विडंबना: अतिथि शिक्षक ने खुद कराया इंटरनेट रिचार्ज तब शुरू हुआ वैरीफिकेशन
मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 के अव्यवस्थाओं की पोल गुरुवार को खुल गई। अतिथि शिक्षक दस्तावेज वैरीफिकेशन कराने पहुंचे तो दो घंटे तक प्राचार्य और कम्प्यूटर कक्ष का ताला नहीं खुला। जब आपरेटर पहुंचे तो शिक्षकों ने रुपए जुटाकर इंटरनेट रिचार्य कराया। तब जाकर वैरीफिकेशन शुरू हुआ। पानी और हवा की व्यवस्था नहीं थी। कई आवेदक बेहोश होकर गिर गए थे। अव्यवस्थाओं के कारण परेशानियां उठानी पड़ी।
2 बजे तक मार्तण्ड स्कूल के प्राचार्य और आपरेटर कक्ष का ताला तक नहीं खुला
रीवा। ज्ञात हो कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की छुट्टियां खत्म हो गई है। स्कूल खुल गए है लेकिन फिर भी शिक्षक समय पर नहीं आते। मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 की अव्यवस्था की पोल तब खुली जब अतिथि शिक्षक का आवेदन करने के बाद अभ्यर्थी दस्तावेजों का वैरीफिकेशन कराने पहुंचे। अभ्यर्थियों ने कहा कि 12 बजे अतिथि शिक्षक के आवेदक मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 पहुंच गए थे। प्राचार्य कक्ष और कम्प्यूटर कक्ष में ताला लगा था। दोपहर दो बजे तक कोई नहीं पहुंचा था। दो बजे के बाद कम्प्यूटर कक्ष खुला। इसके बाद कम्प्यूटर आपरेटर ने कहा कि नेट नहीं है। नेट का पैकेज नहीं है। इसके बाद अतिथि शिक्षक के दस्तावेज का वैरीफिकेशन कराने के लिए पहुंचे अभ्यर्थियों ने पैसे जुटाए। इसके बाद इंटरनेट का रिचार्ज कराया गया। तब जाकर दस्तावेज वैरीफिकेशन शुरू किया गया। स्कूल में वैरीफिकेशन करने वाले शिक्षक भी करीब ढ़ाई बजे पहुंचे। देर से वैरीफिकेशन शुरू हुआ। स्कूल में पानी और हवा की कोई व्यवस्था नहीं थी। सैकड़ों की संख्या में अतिथि शिक्षक मौके पर पहुंचे थे। धूप और गर्मी के कारण कई शिक्षक बेहोश तक हो गए। उन्हें पीने के लिए पानी तक नहीं मिला। अव्यवस्थाओं के बीच अतिथि शिक्षकों के दस्तावेजों का वैरीफिकेशन हुआ।
लाखों रुपए आता है मेंटीनेंस का बजट
हद तो यह है कि स्कूलों को लाखों रुपए का मेंटीनेंस बजट शासन से मिलता है। इसके अलावा स्टेशनरी आदि का भी बजट स्कूल शिक्षा विभाग से जारी होता है। स्कूलों में कम्प्यूटर आपरेटरों की भी नियुक्ति शासन के आदेश के बाद की गई है। अब ऐसे में यह समझ से परे है कि जब स्कूलों में नेट ही नहीं चलता तो पदस्थ किए गए कम्प्यूटर आपरेटर काम क्या करते हैं। इसके अलावा लाखों रुपए का बजट किस कार्य में खर्च किया जाता है।
पानी और हवा तक की नहीं है व्यवस्था
मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 3 के प्राचार्य के पास बीईओ के अलावा डीपीसी की भी जिम्मेदारी हैं। इसके बाद भी वह अपना स्कूल सही तरीके से नहीं चला पा रहे हैं। ऐसे में इन्हें दोहरी जिम्मेदारी और दे दी गई है। अतिथि शिक्षक का आवेदन करने के बाद जब अभ्यर्थी दस्तावेजों का वैरीफिकेशन कराने स्कूल पहुंचे तो वहां पर पीने का पानी और हवा तक की व्यवस्था नहीं थी। शिक्षक परेशान होते रहे।