यह 6 लक्षण आप समझ गए तो ब्रेन स्टोक से बच जाएंगे, जानिए कितने घंटे होते हैं अहम

ब्रेन स्टोक भी हार्ट अटैक की तरह की खतरनाक है। यदि इस बीमारी के लक्षण समझ गए और समय रहते इलाज मिल गया तो जान बच जाएगी। वर्ना यह बीमारी भारी पड़ सकती है। ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इस अटैक में शुरुआत के 3.50 घंटे सबसे अहम होते हैं। इस बीच में यदि इलाज मिल गया तो जान बच जाएगी।

यह 6 लक्षण आप समझ गए तो ब्रेन स्टोक से बच जाएंगे, जानिए कितने घंटे होते हैं अहम
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रीवा। ब्रेन स्ट्रोक आपके पूरी शरीर को निष्क्रिय कर सकता है। अंगों को प्रभावित कर सकता है। ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हार्ट अटैक की तरह की ब्रेन स्ट्रोक भी काफी खतरनाक है। यह मरीजों को पूरी तरह से अपाहिज बना देता है। चलते फिरते आदमी को बिस्तर पर पहुंचा देता है। इसमें पूरा शरीर या फिर कुछ हिस्सा बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। इसकी वजह लोगों में बीमारी के लक्षण की जानकारी न होना है। हार्ट अटैक के लक्षण तो सभी जानते हैं लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों से लोग अनजान है। यही अज्ञानता भारी पड़ जाती है। समय पर अस्पताल न पहुंच कर इधर उधर चक्कर काटते रह जाते हैं और इलाज का गोल्डन आवर निकल जाता है। फिर ब्रेन स्ट्रो के मरीजों की रिकवरी मुश्किल हो जाती है। संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ठंड के सीजन में मरीजों की भरमार है। हर दिन 5 से 6 मरीज पहुंच रहे हैं। सभी मरीज ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। इसमे से करीब 90 फीसदी मामलों में दिमाग की  नसों में ब्लाकेज ही सामने आते हैं। सिर्फ 10 फीसदी मामलों में ही दिमाग की नसें फटती है। ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए जरूरी है कि लोग इस बीमारी के पांच लक्षणों को ध्यान में रखें और समय रहते अस्पताल पहुंचे।
इन्हें ब्रेन स्ट्रोक का ज्यादा खतरा
ब्रेन स्ट्रोक के लिए वही फैक्टर जिम्मेदार हैं जो हार्ट अटैक के लिए हैं। ब्रेन स्ट्रोक भी उन्हीं लोगों को अपनी चपेट में लेता है जो हार्ट अटैक के हद में आ सकते हैं। सबसे ज्यादा खतरा हायपर टेंशन, डायबिटीज, मोटापा और थायराइड वाले मरीजों को हैं। इनमें ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है।
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इन पांच लक्षण (बीफास्ट)को जान ले तो बच जाएगी जान
बी  -  बैलेंस - किसी को अचानक चक्कर आने लगे
ई   - आई   - अचानक डबल दिखने लगे
एफ - फेस  - चेहरे में तिरछा पन दिखने लगे
   - आर्म  -  हाथ ऊपर उठाने में दो बराबर रिस्पांस नहीं करते
एस - स्पीच - किसी को बोलने में दिक्कत आने लगे
टी  - टाइम - समय रहते अस्पताल पहुंचे
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4.30 घंटे मरीज के लिए अहम
ब्रेन स्ट्रोक आने पर शुरू के 4.30 घंटे मरीज के लिए अहम होते हैं। यदि स्ट्रोक आने के तुरंत बाद यदि मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाता है तो उसके जल्द ही ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक का इलाज शुरू कर दिया जाता है। कुछ स्ट्रोक माइनर होते हैं। लोगों को स्ट्रोक आता है और पता भी नहीं चलता। वह कुछ ही समय में अपने आप ठीक हो जाता है। मरीज की बाडी रिकवर कर लेती है। वहीं मेजर अटैक में दिक्कतें होती है। नसें फट जाती हैं या फिर ब्लाक हो जाती है। इसमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
90 फीसदी माइनर अटैक अपने आप ठीक हो जाते हैं
हार्ट अटैक आने पर जब मरीज अस्पताल पहुंचता है तो उसे ब्लड क्लॉटिंग को घोलने का इंजेक्शन दे देते हैं। इसी तरह का इलाज स्ट्रोक के मरीज में भी होता है। दिमाग में जो खून सप्लाई करने वाली नसें रहती है वह ब्लाक हो जाती हैं। उसे खोलने की दवा देते हैं। कुछ स्ट्रोक अपने आप ठीक या रिकवर हो जाते हैं। माइनर स्ट्रोक 90 फीसदी अपने आप ठीक हो जाते हैं। मेजर स्ट्रोक में ही दिक्कत होती है। यदि कोई साढ़े चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाता है तो उसके रिकवर होने की संभावना बढ़ जाती है।
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इस वक्त आता है स्ट्रोक
ठंड का समय सबसे खतरनाक है। ठंड का मौसम हो गया समय। दोनों में ही ठंड स्ट्रेाक के लिए जिम्मेदार है। ठंड के समय में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। इसी तरह कब स्ट्रोक आएगा। इसका भी समय लगभग तय ही रहता है। सबसे अधिक ब्रेन स्ट्रोक सुबह 3 बजे से सुबह 5 बजे के बीच में ही आता है।
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रीवा में हर दिन 5-6 मरीज आ रहे हैं। अधिकांश मामलों में ब्रेन की नसें फटी मिलती है या फिर ब्लाकेज मिलता है। ब्लाकेज के 85 फीसदी मामले सामने आते हैं। 15 फीसदी नसों के फटने के मामले सामने आते हैं। इसका प्रमुख कारण बीपी और कोलेस्ट्रॉल है। ब्रेन नाजुक स्ट्रक्चर है। हर मिनट 50 एमएल ब्लड ब्रेन के 100 ग्राम पार्ट में जाता है। यदि यह ब्लड सप्लाई कम हो जाए तो हर घंटे न्यूरोन्स डैमेज होते जाते हैं और रिस्क बढ़ता जाता है। ठंड में हार्ट अटैक की तरह की स्ट्रोक के मामले भी बढ़ जाते हैं।
डॉ बीरभान ङ्क्षसह
न्यूरोफीजीसियन, एसजीएमएच रीवा