आरएसएस प्रमुख के बयान का असर, मणिपुर हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह का एक्शन शुरू
मणिपुर हिंसा पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान सामने आया था। इस बयान ने पूरे देश में हड़कंप मचा दी थी। इस बयान के कई मायने निकाले जाने लगे थे। आरएसएस प्रमुख के बयान के बाद भाजपा सरकार ने मणिपुर हिंसा का तोड़ निकालने की कोशिशों में जुट गई है। जम्मू कश्मीर में बैठक के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर हिंसा को तोड़ निकालने में जुट गए है। दिल्ली में गृह मंत्री ने बैठक बुला ली है। वहीं राज्यपाल से भी मुलाकात की है।
मोहन भागवत ने कहा था- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा और राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की दिल्ली में बैठक चल रही है। इसमें केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो प्रमुख तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी, मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह और असम राइफल्स के डीजी प्रदीप चंद्रन नायर बैठक में शामिल हुए। 16 जून को ही गृह मंत्री शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर हाई लेवल मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों को आतंकवाद और आतंकियों के मददगारों पर सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं। मोदी कैबिनेट के शपथ लेने के एक दिन बाद 10 जून को आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा था- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।
मणिपुर की राज्यपाल ने की थी शाह से मुलाकात
मणिपुर के हालात पर यह हाईलेवल मीटिंग राज्यपाल अनुसुइया उइके की गृह मंत्री से मुलाकात के एक दिन बाद बुलाई गई है। अनुसुइया ने शाह से मुलाकात के दौरान पूर्वोत्तर राज्य की मौजूदा स्थितियों के बारे में जानकारी दी थी। मणिपुर में पिछले साल 3 मई से जातीय हिंसा जारी है, जब अखिल आदिवासी छात्र संघ (एटीएस) ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में आयोजित रैली में झड़पें हुई थीं। चुराचांदपुर जिले में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जो देखते ही देखते पूर्वी-पश्चिमी इंफाल, बिष्णुपुर, तेंगनुपाल और कांगपोकपी समेत अन्य जिलों में फैल गए थे। जून में एक व्यक्ति की हत्या के बाद कोटलेन में अज्ञात बदमाशों ने मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के कई घरों को जला दिया। इसके बाद जिरीबाम के 600 लोग असम के कछार जिले में शरण ले रहे हैं। मणिपुर में 67 हजार लोग विस्थापित हुए