ठंड में बढ़ी दिल की धड़कन, नसें हुई कमजोर, बढ़ रहा हार्ट अटैक और ब्रेन स्टोक

कड़ाके की ठंड ने लोगों के दिलों की धड़के बढ़ा दी हैं। नसों को सिकोड़ दिया है। अस्पताल में दिल और पैरालिसिस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। एसजीएमएच के ओपीडी आंकड़े चौकाने वाले हैं। सिर्फ एक ही दिन में कार्डियोलॉजी विभाग में 254 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। वहीं 8 लोग भर्ती किए गए।

ठंड में बढ़ी दिल की धड़कन, नसें हुई कमजोर, बढ़ रहा हार्ट अटैक और ब्रेन स्टोक
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संजय गांधी अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे 254 हार्ट के मरीज
50 ब्रेन और नसों से जुड़े मरीज भी पहुंचे
रीवा। ज्ञात हो कि इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। मौसम का तापमान तेजी से नीचे गिर रहा है। कड़ाके की ठंड के कारण दिल के मरीजों और लकवा वाले मरीजों की संख्या भी अस्पताल में तेजी से बढ़ रही है। दिल दगा देने लगा है। संजय गांधी और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों की लाइनें लग रही है। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को अस्पताल में सबसे अधिक भीड़ रहती है। यदि सोमवार के आंकड़ों पर नजर डाले तो यह चौकाने वाले हैं। कार्डियोलॉजी विभाग की ओपीडी में 254 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इससे स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं सालभर के आंकड़ों पर भी नजर डाले तो भी दिल के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। लगातार इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। दिल के मरीजों के लिए ठंड सबसे ज्यादा खतरनाक है। सबसे बुरा असर बुजुर्गों पर ही पड़ता है। यही वजह है कि संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी में हार्ट की समस्या लेकर पहुंचने वाले मरीज अचानक से बढ़ गए है। इसी तरह का हाल पैरालिसिस के मरीजों का भी है। ब्रेन स्ट्रोक आदि के मरीजों की भी संख्या बढ़ी है। ओपीडी में न्यूरोलॉजी विभाग में सोमवार को 50 मरीज पहुंचे थे। इसके अलावा 2 मरीज अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती भी हुए हैं।
9 महीनों में एसजीएमएच के ओपीडी आंकड़े
मंथ    कार्डियक      
अप्रैल    3490      
मई    4126      
जून    3442      
जुलाई    4209     
अगस्त    3925      
सितंबर    4502     
अक्टूबर     4317     
नवंबर     4310   
दिसंबर    3907   
योग    36228   
इस उम्र के ज्यादा आ रहे मरीज
वर्तमान में सबसे अधिक हार्ट अटैक के शिकार बुजुर्ग हो रहे हैं। 40 से 60 साल की उम्र के बीच के मरीजों की संख्या ज्यादा है। बुजुर्ग को दिल की बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। इसके अलावा दिल के पुराने मरीज भी प्रभावित हो रहे हैं।
इसलिए बढ़ जाते हैं ठंड में मरीज
ठंड में हार्ट का काम बढ़ जाता है। सरकारी को गर्म रखने के लिए दिल को ज्यादा करना पड़ता है। ठंड में धमनियां सिकुड़ जाती हैं। इसके कारण रक्त का दबाव भी बढ़ जाता है। इस दौरान छोटे छोटे ब्लाकेज नसों के सिकुडऩे के कारण हार्ट अटैक का कारण बनते हैं। इसके अलावा ठंड में खून भी अन्य मौसमों की तुलना में थोड़ी गाड़ा हो जाता है। खानपान भी अनियंत्रित हो जाता है। लोग तलीभुनी चीजें ज्यादा खाते हैं। इसके कारण भी हार्टअटैक के मामले ठंड में बढ़ जाते हैं।
हार्टअटैक का यह है लक्षण
कई लोगों को हार्ट अटैक के लक्षण के बारे में भी जानकारी नहीं है। इसके कारण भी इलाज मिलने में इन्हें देरी हो जाती है। यदि आपके शरीर में नाभी से ऊपर जबड़े के बीच में कहीं भी तेजी और असहनीय अचानक दर्द उठे। खूब पसीना आए तो समझ जाइए कि यह हार्ट अटैक के ही लक्षण हैं। ऐसे में बिना देरी किए आसपास के किसी भी अस्पताल में पहुंचे। ईसीजी कराएं और प्राथमिक उपचार लेने के बाद तुरंत इलाज के लिए बड़े अस्पताल में पहुंच जाएं।
न्यूरोलॉजी के मरीज भी कम नहीं
न्यूरोलॉजी से जुड़े मरीजों की भी संख्या कम नहीं है। अप्रैल में न्यूरोलॉजी ओपीडी में 829, मई में 1325, जून से 1456, जुलाई 1683, अगस्त में 1546, सितंबर में 1871, अक्टूबर में 1716, नवंबर में 1691, दिसंबर में 1573 मरीज पहुंचे थे। ब्रेन स्ट्रोक और पैरालिसिस जैसी बीमारियों का इलाज भी अब रीवा में बेहतर हो रहा है। पहले संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी में न्यूरोफिजीसियन ही नहीं थे। अब संजय गांधी अस्पताल में एक और सुपर स्पेशलिटी में दो स्पेशलिट मौजूद हैं। समय पर पैरालिसिस और ब्रेन स्टे्राक के मरीजों के पहुंचने पर उन्हें बचाया भी जा रहा है। बेहतर इलाज मिल रहा है।
इन्हें ब्रेन स्ट्रोक का ज्यादा खतरा
ब्रेन स्ट्रोक के लिए वही फैक्टर जिम्मेदार हैं जो हार्ट अटैक के लिए हैं। ब्रेन स्ट्रोक भी उन्हीं लोगों को अपनी चपेट में लेता है जो हार्ट अटैक के हद में आ सकते हैं। सबसे ज्यादा खतरा हायपर टेंशन, डायबिटीज, मोटापा और थायराइड वाले मरीजों को हैं। इनमें ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है।
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इन पांच लक्षण (बीफास्ट)को जान ले तो बच जाएगी जान
बी  -  बैलेंस - किसी को अचानक चक्कर आने लगे
ई   - आई   - अचानक डबल दिखने लगे
एफ - फेस  - चेहरे में तिरछा पन दिखने लगे
ए   - आर्म  -  हाथ ऊपर उठाने में दो बराबर रिस्पांस नहीं करते
एस - स्पीच - किसी को बोलने में दिक्कत आने लगे
टी  - टाइम - समय रहते अस्पताल पहुंचे