबे, अर्पणा तिवारी, विनोद कुमार गौतम, शारदा प्रसाद पाण्डेय, प्रमोद कुमार गौतम, कपिलदेव कुशवाहा, प्रमोद कुमार मिश्रा शामिल हैं। सभी शिक्षक शिक्षकों की पात्र सूची में खुद को शामिल करने की कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं।
कोर्ट ने कहा अधिकारियों ने एक निरर्थक अभ्यास किया है
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 24 फरवरी को कहा कि इस न्यायालय के 10 दिसंबर 2024 के आदेश के मद्देनजर इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि अधिकारियों द्वारा एक निरर्थक अभ्यास किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों को सूचित किया कि वह स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष उपस्थित होने के इच्छुक नहीं है। इसके पीछे वजह उनके पास अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कोई अन्य दस्तावेज नहीं है। सभी रिकार्ड स्कूल अधिकारियों के पास है। स्कूल अधिकारी रिकार्ड के संरक्षक हैं इसलिए उन्हें याचिकाकर्ताओं से संबंधित सभी रिकार्ड स्क्रीनिंग कमेटी के सामने प्रस्तुत करना आवश्यक था । स्क्रीनिंग कमेटी ने सभी याचिकाकर्ताओं के मामले में एक जैसी टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्क्रीनिंग कमेटी की टिप्पणी पर भी सवाल उठाए। साथ ही अगली सुनवाई में स्क्रीनिंग कमेटी के सभी रिकार्ड न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 28 जनवरी 2025 को कोर्ट के समक्ष प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को प्रस्तुत होना था लेकिन संचालक लोक शिक्षण डीएस कुशवाह उपस्थित हुए। कोर्ट से पीएस के व्यक्तिगत उपस्थिति की छूट मांगी गई। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट के समक्ष राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट के सामने कहा कि याचिकाकर्ताओं के माले पर अधिकारियों द्वारा पुनर्विचार किया गया है। एक पूरक रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसे राज्य से संबंधित मंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजा जाना है। उप महाविधवक्ता ने रिकार्ड को कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अगले सप्ताह फिर से मामले की सुनवाई नियत की गई है।