चन्द्रयान 3 की टीम में शामिल इसरो वैज्ञानिक ओम पाण्डेय पहुंचे रीवा, हुआ स्वागत

चन्द्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण में शामिल रहे रीवा के दामाद और विंध्य के लाल का गुरुवार को रीवा में भव्य स्वागत और सम्मान किया गया। नेहरू नगर के लोगों ने फूल माला से उनका स्वागत किया। वह दो दिन रीवा में रहेंगे। नगर निगम पहुंच कर उन्होंने अपना मैरिज सर्टिफिकेट भी बनवाया।

चन्द्रयान 3 की टीम में शामिल इसरो वैज्ञानिक ओम पाण्डेय पहुंचे रीवा, हुआ स्वागत
रीवा में इसरो वैज्ञानिक ओम पाण्डेय का भव्य स्वागत

रीवा। ज्ञात हो कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चन्द्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण में देश के वैज्ञानिकों की भूमिका अहम रही। इसमें रीवा के दामाद और विंध्य के लाल वैज्ञानिक ओम पाण्डेय ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। टीम का हिस्सा रहे। मॉनीटरिंग कमेटी में रहे। सफल प्रक्षेपण के बाद वह पहली मर्तबा अपने गांव सतना जिला अंतर्गत करसरा पहुंचे। उनका सतना जिला में जगह जगह स्वागत हुआ। कॉलेज, स्कूल सहित कई संस्थान में बुलाया गया। इसके बाद वह रीवा अपने ससुराल पहुंचे। नेहरू नगर में रहने वाले हरिश्चन्द्र शुक्ला के वह दामाद हैं। वैज्ञानिक ओम पाण्डेय के रीवा पहुंचने की जानकारी जैसे ही वार्ड के लोगों को हुई। वह सभी उनका सम्मान करने पहुंच गए। फूल मालाओं से सम्मानित किया गया।
एक दिन में बनाया गया मैरिज सर्टिफिकेट
वैज्ञानिक ओम पाण्डेय नगर निगम भी पहुंचे। वह अपना मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने गए थे। कमिश्नर नगर निगम संस्कृत जैन को जैसे ही इसकी जानकारी हुई। उन्होंने मैरिज सर्टिफिकेट जल्द से जल्द बनाने के निर्देश दिए। एक ही दिन में वैज्ञानिक ओम पाण्डेय का मैरिज सर्टिफिकेट भी बना दिया गया।
रीवा के जनप्रतिनिधि और समाजसेवी रहे निष्क्रिय
पूरे विश्व में जिस मिशन को लेकर देश का डंका बजा। उस मिशन का हिस्सा रहे विंध्य के लाल ओम पाण्डेय का सतना में भव्य स्वागत हुआ लेकिन रीवा वालों ने सुध तक नहीं ली। रीवा पहुंचने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी, सामाजिक संस्था के लोग उनके स्वागत के लिए नहीं पहुंचे। कॉलेज, स्कूलों के संचालक भी उनका अनुभव छात्रों को नहीं उपलब्ध करा पाए।
वैज्ञानिक ओम पाण्डेय ने कहा इसरो में वैज्ञानिक बनना है तो जिद और जुनून जरूरी है
चन्द्रयान 3 मिशन की में शामिल रहे विंध्य के लाल वैज्ञानिक ओम पाण्डेय ने कहा कि यदि युवाओं और छात्रों के अंदर जिद और जुनून है तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। सफलता मिल कर ही रहेगी। वैज्ञानिक ओम पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने इसरो वैज्ञानिक बनने के लिए बहुत संघर्ष किए। संघर्ष पूर्ण जीवन रहा। आभाव ग्रस्त स्थिति से होकर गुजरे। वैज्ञानिक बनने का जुनून और जिद थी। उसे पूरा करने के लिए जान लगा दी। उन्होंने इस सफलता का श्रेय देने की बात पर कहा कि किसी एक को इसका श्रेय देना ठीक नहीं है। मेरे माता पिता, गुरू और उन सभी को मेरी इस सफलता श्रेय जाता है जो चाहते हैं कि आप आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि युवा यदि इसरो में वैज्ञानिक बनने का सपना देख रहे हैं तो उन्हें पहले इंजीनियरिंग करनी होगी। इसके बाद इंट्रेंस एग्जाम होता है। उसे पास करने के बाद ही आप इसरो में साइंटिस्ट बन सकते हैं।