यदि आप है किसी दवा के साइड इफेक्ट का शिकार तो यह खबर आपके लिए जरूरी है, एक शिकायत करा सकती है दवा को बैन

यदि जीवन रक्षक दवाइयों आपके अपनों की मौत का कारण बन गई हैं या फिर इसके सेवन से साइड रिएक्शन का शिकार हुए हैं तो अब उनके खिलाफ आप बैन तक करने की कार्रवाई कर सकते हैं। दवाइयों के रिएक्श पर नजर रखने के लिए श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में भी फार्मेकोविजलेंस आफीसर की नियुक्ति की गई है। एडीआर मॉनीटरिंग सेंटर स्थापित किया गया है। जो आपकी शिकायतों पर जांच कर उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव डब्लूएचओ और आईपीसी सेंटर गाजियाबाद को भेजा है। पिछले दो सालों से यह सेंटर रीवा में काम कर रहा है लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहंी थी। यही वजह है कि आपनो को खोने के बाद भी दवा कंपनियों की मनमानी के खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं ले पाए।

यदि आप है किसी दवा के साइड इफेक्ट का शिकार तो यह खबर आपके लिए जरूरी है, एक शिकायत करा सकती है दवा को बैन

REWA. श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के फार्मेकोविजलेंस डिपार्टमेंट में पदस्थ फार्मेकोविजलेंस एसोसिएट्स अतुल तिवारी से इन्हीं सब मुद्दों पर वन टू वन चर्चा की गई। आइए सवालों इस विभाग के कार्यों से आपको भी अवगत कराते हैं।


सवाल- यह विभाग कैसे काम करता है?
अतुल तिवारी- इसे फार्मेंकोविजलेंस विभाग करते हैं। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में यह विभाग अगस्त 2022 में आया। एडीआर मॉनीटरिंग सेंटर स्थापित किया गया। इसका हेडक्वार्टर इंडियन फार्मोकोबिया कमीशन गाजियाबाद है। यह केन्द्रीय लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। डब्लूएचओ से कोलेबरेटेड सेंटर है। 2022 में इस सेंटर को मान्यता मिली। जनवरी 2024 से मैं यहां पर काम कर रहा हूं। एडीआर का मतलब है। दवा का दुष्प्रभाव। एंटी ड्रग रिएक्शन। जब कोई दवा की रिसर्च होती है तभी कई दवाइयों के दुष्प्रभाव सामने आ जाते हैं। कई दवाइयां ऐसी होती है जिनका दुष्प्रभाव उनके मार्केट में उतरने के बाद सामने आती हैं। फार्मेकोविजलेंस डिपार्टमेंट किसी भी दवा के मार्केट में आने के बाद काम करती है।
सवाल- यह विभाग काम कैसे करता है, कैसे लोगों को फायदा मिलता है
अतुल तिवारी- यदि कोई व्यक्ति कोई दवा का उपयोग करता है। दवा खाने के बाद कोई दुष्प्रभाव होता है तो वह यहां पर जानकारी देता है। वह जानकारी हम साफ्टवेयर के जरिए हेडक्वार्टर को भेजते हैं। एक कापी डब्लूएचओ को भेजते हैं। इसके बाद यह देखते हैं कि दवा का दुष्प्रभाव कितना है। दवा के दुष्प्रभाव के आधार पर उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं।
सवाल- मरीज कैसे आपसे जुड़ सकते हैं, कैसे शिकायत कर सकते हैं
अतुल तिवारी- यदि शिकायत की बात करें तो संजय गांधी अस्पताल की ओपीडी पर्ची में नीचे की तरफ टॉल फ्री नंबर दर्ज कराया गया है। टोल फ्री नंबर से संपर्क कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आफीसियल मेल आईडी भी हैं। उस पर भी शिकायत भेज सकते हैं। इसके अलावा कंज्यूमर फार्म भर कर मेल से आईपीसी के पास भेज सकते हैं। इसके बाद आईपीसी जहां से भी शिकायत आती है। वह वहां की एडीआर सेंटर को भेजता है। एडीआर सेंटर शिकायतों की क्रास चेक करता है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में इसके लिए कमेटी बनी हुई है। इसमें आने वाली शिकायतों का टीम के बीच में डिस्कशन होता है। डब्लूएचओ के जो नार्म हैं। उस नार्म के हिसाब से जांच की जाती है। फिर रिपोर्ट हेडक्वार्टर और डब्लूएचओ को भेज देते हैं।
सवाल- कौन कौन और किस तरह के लोग शिकायत कर सकते हैं
अतुल तिवारी- इसमें कोई भी शिकायत कर सकता है। 976 एएमसी सेंटर है। सभी सेंटरों से इंटी ड्रग रिएक्शन की रिपोर्ट आती है। यदि किसी दवाइयों के एंटी रिएक्शन से कई लोग प्रभावित होते हैं और 5 हजार शिकायतें आती हैं तो उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। किसी दवा के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कम से कम 5 हजार से अधिक शिकायतें आनी जरूरी हैं। यहां कोई भी शिकायत कर सकता है।
सवाल- अभी तक रीवा में कितनी शिकायतें आ चुकी है
अतुल तिवारी- अभी तक रीवा में 240 शिकायतें जनवरी से अब तक आ चुकी हैं। 25 से 30 शिकायतें हर महीने पहुंच रही है।
सवाल- क्या इसमें सरकारी अस्पताल की ही शिकायतें हो सकती है या फिर प्राइवेट की भी हो सकती हैं
अतुल तिवारी- एडीआर मॉनीटरिंग सेंटर में किसी भी अस्पताल के मरीज शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। कोई भी मरीज दवा की शिकायत कर सकता है जो उसे प्रभावित की हो।