मप्र के इस मंदिर में विराजे राधा-कृष्ण 100 करोड़ के गहने पहनते हैं, जानिए क्या है मंदिर की खास बातें
गोपाल मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण ने 100 करोड़ के गहनों से सजाया गया है। इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। यह गहने एंटिक हैं। रात 12 बजे कृष्ण जन्म तक भक्त भगवान के दर्शन कर सकेंगे।मंदिर की सुरक्षा में भारी पुलिस बल तैनात की गई है। यहां राधा कृष्ण के दर्शन करने भारी भीड़ उमड़ती है। कृष्ण जन्माष्टी के अवसर पर यहां मथुरा जैसा एहसास होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यह मंदिर भक्तों के लिए 24 घंटे खुला रहेगा।
देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची है। राधा कृष्ण मंदिर को सजाया गया है। भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। आज रात मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। देशभर के मंदिरों में एक राधा कृष्ण मंदिर मप्र के ग्वालियर का भी खास है। फूल बाग चौराहे के पास स्थित गोपाल मंदिर में तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था से घिरा हुआ है। यहां करीब 200 जवान तैनात किए गए हैं। सादा वर्दी में भी सुरक्षा अमला तैनात है। पूरा परिसर मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। इतनी सुरक्षा इस मंदिर में राधा कृष्ण भगवान को किए गए श्रृगार के कारण है। यहां के राधा कृष्ण को हर साल करीब 100 करोड़ के गहनों से सजाया जाता है। इस मर्तबा भी इन्हें हीरा, पन्ना, नीलम, माणिक से जुडि़त आभूषणों से सजाया गया है। इन्हें देखने के लिए देश के कोने कोने से लोग पहुंचते हैं। कृष्ण जन्माष्टी पर यहां भक्तों की ऐसी भीउ़ लगती है जैसे मथुरा में भक्त उमड़ते हैं। यह मंदिर अपने आप में इतिहास सजोए हुए हैं। आइए जानते हैं क्यों है यह मंदिर खास।
इन्होंने की थी मंदिर की स्थापना
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जडि़त सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जडि़त सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इन गहनों से राधा-कृष्ण का शृंगार होता है।
बैंक लॉकर में रखे जाते हैं गहने
गोपाल मंदिर में विराजमान राधाकृष्ण के विशेष श्रृंगार के लिए बेशकीमती गहनों को बैंक लॉकर में रखा जाता है। नगर निगम ग्वालियर के पास इनको निकालने व रखने का अधिकार है। जन्माष्टमी से पहले एक समिति बनाई गई थी। जिसने शुक्रवार को इन गहनों को बैंक लॉकर से निकालकर राधा-कृष्ण का शृंगार किया। बैंक से लाकर मंदिर तक लाने में विशेष सुरक्षा बल तैनात किए जाते हैं। भारी सुरक्षा के बीच गहनों को मंदिर तक लाया और ले जाया जाता है। देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों धारण किए रहते थे, लेकिन आजादी के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में रखवा दिए गए। जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर इन्हें लॉकर से निकाला जाने लगा।