वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का लोकार्पण कल, आमंत्रण पत्र से महापौर का ही नाम गायब सिर्फ डिप्टी सीएम का ही नाम

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पहडिय़ा बन कर तैयार हो गया है। इसका लोकार्पण 16 फरवरी को होने जा रहा है। इस लोकार्पण में भी राजनीतिक खींचतान साफ दिखने लगी है। नगर निगम के कार्यक्रम से नगर निगम महापौर और रीवा के प्रथम नागरिक का ही आमंत्रण पत्र से नाम गायब कर दिया गया है। सिर्फ डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल को मुख्य अतिथि के रूप में नाम दर्ज कराया गया है। इस आमंत्रण पत्र के सामने आने के बाद फिर एक बार राजनीतिक प्रतिद्धंदिता उभर कर सामने आ गई है। राजनीतिक लड़ाई के चक्कर में रीवा के प्रथम नागरिक को नजर अंदाज किया गया है।

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का लोकार्पण कल, आमंत्रण पत्र से महापौर का ही नाम गायब सिर्फ डिप्टी सीएम का ही नाम

-28 नगरीय निकायों के कचरे से बनेगी 6 मेगावाट बिजली
- स्वच्छ भारत मिशन के लिए मील का पत्थर साबित होगा यह प्लांट
रीवा। ज्ञात हो कि रीवा जिला में एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना क्लस्टर रीवा के अंतर्गत पहडिय़ा में नवनिर्मित वेस्ट टू इनर्जी प्लान्ट का लोकार्पण 16 फरवरी को उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल द्वारा किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल 16 फरवरी को अपरान्ह 2.30 बजे वेस्ट टू इनर्जी प्लान्ट का कमिशनिंग एवं ग्रिड सिक्रो नाइजेशन (सीओडी) करेंगे। एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना क्लस्टर रीवा के अंतर्गत 28 नगरीय निकायों का कचरा न केवल निष्पादित होगा बल्कि इससे बिजली का भी निर्माण होगा।  वेस्ट टू इनर्जी प्लान्ट के निर्माण की शुरुआत वर्ष 2019 से शुरू हुई थी। यह दो साल में बन कर तैयार हो जाना था लेकिन इसे पूरा होने में पांच साल लग गए। इस इस प्लांट के पूरा होने के बाद श्रेय लेने का दौर शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले महापौर ने प्लांट के शुभारंभ को लेकर सवाल खड़े किए थे। कचरा प्लांट का निरीक्षण कर इसे अधूरा बताया था। इसके बाद से ही महापौर और भाजपा सरकार, नगर निगम आमने सामने खड़े हो गए थे। इसके बाद नगर परिषद की बैठक में विरोध से भी यह नाराजगी और दूरियां और बढ़ गईं। शुक्रवार को कचरा प्लांट का लोकार्पण होने जा रहा है। इसके आमंत्रण का कार्ड छपावाया गया है। नगर निगम ने कार्ड से महापौर अजय मिश्रा बाबा का ही नाम गायब कर दिया है। जबकि नगर निगम का ही यह कार्यक्रम है। महापौर का कार्ड से नाम ही गायब कर दिया गया है। महापौर का अनादर किया जाना है राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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मानव श्रम का किसी भी तरह नहीं होगा उपयोग
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पहडिय़ा में कचरे को संग्रहित करने से लेकर उससे बिजली बनाने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से मशीनीकृत किया गया है। इसमें मानव श्रम का किसी भी तरह से उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक उपकरणों की खरीदी कर ली गई है। बिजली संयंत्र का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। निर्माण कार्य पूरा करके प्लांट की टेस्टिंग भी करा ली गई है। बिजली बनाने के लिए प्रतिदिन 60 टन कचरे की आवश्यकता होगी। यह कचरा 28 नगरीय निकायों से लाया जाएगा
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डंपिंग साइट में कचरा तौल की व्यवस्था
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पहडिय़ा परिसर में भण्डारित कचरे का सुरक्षित भण्डारण कराया जाएगा। शेष बचे कचरे के निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से कराया जाएगा। बिजली संयंत्र से निकलने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड तथा अन्य गैसों के सुरक्षित उत्सर्जन की व्यवस्था भी की गई। निर्माणाधीन बिजली संयंत्र के साथ-साथ कचरा भण्डारण केन्द्र तथा कचरा शोधन केन्द्र में कचरा संग्रहण करने वाली एजेंसी द्वारा डंपिंग साइट में कचरे के तौल की व्यवस्था की गई है। 
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 45 एकड़ में बनाया गया है पहडिय़ा प्लांट
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पहडिय़ा परिसर 45 एकड़ में बनाया गया है। निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि  इसमें कचरा वाहनों से अलग-अलग प्राप्त गीले और सूखे कचरे का शोधन किया जाएगा। प्लास्टिक धातु तथा अन्य पदार्थ अलग करके कचरे को बिजली बनाने के संयंत्र में भेजा जाएगा। संयंत्र से संबंधित सभी उपकरण स्थापित किए जा चुके हैं। वायलर, टरबाइन आदि लगाए जा चुके हैं।